सियायत के कारण बस स्टैंड से लेकर रैस्ट हाऊस चौक तक बीच में लटका  निर्माणाधीन पुल

Edited By swetha,Updated: 08 Jan, 2019 04:19 PM

bus stand phagwara

कहते हैं सियासत अपनी चाल चलती है। राजनीति में मुद्दे कभी खत्म नहीं होते। राजनीति में मुद्दों को जिन्दा रखा जाता है। शायद यही कड़वी दास्तां बन गया है, फगवाड़ा में वर्षों से बस स्टैंड से लेकर रैस्ट हाऊस चौक तक अधर में लटक रहे निर्माणाधीन पुल का। पंजाब...

फगवाड़ा(जलोटा): कहते हैं सियासत अपनी चाल चलती है। राजनीति में मुद्दे कभी खत्म नहीं होते। राजनीति में मुद्दों को जिन्दा रखा जाता है। शायद यही कड़वी दास्तां बन गया है, फगवाड़ा में वर्षों से बस स्टैंड से लेकर रैस्ट हाऊस चौक तक अधर में लटक रहे निर्माणाधीन पुल का। पंजाब में एक ओर जहां नैशनल हाइवे नंबर-1 पर अधिकांश निर्माणाधीन पुल बनने के बाद चालू भी हो चुके हैं, वहीं फगवाड़ा का यह अभागा पुल बीच अधर में आधे अधूरे निर्माण के चलते अपनी दुखद दास्तां बयान कर यही पुकार कर रहा है कि यह कब बनकर तैयार होगा।

यह भी शत प्रतिशत सत्य है कि यह एक ऐसा पुल है जो यदि बन जाए तो फगवाड़ा के हजारों लोगों का जीवन सरल बन सकता है लेकिन जिस तर्ज पर फगवाड़ा में उक्त पुल के अधूरे हिस्से के निर्माण को लेकर पिल्लरों वाले पुल एवं मिट्टी वाले पुल की बहस कुछ अर्सा पहले गर्माई रही है, उसे देख आम जनता निराशा में चल रही है। क्योंकि अधिकांश लोग यह समझ नहीं पा रहे हैं कि पिल्लरों वाले पुल की जो मांग अब की जा रही है, वो मांग फगवाड़ा में एक के बाद एक कर निर्माण किए गए पुलों एवं ओवरब्रिजों को लेकर पहले क्यों नहीं की गई है।हालात की सज्जाई यह बना है कि उक्त अधूरे पुल को लेकर भाजपा के 2 गुटों में राजसी अहम की लड़ाई चलती रही है जिसका खामियाजा अब फगवाड़ा के लोग भुगतने को मजबूर हो चुके हैं। लेकिन इस सबके के बीच सबसे ज्यादा तकलीफ आम जनता को पुल का निर्माण पूरा न होने से हो रही है जिसकी पीड़ा शायद राजसी दलों के नेताओं को न तो महसूस हो रही है और न ही इसका अहसास हो रहा है।

1 किलोमीटर लंबे पुल के निर्माण पर इतना विवाद क्यों 
इस गंभीर मामले को लेकर फगवाड़ा में अब तक निर्माण हुए फगवाड़ा-होशियारपुर चौक पुल, शूगर मिल चौक-सतनामपुरा पुल, फगवाड़ा बाईपास पुल, रैस्ट हाऊस चौक-जे.सी.टी. मिल पुल एवं शूगर मिल चौक-होशियारपुर रोड पुल की समीक्षा की गई तो सच्चाई यही है कि उक्त सभी पुल सरकारी तंत्र द्वारा ठोस मिट्टी डालकर बनाए गए हैं। यानी उक्त कोई भी पुल पिल्लरों पर निर्मित नहीं किया गया है। ऐसे में अहम सवाल यही है कि जब उक्त सारे पुलों का निर्माण बिना किसी शोर अथवा विवाद के फगवाड़ा में संपन्न हुआ है तो फिर बस स्टैंड से लेकर रैस्ट हाऊस चौक तक के करीब 1 किलोमीटर लंबे पैच पुल के निर्माण पर इतना विवाद क्यों हो रहा है और इसी हिस्से को लेकर यह आवाज क्यों बुलंद की जा रही है कि यहां पर केवल पिल्लरों वाला पुल ही स्वीकार्य होगा? क्या यह समय की मांग नहीं है कि यदि उक्त हिस्से का पुल पिल्लरों पर निर्माण हो तो पूरे फगवाड़ा में बने सभी पुलों का ढांचा मिट्टी वाले पुलों को खत्म कर नए सिरे से पिल्लरों वाले पुल का डिजाइन कर बने? 

पुल के निर्माण को लेकर दो बार केंद्रीय मंत्री से कर चुके हैं मुलाकात : सोमप्रकाश कैं थ
फगवाड़ा के भाजपा विधायक सोमप्रकाश कैंथ ने कहा है कि वह मांग करते हैं कि उक्त पुल का निर्माण जल्द पूरा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह पुल फगवाड़ा की लाइफलाइन है। वह उक्त पुल के निर्माण को लेकर व्यक्तिगत तौर पर दो बार नई दिल्ली जाकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात कर उक्त पुल को जल्द बनाने का अनुरोध करके आए हैं।
श्री कैंथ ने कहा कि वह सदैव पुल के निर्माण के पक्ष में रहे हैं। इससे क्या फर्क पड़ता है कि पुल पिल्लरों पर बना है अथवा ठोस मिट्टी से। लेकिन कुछ राजसी लोगो, जिनमें उनकी ही पार्टी के कुछ बड़े राजनेता शामिल थे, ने वो सब किया जिसके कारण यह पुल बीच अधर में लटका पड़ा है। यादि राजनेता अपनी सियासत को चमकाने की खातिर पुल के निर्माण को मुद्दा न बनाते तो यह पुल करीब 3 वर्ष पहले 2016 में ही तैयार हो जाता। 

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