Edited By swetha,Updated: 22 Apr, 2018 10:06 AM
भारत में वाटरप्रूफिंग कंस्ट्रक्शन कैमिकल की 20 हजार करोड़ की इंडस्ट्री है लेकिन यह इंडस्ट्री मिस मैनेजमैंट का शिकार हो रही है जिसका नुक्सान उपभोक्ता को न उठाना पड़े इस हेतु द वाटरप्रूफर एसोसिएशन का गठन किया गया है। उक्त शब्द एसोसिएशन के ऑल इंडिया...
जालंधर(पुनीत): भारत में वाटरप्रूफिंग कंस्ट्रक्शन कैमिकल की 20 हजार करोड़ की इंडस्ट्री है लेकिन यह इंडस्ट्री मिस मैनेजमैंट का शिकार हो रही है जिसका नुक्सान उपभोक्ता को न उठाना पड़े इस हेतु द वाटरप्रूफर एसोसिएशन का गठन किया गया है। उक्त शब्द एसोसिएशन के ऑल इंडिया प्रधान निशान जैन ने किया।
चेयरमैन एम.के. धवन, महासचिव हरमिन्द्र सिंह की अगुवाई में पंजाब चैप्टर का गठन किया गया। इसी संबंध में स्थानीय होटल में वाटरप्रूफिंग के बिजनैस से जुड़े बिजनैसमैनों की मीट करवाई गई जिसमें पंजाब के विभिन्न शहरों से आए व्यापारियों ने हिस्सा लिया। वक्ताओं ने बताया कि वाटरप्रूफिंग में दिक्कत की वजह से होने वाली सीलन से निजात पाने के लिए विदेशी टैक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को विदेशी टैक्नोलॉजी की ट्रेनिंग करवाई जाएगी जिससे इस समस्या से राहत मिलेगी। इस क्रम में वाटरप्रूफिंग करने वाले व्यक्तियों की ट्रेनिंग व कार्य देखने के बाद उसकी रेटिंग भी करवाई जाएगी।
कंपनियां होंगी गारंटी में शामिल
इस क्रम में ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं जिससे वाटरप्रूङ्क्षफग कंस्ट्रक्शन कैमिकल का कारोबार करने वाली कंपनियों को गारंटी के दायरे में लाया जा सकेगा। वक्ताओं के मुताबिक मौजूदा समय में वाटरप्रूफिंग करने वाले ठेकेदार इत्यादि द्वारा उपभोक्ता को सीलन न आने संबंधी गारंटी दी जाती है, जबकि कंपनी द्वारा गारंटी नहीं दी जाती। जब सीलन इत्यादि की समस्या आती है तो ठेकेदार व कंपनी में आपसी सहमति नहीं बन पाती जिसके चलते उपभोक्ता द्वारा वाटरप्रूङ्क्षफग करने वाले ठेकेदार की पेमैंट रोक दी जाती है।
पंजाब की बाडी इस प्रकार होगी
पंजाब बाडी में एग्जीक्यूटिव मैंबर संजय सरीन, मनमोहन सिंह, सुरिन्द्र कुमार, दविन्द्र सोखी, हरप्रीत सिंह, संजीव त्रेहन, अतुल जैन, ऋिषभ जैन इत्यादि शामिल हैं। पिछले दिनों दिल्ली में हुई मीटिंग के दौरान ऑल इंडिया बाडी का गठन किया गया था। इस बाडी द्वारा आने वाले समय में देश के विभिन्न राज्यों में बाडी गठित कर पदाधिकारियों को जिम्मेदारियां सौंपी जाएंगी ताकि वह अधिक से अधिक मैंबर बनाकर एकजुट हो सकें ताकि इससे उपभोक्ता सहित वाटरप्रूङ्क्षफग करने वालों व कंपनियों के बीच पूल का कार्य हो सके।