वोटर कार्ड में संशोधन न होने से कैंसर पीड़ित खा रहा दफ्तरों के धक्के

Edited By Vatika,Updated: 19 Oct, 2018 01:56 PM

workers at the hospital suffering from cancer

खन्ना की कब्जा फैक्टरी रोड पर पड़ते गुरु गोबिन्द सिंह नगर मोहल्ले के एक घर में रहते बुजुर्ग जोड़े का कैंसर की बीमारी का इलाज इसलिए बीच में ही रुक गया कि उसके वोटर कार्ड में उसके पिता का नाम गलत है, जिसके कारण सरकार की तरफ से दी जाती डेढ़ लाख रुपए की...

खन्ना(कमल): खन्ना की कब्जा फैक्टरी रोड पर पड़ते गुरु गोबिन्द सिंह नगर मोहल्ले के एक घर में रहते बुजुर्ग जोड़े का कैंसर की बीमारी का इलाज इसलिए बीच में ही रुक गया कि उसके वोटर कार्ड में उसके पिता का नाम गलत है, जिसके कारण सरकार की तरफ से दी जाती डेढ़ लाख रुपए की वित्तीय मदद भी उसे नहीं मिल सकी। 

पीड़ित मंगत सिंह कॉमनवैल्थ खिलाड़ी का पिता है। उसके बताने मुताबिक करीब 12 साल से वोटर कार्ड में संशोधन को लेकर वह दफ्तरों में ही धक्के खा रहा है। जिसके कारण अभी तक उसको प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिल सकी। राष्ट्रीय स्तर के बाक्सिंग में देश और राज्य की शान बढ़ाने वाले खिलाडिय़ों के पिता का बीमारी के कारण मकान भी गिरवी हो गया है। परंतु पंजाब के मुख्यमंत्री के कैंसर पीड़ित कोष में से मिलने वाली सरकारी मदद के लिए वोटर कार्ड में संशोधन न होने के कारण वह अब तक सरकार की माली मदद से वंचित है। 

किसी भी दफ्तर में सुनवाई न होने के चलते पीड़ित मंगत सिंह ने अब प्रशासन को एस.डी.एम. दफ्तर के आगे आत्मदाह करने की धमकी देते बताया कि मामले की शिकायत चीफ जस्टिस पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट, मुख्य चुनाव कमीशन के अलग-अलग अधिकारियों, एस.डी.एम. और एस.एस.पी. खन्ना को डाक के द्वारा भेजे पत्रों में आत्मदाह की चेतावनी भी दी है। मंगत सिंह ने बताया कि वह आज भी तहसीलदार दफ्तर गया था, परंतु आज फिर उसे दफ्तरी बाबुओं की तरफ से दिए लारे ही मिले। 

5 बच्चों में 3 नैशनल प्लेयर, फिर भी इलाज से वंचित 
वर्णनीय है कि मंगत सिंह के 5 बच्चों में से 2 बेटे और 1 बेटी राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं। एक लड़के वरिन्दर की मौत हो चुकी है, जबकि दूसरा पुत्र रविन्द्र भी राष्ट्रीय स्तर पर बाक्सिंग खेल चुके हैं, उसकी लड़की सुनीता हॉकी और बाक्सिंग दोनों गेमों में राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी है। इसके बावजूद कैंसर पीड़ित पति-पत्नी को सरकारी मदद का एक पैसा नहीं मिल रहा और न ही कोई विशेष सहूलियत मिल रही है। मंगत सिंह ने बताया कि करीब अढ़ाई साल पहले उनकी सेहत खराब हुई तो मैडीकल चैकअप के दौरान पता चला कि उसे गले का कैंसर है, कु छ समय बाद उनकी पत्नी कुंती देवी (60) को भी ब्लड कैंसर की शिकायत निकली। दोनों का ही पी.जी.आई. में 6 महीने इलाज चला। पंजाब सरकार की तरफ से उनको डेढ़ लाख रुपए की मदद का चैक डी.सी. लुधियाना के पास आया था, परंतु जब वे चैक लेने गए तो वोटर कार्ड में उनके पिता का नाम सुनहरा सिंह की बजाय सुनेग सिंह दर्ज होने के कारण चैक रोक लिया गया। वोटर कार्ड में पिता का नाम ठीक कराने के लिए वह 12 सालों से एस.डी.एम. दफ्तर के चक्कर लगा रहे हैं, परंतु कोई उनकी सार नहीं ले रहा।

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