Edited By swetha,Updated: 02 Jun, 2018 10:23 AM
प्रदेश में जहां एक तरफ दूषित पानी एक बड़ा मसला बना हुआ है, वहीं इसको लेकर सरकारों की अनदेखी भी सामने आ रही है। बेशक सरकारें इस मुद्दे पर जागी हैं पर इसके बावजूद हालात खराब हैं, ऐसा ही हाल सुल्तानपुर और कपूरथला का है जहां पर ट्रीटमैंट प्लांट बंद...
कपूरथला(स.ह.): प्रदेश में जहां एक तरफ दूषित पानी एक बड़ा मसला बना हुआ है, वहीं इसको लेकर सरकारों की अनदेखी भी सामने आ रही है। बेशक सरकारें इस मुद्दे पर जागी हैं पर इसके बावजूद हालात खराब हैं, ऐसा ही हाल सुल्तानपुर और कपूरथला का है जहां पर ट्रीटमैंट प्लांट बंद होने के कारण महामारी फैलने का डर है, वहीं दूषित पानी पवित्र काली बेईं में जा रहा है।
कपूरथला नगर कौंसिल के अधीन आते शहर का एक मात्र सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट जोकि 1997 की अकाली सरकार के समय पर पास हुआ था और साल 2004 में आई नई कांग्रेस सरकार ने इस ट्रीटमैंट प्लांट को शहर में गंदे पानी की निकासी के लिए और सीवरेज के गंदे पानी को साथ कर कैमिकल मुक्त पानी को खेतों और किसानों को देने के उद्देश्य से लगभग 12 करोड़ की राशि खर्च कर लाया गया था।
लगभग 14 सालों से चल रहे इस प्लांट की पिछले कुछ समय से नगर कौंसिल कपूरथला की ओर से विभागीय लापरवाही और फंडों की कमी चलते इसकी मैंटीनैंस बंद कर दी गई, जिसके फलस्वरूप अब लगभग पिछले कुछ समय के अंतराल से शहर का गंदा पानी पवित्र काली बेईं में मिल रहा है, जिसके कारण शहर के लोगों में सीवरेज के पानी की बंद सफाई से गंदगी और सीवरेज का पानी घरों में पीने वाले पानी के साथ मिल जाने का भय बना हुआ है।
3 जिलों कपूरथला, जालंधर, होशियारपुर और इनके अंतर्गत पड़ते लगभग 84 गांवों में से बहुत सारे गांवों ने इस पवित्र बेईं में गंदा पानी डालना बंद कर दिया है, पर कपूरथला के ट्रीटमैंट प्लांट और सुल्तानपुर लोधी के ट्रीटमैंट प्लांट के बंद होने से यह सारी कोशिशें धूमिल होती नजर आ रही हैं जिस पर स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया है। इसके चलते एक सामाजिक संस्था ह्यूमन राइट्स प्रैस क्लब ने सरकार को इस मामले में स्थानीय लोक अदालत में एक केस कर जवाब मांग हुआ है।