Edited By Anjna,Updated: 14 Jun, 2018 07:31 AM
ट्रैवल एजैंट लाइसैंस आवेदन मामले में हर रोज नई बात देखने को मिल रही है। कई साल तक लाइसैंस आवेदन पैंडिंग रहने, अधूरे दस्तावेज पूरे न करने, रजिस्टर्ड रैंट डीड मांगने पर लग रहे सवालिया निशान, फाइल हुए आवेदनों को री-ओपन करवाने के लिए दोबारा लाइसैंस फीस...
जालंधर(अमित): ट्रैवल एजैंट लाइसैंस आवेदन मामले में हर रोज नई बात देखने को मिल रही है। कई साल तक लाइसैंस आवेदन पैंडिंग रहने, अधूरे दस्तावेज पूरे न करने, रजिस्टर्ड रैंट डीड मांगने पर लग रहे सवालिया निशान, फाइल हुए आवेदनों को री-ओपन करवाने के लिए दोबारा लाइसैंस फीस जमा करवाने, फाइलों में से दस्तावेज गायब करने के लग रहे गंभीर आरोप जैसे विवाद अभी पूरी तरह से खत्म भी नहीं हुए थे कि एक नए विवाद ने जन्म ले लिया है।
एक्ट के अंदर दी गई 5 कैटेगरीज में से किस-किस कैटेगरी के अधीन ट्रैवल कारोबारी काम कर रहे हैं, उसको लेकर अपने आवेदन के साथ लगाए जाने वाले स्व-घोषणा पत्र में लाइसैंस फीस हर महीने जमा करवाने वाली लाइन को लेकर असमंजस वाली स्थिति बन गई है। पिछले कुछ दिनों से डी.सी. दफ्तर में लाइसैंस अलाटमैंट से संंबंधित अधिकारियों के पास ऐसे कारोबारियों का तांता लगने लगा है जिनका केवल एक ही सवाल है कि उनकी तरफ से तो लाइसैंस फीस एकमुश्त जमा करवाई जा चुकी है, ऐसे में अपने स्व-घोषणा पत्र में वे यह कैसे लिखकर दें कि बनती लाइसैंस फीस हर महीने जमा करवाएंगे।
इस परेशानी को लेकर कुछ ट्रैवल कारोबारी प्रशासनिक अधिकारियों से मिले और कहा कि अगर वे स्व-घोषणा पत्र में दी गई उक्त लाइन के अंदर कोई बदलाव करते हैं या उसे काट कर अपने आवेदन के साथ लगाते हैं, तो संंबंधित कर्मचारी उनका आवेदन स्वीकार ही नहीं करते, क्योंकि उनका कहना है कि जो प्रोफार्मा स्व-घोषणा पत्र का पहले से जारी किया गया है, उसे बिना किसी बदलाव के ही जमा करवाना अनिवार्य है।
एक बार लेने के बाद दोबारा नहीं मांग सकते फीस : सहायक कमिश्नर
सहायक कमिश्नर डा. बी.एस. ढिल्लों ने कहा कि किसी भी कारोबारी को घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि एक बार फीस लेने के बाद कोई भी अधिकारी या कर्मचारी दोबारा फीस नहीं मांग सकता है। अगर फिर भी किसी को तसल्ली नहीं होती है, तो वह उनसे आकर मिल सकता है और इस प्रोफार्मा में जो आवश्यक बदलाव करना होगा कर सकता है, जिससे उसके मूल-स्वरूप में कोई फर्क न पड़ता हो।