Edited By Sunita sarangal,Updated: 13 Dec, 2019 11:19 AM
विधायकों तक की छवि हो रही प्रभावित
जालंधर(खुराना): पिछले दिनों जालंधर में यूथ कांग्रेस के चुनाव सम्पन्न हुए जिस दौरान कई उम्मीदवारों को जीत नसीब हुई और कइयों के चेहरे लटक जाने से उनका मनोबल गिर गया। देखा जाए तो यूथ कांग्रेस के ऐसे चुनाव पार्टी संगठन को कोई फायदा नहीं पहुंचा रहे बल्कि उलटा इन चुनावों का नुक्सान कांग्रेस को उठाना पड़ रहा है। हालांकि ज्यादातर विधायकों की इन चुनावों में सक्रिय भूमिका नहीं होती और वे केवल अपने किसी समर्थक इत्यादि की पीठ थपथपाने तक खुद को सीमित रखते हैं परंतु फिर भी यूथ कांग्रेस के चुनाव सम्पन्न होने के बाद विधायकों की छवि तक प्रभावित होती है। चाहे किसी विधायक ने किसी उम्मीदवार का विरोध न भी किया हो परंतु फिर भी ऐसा प्रचारित किया जाता है कि फलां विधायक का जनाधार खिसक रहा है या युवा उससे दूर होते जा रहे हैं।
दरअसल पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने वर्षों पहले यूथ कांग्रेस में नियुक्तियों की परम्परा को बंद करके चुनावों की प्रक्रिया को शुरू किया था परंतु धीरे-धीरे यह प्रक्रिया लोकतांत्रिक रहने की बजाय गुटबंदी का कारण बनती जा रही है। यही कारण है कि पार्टी के वरिष्ठ व अन्य स्तर के नेता यूथ कांग्रेस के चुनावों में कोई दिलचस्पी नहीं लेते। विधायकों के लिए भी यही दिक्कत है कि अगर वे किसी खास उम्मीदवार का खुलकर समर्थन करते हैं तो उससे हारने वाला उम्मीदवार उसी विधायक के विरोध में खड़ा हो जाता है।
मसल पावर का भी होता है उपयोग
यूथ कांग्रेस के चुनावों में मनी पावर के साथ-साथ मसल पावर का भी उपयोग होना शुरू हो गया है। चुनाव जीतने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जाते हैं और कई जगह तो पिस्तौल लहराने, हवा में गोलियां चलाने, लड़ाई-झगड़े व मारपीट तक के समाचार मिलते हैं। इस बार जालंधर में भी यूथ कांग्रेस के चुनावों दौरान जिस प्रकार पुलिस बल की तैनाती रही उससे भी कांग्रेस के लिए कोई अच्छे संकेत नहीं गए।