Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Nov, 2017 10:29 PM
दिल्ली में वायु प्रदूषण के जानलेवा स्तर पर पहुंचने के बाद केंद्र सरकार ने बी. एस.-6 ईंधन को तय समय से 2 साल पहले लागू करने का फैसला किया है। इसे लागू करने के लिए पहले 1 अप्रैल 2020 की तिथि निर्धारित की गई थी लेकिन अब यह 1 अप्रैल 2018 से लागू होगा।...
जालंधर: दिल्ली में वायु प्रदूषण के जानलेवा स्तर पर पहुंचने के बाद केंद्र सरकार ने बी. एस.-6 ईंधन को तय समय से 2 साल पहले लागू करने का फैसला किया है। इसे लागू करने के लिए पहले 1 अप्रैल 2020 की तिथि निर्धारित की गई थी लेकिन अब यह 1 अप्रैल 2018 से लागू होगा।
एन.सी.आर. में बी.एस.-6 ईंधन 2019 तक मिलने लगेगा जबकि पूरे देश में यह 2020 से मिलेगा। पैट्रोलियम मंत्रालय ने इस संबंध में तेल मार्कीटिंग कंपनियों के साथ बातचीत कर ली है और तेल मार्कीटिंग कंपनियों ने सिर्फ दिल्ली में बी.एस.-6 ईंधन की आपूर्ति के लिए सहमति दे दी है।
आप की गाड़ी पर कोई फर्क नहीं
देश में बी.एस.-6 ईंधन के लागू होने के बाद आपकी बी एस-4 इंजन वाली कार पर इसका कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। देश में बी एस-4 गाडिय़ां इसी साल अप्रैल में लांच की गई हैं। इससे पहले देश में बी.एस.-3 गाडिय़ां चल रही थीं लेकिन इन गाडिय़ों में भी बी.एस.-4 का ईंधन चल रहा है। इसी प्रकार नया ईंधन आने के बाद भी पुरानी गाडिय़ों पर इसका फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन नए पैट्रोल की कीमत करीब 1.40 पैसे प्रति लीटर और डीजल की कीमत करीब 65 पैसे प्रति लीटर ज्यादा हो सकती है।
यूरोप से 6 साल पीछे हम
यूरोप में सितम्बर 2014 से वाहनों में बी.एस.-6 के समान क्वालिटी का यूरो 6 ईंधन इस्तेमाल हो रहा है। भारत में यूरोप के मुकाबले करीब साढ़े तीन साल बाद यह ईंधन लांच होगा और पूरे देश में इस ईंधन को लांच करने में यूरोप और भारत में छह साल का फासला हो जाएगा।
पंजाब में दिल्ली से ज्यादा प्रदूषण
हाल ही के दिनों में पंजाब के लुधियाना, अमृतसर और जालंधर में दिल्ली के मुकाबले प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा रहा है। जालंधर में मंगलवार को प्रदूषण का स्तर 1109 तक पहुंच गया था और इंडस्ट्री तथा वाहनों के प्रदूषण के साथ-साथ कृषि क्षेत्र के प्रदूषण ने सांस लेना दूभर कर रखा है लेकिन इसके बावजूद बी.एस.-6 ईंधन लागू करने के लिए सबसे पहले दिल्ली का चयन किया गया है। इस मामले में पंजाब में सियासी तौर पर कोई बड़ी मांग नहीं उठ रही है, लिहाजा पंजाब को पर्यावरण के लिहाज से नजरअंदाज किया जा रहा है।
नब्बे हजार करोड़ रुपए का खर्च
नए ईंधन के लिए रिफाइनरी को अपडेट करने और कार निर्माताओं द्वारा नए इंजन की तकनीक को अपडेट करने पर करीब सत्तर से लेकर नब्बे हजार करोड़ रुपए तक खर्च आने का अनुमान है। इसमें से 20 हजार करोड़ रुपए तो देश की सबसे बड़ी तेल मार्कीटिंग कंपनी इंडियन आयल ही खर्च रही है, इसके अलावा तमाम कार निर्माता कंपनियों को 2020 तक नई तकनीक की गाडिय़ां बाजार में उतारने पर भी हजारों करोड़ रुपए तकनीकी विकास पर खर्च करने होंगे।
जहरीले तत्वों में होगी कमी
पैट्रोल
ईंधन सी. ओ. एच.सी. एन. ओ. एक्स.
बी.एस.-3 2.30 0.20 0.15
बी.एस.-4 1.00 0.10 0.08
यूरो-6 1.00 0.10 0.06
डीजल
ईंधन सी.ओ. एच. सी. एच. सी.+एन. ओ. एक्स. पी. एम.
बी.एस.-3 0.64 0.50 0.56 0.05
बी.एस.-4 0.50 0.25 0.30 0.025
यूरो-6 0.50 0.06 0.17 0.005