दोआबा क्षेत्र में विगत 2 दशकों से जारी है अवैध गर्भपात का खेल

Edited By Anjna,Updated: 05 Mar, 2019 08:46 AM

continued illegal abortion game

जिला कपूरथला के विभिन्न थाना क्षेत्रों में विगत 2 दशकों से नवजन्मे बच्चे व भ्रूण मिलने का सिलसिला लगातार जारी है।

कपूरथला (भूषण): जिला कपूरथला के विभिन्न थाना क्षेत्रों में विगत 2 दशकों से नवजन्मे बच्चे व भ्रूण मिलने का सिलसिला लगातार जारी है। विगत लंबे समय से इन वारदातों को अंजाम देने वाले एक-दो आरोपियों को छोड़ किसी अन्य आरोपी की गिरफ्तारी नहीं होने के कारण फिलहाल ऐसे मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं।जिसमें कहीं न कहीं कपूरथला शहर सहित पूरे जिले में चल रहे कई संदिग्ध नॄसग होम तथा गांवों में काम कर रही कुछ दाइयोंं की भूमिका सवालों के घेरे में आ गई है। इस करतूत को अंजाम देने वाले अन्य लोगों से मोटी रकम लेकर गुप्त तरीके से गर्भपात कर इस पाप को बढ़ाने में अहम भूमिका अदा कर रहे हैं।

‘30 से 40 हजार रुपए की रकम वसूल कर स्कैनिंग से लेकर गर्भपात तक का किया जाता है काम’
कपूरथला जिला सहित पूरे प्रदेश में ऐसा गैंग काम कर रहा है जो बच्चा न चाहने वाले लोगों से 30 से 40 हजार रुपए की रकम लेकर स्कैङ्क्षनग सैंटर से टैस्ट करवाने से लेकर गर्भपात करवाने तक केे काम को अंजाम दे रहा है। इनमें से कुछ संदिग्ध डाक्टरों व दाइयों को विभिन्न जिलों की पुलिस गिरफ्तार भी कर चुकी है। साथ ही कई स्कैङ्क्षनग सैंटरों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी हुई है।

2 दशकों के दौरान पुलिस बरामद कर चुकी है 68 भ्रूण
वर्ष 2002 में थाना सदर कपूरथला की पुलिस ने गांव कालासंघिया के नजदीक एक स्थान पर छापामारी कर 2 दाइयों को गर्भपात करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। लेकिन उसके बाद जिले में काम कर रहे संदिग्ध नर्सिंग होम तथा दाइयों द्वारा अपनी रणनीति बदलने से ऐसे मामले पकड़े नहीं जा सके हैं। विगत 2 दशकों के दौरान कपूरथला पुलिस के 15 थाना क्षेत्रों की पुलिस द्वारा दर्ज किए गए ऐसे मामले की ओर नजर दौड़ाई जाए तो विभिन्न मामलों में पुलिस ऐसे 68 मामलों में भ्रूण या मृतक बच्चे बरामद कर चुकी है जिसको लेकर विभिन्न थानों में मामले दर्ज हैं।  

आशा वर्कर गर्भवती महिलाओं की पहचान सही ढंग से करें तो पकड़ा जा सकता है आरोपियों को 
इस मामले में सबसे अहम सवाल यह है कि जननी सुरक्षा योजना के तहत गांवों में आशा वर्करों को अपने-अपने गांवों में घूमकर सभी गर्भवती महिलाओं की पहचान करने के आदेश जारी हैं, जिनको समय पर मैडीकल सुविधा मिल नहीं पाती। इन आशा वर्करों की जिम्मेदारी गर्भवती महिलाओं को एक दिन से लेकर 9 महीने तक सरकारी अस्पताल में लेकर जाने तथा उनका मुफ्त इलाज करवाने के आदेश जारी हैं। लेकिन फिलहाल आशा वर्करों के पूरी तरह से काम न करने के कारण ऐसे मामले बढ़ते जा रहे हैं। यदि आशा वर्कर पूरी तनदेही से गर्भवती महिलाओं की पहचान सही ढंग से करें तो ऐसे मामलों को अंजाम देने वाले आरोपी को पकड़ा जा सकता है।

नवजन्मी बच्ची की लाश बरामदगी मामले में मामला दर्ज
विगत दिन निकटवर्ती गांव आरीयावाल में नवजन्मी बच्ची की लाश मिलने के मामले को लेकर थाना सदर कपूरथला की पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। फिलहाल मामले में नामजद आरोपियों की पहचान नहीं हो सकी है। जानकारी के अनुसार विगत रात्रि गांव आरीयावाल से थाना सदर पुलिस को सूचना मिली थी कि कुछ अज्ञात आरोपी सड़क किनारे एक नवजन्मी बच्ची की लाश फैंक गए हैं। इस पर थाना सदर के एस.एच.ओ. गुरदयाल सिंह पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचे और नवजन्मी बच्ची का शव बरामद कर लिया। वहीं बच्ची की लाश को सिविल अस्पताल कपूरथला भेज दिया गया है।

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