अनूठी पहल: गांव भाई देसा जहां प्लास्टिक नहीं कपड़े के थैले इस्तेमाल करते हैं लोग

Edited By Vaneet,Updated: 17 Feb, 2020 09:04 AM

village bhai desa where people use cloth bags rather than plastic

राष्ट्रीय स्तर पर नेताओं के मुंह से ‘से नो टू प्लास्टिक’ जैसा स्लोगन महज औपचारिकता लगता है।...

जालंधर(सूरज ठाकुर): राष्ट्रीय स्तर पर नेताओं के मुंह से ‘से नो टू प्लास्टिक’ जैसा स्लोगन महज औपचारिकता लगता है। पर्यावरण को बचाने के लिए किसी मंच से उन्होंने कह दिया और राजनीतिक स्तर पर यह एक योजना हो गई जो सरकारी फाइलों और भाषणों में निरंतर चल रही है। हकीकत यह है कि देश में पर्यावरण को स्वच्छ रखने की मुहिम कभी चरणबद्ध तरीके से गांव से शहरों तक लागू करने की जहमत ही नहीं उठाई गई। 

आपको बताते हैं कि ऐसे हालात में भी पंजाब के मानसा जिले के एक युवा क्लब ने अपने छोटे से गांव भाई देसा की तस्वीर ही बदल डाली है। इस क्लब का मकसद जहां गांव को सिंगल प्लास्टिक यूज, स्टबल बॄनग और ड्रग्स से मुक्ति दिलाना है, वहीं दूसरी ओर ट्री प्लांटेशन और सड़क सुरक्षा भी इसकी मुहिम का अहम हिस्सा हैं। यह तथ्य हैरत में डालने वाला है कि इस गांव के युवाओं ने स्वच्छ वायु हासिल करने के उद्देश्य से 5 हजार पौधे लगाए हैं जिनकी बराबर देखभाल की जाती है।

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ऐसे मिली गांव को प्लास्टिक से निजात
मानसा जिला मुख्यालय से करीब 10 कि.मी. की दूरी पर देसा भाई गांव में नौजवान एकता क्लब के सामाजिक कार्य चर्चा का विषय बने हुए हैं। सिंगल प्लास्टिक यूज को रोकने के लिए क्लब के युवाओं ने गांव के एक दुकानदार से पॉलीथिन बैग बंद करने का आग्रह किया। दुकानदार ने उन्हें आश्वस्त किया कि उसके पास जो बैग पड़े हैं उन्हें इस्तेमाल करने के बाद वह कभी भी ग्राहकों को सामान पॉलीथिन बैग में नहीं देगा। क्लब की मुहिम रंग लाई गांव में धीरे-धीरे पॉलीथिन बैग का इस्तेमाल होता गया। अब गांव में पॉलीथिन बैग का इस्तेमाल पूरी तरह बंद हो चुका है। 

दुकानों में नहीं मिलते हैं तंबाकू उत्पाद
1700 की आबादी वाले इस गांव में 6 दुकानें हैं जिनमें तंबाकू के उत्पाद नहीं मिलते हैं। युवाओं का ड्रग्स और नशीले पदार्थों की ओर ध्यान न जाए इसके लिए क्लब कई गतिविधियां करता रहता है। युवा सामाजिक कार्यों में व्यस्त रहते हैं। वे ‘मेरा पिंड मेरा मान’ के सिद्धांत की राह पर चल रहे हैं। जिस तरह पंजाब के ग्रामीण इलाकों के हालात हैं उससे अलग गजब का जुनून इस गांव के युवाओं में है। ड्रग की लत से दूर रहने के लिए युवा एक दूसरे को प्रेरित करते हैं। गणतंत्र दिवस पर क्लब को सामाजिक कार्यों के लिए जिला स्तर पर 5 लाख रुपए का नकद पुरस्कार मिला है। इसके प्रयासों से गांव की गलियां साफ और हरी-भरी हैं। एक साल पहले क्लब ने सफाई करने का फैसला किया और सभी घरों की दीवारों को रंग दिया गया है। दीवारों पर सकारात्मक संदेश लिखे हुए हैं।

पराली जलाने के मामले 60 फीसदी घटाए
क्लब के संरक्षक 40 वर्षीय बलबीर सिंह कहते हैं कि नशा पंजाब में एक गंभीर समस्या है। हम युवाओं को इसकी चपेट में आने से बचाना चाहते हैं। माहौल और वातावरण को शुद्ध रखने के लिए गांव के परिवारों ने पैसे का योगदान दिया है। सरपंच क्लब की गतिविधियों का भरपूर समर्थन करते हैं। युवाओं ने 5000 से अधिक पौधे लगाए हैं। पराली न जलाने के लिए किसानों को युवा जागरूक कर रहे हैं। क्लब के प्रयासों से ही पराली जलाने में 60 फीसदी कमी आई है। डी.सी. का कहना है कि जहां भी जिला में युवा क्लबों और स्थानीय पंचायत या सरपंच के बीच अच्छा तालमेल है वहां से नतीजे अच्छे आ रहे हैं। स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए सुबह और शाम की सैर शुरू की है जिसमें महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल होते हैं। क्लब की गतिविधियों की सराहना करते हुए सरपंच हरबंस सिंह कहते हैं कि पंजाब में युवा ड्रग्स के जाल में फंस गए हैं लेकिन मेरे गांव में नशा करने की लत युवाओं को बिल्कुल नहीं है। 

वैज्ञानिक कचरा प्रबंधन की शुरूआत
क्लब के अध्यक्ष केवल सिंह बताते हैं कि पहले से ही यहां 70 फीसदी लोग कपड़े की थैलियों का उपयोग करते हैं। प्लास्टिक के खतरनाक प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करना हमारी प्राथमिकता है। गांव में करीब 270 घर हैं और क्लब वैज्ञानिक कचरा प्रबंधन की शुरूआत करने जा रहा है। इसके लिए मोहाली स्थित राऊंड ग्लास फाऊंडेशन हमें तकनीकी जानकारी दे रहा है। दुकानदार मेजर जीत सिंह का मानना है कि व्यस्त युवा ड्रग्स के प्रति आकॢषत नहीं होते। उन्होंने बताया कि गांव की दुकानों में तंबाकू आधारित उत्पादों को नहीं बेचा जाता। यह गांव पर्यावरण को सुरक्षित करने के लिए एक मिसाल है, इसी तरह यदि पूरे देश के गांवों और शहरों में मुहिम चलाई जाए तो यकीनन देश की तस्वीर बदल सकती है। 

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