Edited By Vatika,Updated: 19 Apr, 2019 01:24 PM
शहर के दो-चार वार्डों को यदि छोड़ दिया जाए तो जालंधर के 75 के करीब पार्षदों को इस समय कूड़े व सफाई की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इनमें से ज्यादातर पार्षद ऐसे हैं जो पिछले काफी समय से कूड़ा ढोने वाले रेहड़ों को लेकर तरस रहे हैं।
जालंधर(खुराना): शहर के दो-चार वार्डों को यदि छोड़ दिया जाए तो जालंधर के 75 के करीब पार्षदों को इस समय कूड़े व सफाई की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इनमें से ज्यादातर पार्षद ऐसे हैं जो पिछले काफी समय से कूड़ा ढोने वाले रेहड़ों को लेकर तरस रहे हैं।
पिछले साल नगर निगम ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत मिले पैसों को खर्च करने के लिए जहां स्मार्ट बिन लगाने की योजना बनाई थी, वहीं पहले चरण में 100 के करीब बिन लगे रेहड़ों की खरीद का फैसला किया गया था। इस फैसले पर अभी अमल नहीं हुआ है, क्योंकि कोई कम्पनी यह टैंडर भरने के लिए आगे नहीं आ रही है। अब चुनावी कोड ऑफ कंडक्ट लगा हुआ है जिसके कारण रेहड़ों की खरीद इत्यादि की प्रक्रिया लटकी हुई है।
दूसरी ओर लम्मा पिंड चौक स्थित निगम की वर्कशॉप में इस समय 150 से ज्यादा रेहड़े पड़े हुए हैं जिन्हें जंग लग चुका है। निगम ने कई साल पहले इन रेहड़ों को खरीदा था, परंतु सफाई कर्मचारियों ने इन्हें लेने से यह कह कर इंकार कर दिया कि ये रेहड़े वार्डों में चलने लायक नहीं हैं। बाद में इन रेहड़ों में फेरबदल भी करवाया गया, परंतु फिर भी आज तक इनका इस्तेमाल नहीं हो सका है।
हैरानीजनक बात यह है कि किसी निगम कमिश्रर या किसी मेयर ने इस स्कैंडल की ओर ध्यान नहीं दिया और न ही इनकी जांच करवाने की जरूरत समझी कि आखिर रेहड़ों के नाम पर सरकारी धन का दुरुपयोग किस अधिकारी के कहने पर हुआ? इस बीच यह भी पता चला है कि निगम के कई पार्षदों ने अपने पैसे खर्च कर रेहड़े बनवा रखे हैं जिसके कारण उनके वार्डों में थोड़ी-बहुत सफाई हो पा रही है वर्ना समस्या काफी बढ़ सकती है।