सब्जियों के रेट कम होने से किसानों पर छाए आर्थिक संकट के बादल

Edited By Anjna,Updated: 23 May, 2018 10:40 AM

vegetable rate down

पिछले करीब एक माह से ही सब्जियों के भाव में लगातार कमी होने पर जहां मंडियों में सब्जियों के रेट काफी कम हो गए हैं, वहीं उत्पादनकत्र्ता किसान बहुत ही निराशा के आलम में हैं लेकिन गरीब व आम वर्ग काफी सुकून महसूस कर रहा है।

सुल्तानपुर लोधी(धीर) : पिछले करीब एक माह से ही सब्जियों के भाव में लगातार कमी होने पर जहां मंडियों में सब्जियों के रेट काफी कम हो गए हैं, वहीं उत्पादनकत्र्ता किसान बहुत ही निराशा के आलम में हैं लेकिन गरीब व आम वर्ग काफी सुकून महसूस कर रहा है।

खेतीबाड़ी विभाग द्वारा किसानों को फसली विभिन्नता को  अपनाने व सब्जियों के रेटों में कोई भी निर्धारित मूल्य न होने पर मंडियों में सब्जियों को किसानों द्वारा कौडिय़ों के भाव बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है। हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि किसानों को कई फसलों में फसल का लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा। पहले मटर, गोभी अब टमाटर, घीया, हरी मिर्च, खीरे के रेट भी फसल की लागत से कम मिलने से किसान को आॢथक नुक्सान हो रहा है। सब्जियों के अतिरिक्त लहसुन के रेट भी इतने कम हो गए हैं कि किसान अब इसको बेचना भी ठीक नहीं समझता जिससे किसान की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। मंडियों में भाव कम होने के बावजूद अभी परचून में दुकानदारों को काफी मुनाफा हो रहा है।

जिस सब्जी का रेट मंडी में 3 से 4 रुपए प्रति किलो है, वह भी परचून में कम से कम 10 रुपए किलो के हिसाब से बिक रही है। व्यापारी द्वारा सब्जियों के रेट को कम होने का मुख्य कारण बाहरी प्रदेशों में सब्जियों का बड़े स्तर पर आना बताया गया है जिस कारण किसान को सब्जी का रेट पूरा नहीं मिल रहा है। टमाटर का रेट इन दिनों मंडी में 2 से 3 रुपए किलो है। अगर सब्जियों के रेट इसी तरह पिटते रहे तो किसनों के लिए संकट खड़ा हो जाएगा क्योंकि पहले ही किसानों को इस बार आर्थिक नुक्सान लंबे समय से हो रहा है।

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