नशों को लेकर होती आ रही है राजनीति, अभी तक नहीं निकला कोई ठोस हल

Edited By Anjna,Updated: 18 Jan, 2019 02:02 PM

drugs in punjab

पंजाब विधानसभा चुनावों दौरान नशा एक बड़ा मुद्दा रहा था, जिसको कांग्रेस पार्टी ने अपनी रैलियों व नुक्कड़ मीटिंगों में पूरी तरह उठाए रखा व सरकार बनने पर इसको पंजाब भर में से समाप्त करने का वायदा किया था...............

कपूरथला (गुरविन्द्र कौर): पंजाब विधानसभा चुनावों दौरान नशा एक बड़ा मुद्दा रहा था, जिसको कांग्रेस पार्टी ने अपनी रैलियों व नुक्कड़ मीटिंगों में पूरी तरह उठाए रखा व सरकार बनने पर इसको पंजाब भर में से समाप्त करने का वायदा किया था, पर अफसोस की बात है कि कांग्रेस को सत्ता में आए करीब 2 वर्ष हो चुके हैं लेकिन नशा ज्यों का त्यों बिक रहा है व प्रयोग हो रहा है। पंजाब के प्रत्येक जिले में बहुत सारे गांव ऐसे मिल जाएंगे, जहां नशा सरेआम बिकता है।

बेशक पुलिस ने उन क्षेत्रों में नशा रोकने के लिए घर-घर जाकर तलाशी अभियान भी छेड़ा लेकिन पुलिस अपने ही विभाग की कुछ काली भेड़ों के हाथों मार खा रही है व बड़े स्तर पर चलाए गए नशा विरोधी अभियान के परिणाम शून्य हैं। अब तक जिले के विभिन्न थानों में एक्साइज व एन.डी.पी.एस. एक्ट के 500 से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं लेकिन इस अभियान दौरान एक भी बड़ा तस्कर गिरफ्तार नहीं किया जा सका।

पुलिस नशे की ब्रांचों को तो किसी हद तक बेनकाब कर रही है लेकिन तस्करी की नींव पर हाथ नहीं डाला जा रहा। पंजाब में नशों को लेकर हमेशा ही राजनीति होती आई है व इसका ठोस हल अभी तक नहीं निकला। पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर वायरल हुई नौजवानों की दिल दहला देने वाली वीडियो, जिनमें नौजवान नशे की ओवरडोज कारण तड़प-तड़प कर मर रहे हैं। पंजाब में फैले ड्रग्ज के कोहड़ का महज एक नमूना है।

कई गांव बने नशे का गढ़
कपूरथला शहर के कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जहां नशा पूरे धड़ल्ले से बिक रहा है जो पुलिस की नाकामी तो दिखा रहा है बल्कि उन्होंने क्षेत्रों में तैनात पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ विभाग की काली भेड़ों पर भ्रष्टाचारी होने का संकेत दे रहा है। आज भी कपूरथला शहर के महताबगढ़, गांव तोती, बूटां, नवां पिंड भट्ठे, सुंदरनगर आदि के अतिरिक्त शहर का कुछ अंदरूनी क्षेत्र भी है जहां जिला पुलिस नशे की तस्करी पर रोक लगाने में अभी तक नाकाम साबित हुई है। कुछ लोगों का कहना है कि पुलिस को इन गांवों की पूरी जानकारी होने के बावजूद इन स्थानों के खानापूॢत के तौर पर एक्शन लिए जा रहे हैं। अगर पुलिस चाहे तो इन गांवों में एक दिन में ही सारा नशा समाप्त कर सकती है।

नहीं छोड़ पा रहे 80 प्रतिशत नौजवान
नशा पिछले कुछ समय से भारत के नक्शे पर पंजाब को नशों की मंडी के रूप में पेश किया जा रहा है व और तो और इस मामले पर आधारित एक फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ भी आई है, जिसमें पंजाब के नौजवानों को पूरी तरह नशों की गिरफ्त में दिखाया गया है। ऐसे समय में पंजाब में नशीले पदार्थों पर निर्भर लोगों पर आधारित एक सर्वे करवाया गया। कुछ समय पहले आ चुकी इस रिपोर्ट से यह पता चलता है कि पंजाब में नशा करने वाले नौजवानों में से 80 प्रतिशत नौजवान ऐसे हैं जो नशा छोडऩा चाहते हैं लेकिन छोड़ नहीं सकते। अब चाहे क्यों न सरकारी या निजी संस्थाओं द्वारा नशा छुड़ाऊ केंद्र खोले गए हों।

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