Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Nov, 2017 11:35 AM
त्यौहारी सीजन समाप्त होने के बाद अब पतंगबाजी का मौसम लौट आया है। सर्दियों के दस्तक देते व शीतलहर के बढ़ते ही आकाश व हवा में रंग-बिरंगी पतंगें इधर से उधर उड़ती नजर आती हैं तथा पतंगबाजी के पेंच लड़ाने की कवायद शुरू हो गई है। बच्चों, विशेषकर किशोर आयु...
पठानकोट (शारदा): त्यौहारी सीजन समाप्त होने के बाद अब पतंगबाजी का मौसम लौट आया है। सर्दियों के दस्तक देते व शीतलहर के बढ़ते ही आकाश व हवा में रंग-बिरंगी पतंगें इधर से उधर उड़ती नजर आती हैं तथा पतंगबाजी के पेंच लड़ाने की कवायद शुरू हो गई है। बच्चों, विशेषकर किशोर आयु के युवाओं की आंखें इन दिनों आकाश की तरफ ही पतंगबाजी करने, पेंच लड़ाने, एक-दूसरे की पतंग काटने व कटी पतंग को लूटने की ओर लगी रहती हैं।
किशोरों में पतंगों को लूटने व पेंच लड़ाने का जुनून इस कदर सिर पर सवार है कि वे वाहनों से खचाखच भरे हाईवे पर भी पतंगबाजी करने व कटी पतंग पकडऩे से बाज नहीं आ रहे।नैशनल हाईवे पर 100 किलोमीटर से अधिक रफ्तार में आने वाले चौपहिया वाहनों की हल्की-सी चपेट भी इन किशोर युवाओं व बच्चों को असमय काल का ग्रास बना सकती है। अभिभावकों की पहुंच से दूर ये किशोर हाईवे पर पतंगबाजी करते व कटी पतंगें लूटने के लिए एक-दूसरे से आगे पहुंचकर भाग-म-भाग करते देखे जा सकते हैं।
अमृतसर-पठानकोट-जालंधर हाईवे पर जहां घनी आबादी हैं, के ऊपर छोटे-छोटे बच्चे व किशोर फ्लाईओवरों तक पर खड़े होकर बेखौफ पतंगबाजी कर रहे हैं वहीं भारी ट्रैफिक के बीच ही भागकर सड़क क्रॉस करने से भी नहीं झिझक रहे। हर दिन हाईवे पर कहीं न कहीं कोई न कोई किशोर तेज गति से गुजरते वाहनों की चपेट में आने से बाल-बाल बच रहा है परन्तु जरूरी नहीं हर बार सौभाग्य साथ दे। यह लापरवाही किसी भी परिवार के चिराग को सदा के बुझा सकती है व बड़े हादसे में विकलांगता का शिकार भी बना सकती है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि हाईवे व फ्लाईओवरों पर पतंगबाजी करने पर फौरन रोक लगाई जाए।