Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Nov, 2017 11:58 AM
नगर कौंसिल से पहली बार नगर निगम बने मोगा शहरवासियों की उम्मीदों पर उस समय दोबारा पानी फिर गया, जब सरकार ने मोगा जिले के विकास कार्यों के लिए आए 15 करोड़ रुपए पर रोक लगा दी।
मोगा (ग्रोवर): नगर कौंसिल से पहली बार नगर निगम बने मोगा शहरवासियों की उम्मीदों पर उस समय दोबारा पानी फिर गया, जब सरकार ने मोगा जिले के विकास कार्यों के लिए आए 15 करोड़ रुपए पर रोक लगा दी।
बताना बनता है कि 2015 में नगर कौंसिल से नगर निगम बनने उपरांत शहरवासियों में यह उम्मीद जागी थी कि नगर निगम बनने के कारण जल्द होने वाले करोड़ों रुपए के विकास कार्यों से शहर की कायाकल्प होगी, लेकिन हैरानी की बात है कि नगर निगम बनने के बाद शहर का कोई भी बड़ा विकास कार्य मुकम्मल नहीं हो सका, जिससे खफा होकर शहर के कई पार्षदों ने जून-जुलाई महीने नगर निगम दफ्तर के आगे भूख हड़ताल भी रखी थी तथा 28 दिन लगातार चली इस भूख हड़ताल उपरांत अगस्त में हुई निगम हाऊस की बैठक में 15 करोड़ के विकास कार्य पास किए थे, जिनके वर्क आर्डर शुरू होने से पहले इनको वापस भेजा गया है।
शहर के इन स्थानों पर है सड़कों व स्ट्रीट लाइटों का बुरा हाल
शहर के वार्ड नं.-6 व 7 के अलावा जमीयत सिंह रोड, अकालसर रोड, टंकी वाली गली, बहोना रोड, वार्ड नं.-46, वार्ड नं.-1, न्यू टाऊन मोगा के अलावा कई और इलाकों में सड़कों पर गहरे गड्ढे पड़े हैं। इसके अलावा शहर के बहुसंख्यक हिस्से में स्ट्रीट लाइटें खराब हैं, जिस कारण शाम ढलते ही शहर अंधेरे में डूब जाता है।
पहले गुटबाजी का बहाना बनाया जाता था, लेकिन अब कोई गुटबाजी भी नहीं हुई : पार्षद
सूत्रों का बताना है कि स्थानीय सरकारें विभाग ने अकेले-अकेले विकास कार्यों की डिटेल मांगी है, जिस कारण कार्यों की लिस्ट दोबारा नगर निगम मोगा को भेज दी गई है। इसी दौरान एक पार्षद गोवद्र्धन पोपली ने कहा कि शहर की सड़कों की हालत खस्ता है, जिन स्थानों पर पत्थर डाले गए हैं, लंबा समय बीतने पर भी वहां प्रीमिक्स नहीं पड़ा। उन्होंने कहा कि पहले तो गुटबाजी का बहाना बनाया जाता था, लेकिन आज कोई गुटबाजी की भी बात नहीं, फिर भी विकास का पहिया नहीं चल रहा।
उन्होंने कहा कि शहर प्रत्येक पक्ष से पिछड़ता जा रहा है। लोगों को स्ट्रीट लाइटों समेत और बुनियादी सहूलियतें ही सही नहीं मिल रहीं। शहर की हालत पतली है, जिसको ठीक करने के लिए पंजाब सरकार के प्रतिनिधियों तथा समूचे नगर हाऊस को ध्यान देने की जरूरत है। नगर निगम मोगा के मेयर अक्षित जैन से इस मामले संबंधी संपर्क करने के लिए बार-बार फोन किया गया, लेकिन उनके फोन न उठाने के कारण संपर्क स्थापित नहीं हो सका।