कमीशनखोरी कर पैसे कमा रहे हैं ट्रोमा वार्ड के अटैंडैंट!

Edited By Vatika,Updated: 15 Oct, 2018 10:00 AM

trauma centre jalandhar

सिविल अस्पताल में लाखों-करोड़ों खर्च कर बनाए गए ट्रोमा सैंटर में इन दिनों कमीशनखोरी का धंधा चरम सीमा में पहुंच चुका है। यहां सीरियस मरीजों को अधिकतर वार्ड अटैंडैंट पैसे कमाने के चक्कर में प्राइवेट अस्पतालों में भेज रहे हैं। इस मामले में कुछ पीड़ित...

जालंधर(शौरी): सिविल अस्पताल में लाखों-करोड़ों खर्च कर बनाए गए ट्रोमा सैंटर में इन दिनों कमीशनखोरी का धंधा चरम सीमा में पहुंच चुका है। यहां सीरियस मरीजों को अधिकतर वार्ड अटैंडैंट पैसे कमाने के चक्कर में प्राइवेट अस्पतालों में भेज रहे हैं। इस मामले में कुछ पीड़ित लोग वार्ड अटैंडैंट की शिकायतें 104 नंबर पर हैल्थ विभाग को भी कर चुके हैं।

जानकारी के मुताबिक सड़क हादसों में घायल, जहरीली वस्तु निगलने, सांप के डसे आदि मामलों के मरीजों को सिविल अस्पताल की एमरजैंसी से ट्रोमा वार्ड शिफ्ट किया जाता है। शुरू-शुरू में काफी मरीजों का उपचार ट्रोमा वार्ड में होता रहा, लेकिन अब हालात बिल्कुल बदल चुके हैं।महानगर में स्थापित कुछ प्राइवेट अस्पतालों के डाक्टरों ने ट्रोमा वार्ड में तैनात कुछ वार्ड अटैंडैंट्स से सैटिंग कर ली है और उक्त वार्ड अटैंडैंट मरीजों का एक्स-रे ,सी.टी. स्कैन आदि करवाने के बाद उन्हें डरा देते हैं कि ट्रोमा वार्ड में उपचार ठीक तरीके से नहीं होता। मरीज के परिजन इनकी बातों में आ जाते हैं और अच्छे व सस्ते प्राइवेट अस्पताल का पता पूछते हैं। निर्धारित योजना के तहत वार्ड अटैंडैंट प्राइवेट अस्पताल फोन कर एम्बुलैंस मंगवाकर मरीज को वहां रैफर करवा देते हैं और रैफर करवाने वाले वार्ड अटैंडैंट को 15 से 20 प्रतिशत कमीशन मिल जाती  है। 

पूर्व मैडीकल सुपरिंटैंडैंट ने बदले थे सभी वार्ड अटैंडैंट
सिविल अस्पताल के पूर्व मैडीकल सुपरिटैंडैंट डा. के.एस. बावा के ध्यान में भी यह मामला आया था और उन्होंने ट्रोमा वार्ड के वार्ड अटैंडैंट को बदल कर उन्हें अस्पताल के बाकी वार्डों में शिफ्ट कर डाला और बाकी वार्ड से स्टाफ को ट्रोमा वार्ड में लगा डाला। कुछ समय तक तो फिर ट्रोमा वार्ड में काम ठीक होता रहा लेकिन डा. बावा की रिटायरमैंट के बाद दोबारा से वार्ड अटैंडैंट अपनी सिफारिश डलवाकर ट्रोमा वार्ड में ड्यूटी पर आ गए।

6 माह से नहीं मिली तनख्वाह  
वहीं एक वार्ड अटैंडैंट ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि  वह ठेके पर भर्ती है। हर माह 9400 के करीब सरकार वेतन देती है पर अब  फंड न होने के कारण 6 माह से वेतन नहीं मिला।

प्राइवेट अस्पताल का पीड़ित रोकर गया था ट्रोमा वार्ड में
वहीं अस्पताल सूत्रों से यह भी पता चला है कि सड़क हादसे में घायल व्यक्ति को उसका बेटा उपचार के लिए ट्रोमा वार्ड लेकर आया तो एक वार्ड अटैंडैंट ने हालात गंभीर होने का कहकर घायल व्यक्ति को एम्बुलैंस मंगवाकर अपने चहेते प्राइवेट अस्पताल भेज दिया। उक्त अस्पताल प्रबंधकों ने बिल लाखों में बना दिया और व्यक्ति के पास पैसे कम थे। वह ट्रोमा वार्ड पहुंचा ताकि उक्त वार्ड अटैंडैंट को मिल सके लेकिन वह उसे नहीं मिला और वह रोकर  चला गया। हालांकि इस मामले में थाना-8 की पुलिस ने पीड़ित व्यक्ति की मदद कर अस्पताल से पैसे कम करवाए थे।

कुछ डाक्टर खुद मरीज ढूंढने आते हैं सिविल अस्पताल  
सिविल अस्पताल का ट्रोमा वार्ड इतना प्रसिद्ध हो चुका है कि यहां उपचाराधीन मरीजों को अपने अस्पतालों में लेकर जाने के लिए कुछ बड़े अस्पतालों के डाक्टर खुद आते हैं और वार्ड अटैंडैंट की कमीशन बढ़ाने की बात तक कहते हैं। हाल में ही एक डाक्टर ने ट्रोमा वार्ड के वार्ड अटैंडैंट तथा कुछ एम्बुलैंस चालकों को चिक-चिक हाऊस के पास स्थित एक होटल में शानदार पार्टी भी दी थी। 

जल्द ही बदले जाएंगे पुराने वार्ड अटैंडैंट : डा. बावा
 इस मामले में सिविल अस्पताल की मैडीकल सुपरिटैंडैंट (एम.एस)डा. जसमीत बावा ने कहा कि उन्हें भी ऐसी शिकायतें  मिल रही हैं कि कुछ वार्ड अटैंडैंट गलत काम कर रहे हैं। वह जल्द ही सभी वार्ड अटैंडैंट को बदल कर उन्हें दूसरे वार्ड मे शिफ्ट करेंगी और इसके साथ अस्पताल के बाकी वार्ड भी चैक करवाएंगी।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!