टाइप-1 सेवा केन्द्र का हुआ बुरा हाल; खुद को DC से कम नहीं समझते डाटा एंट्री आप्रेटर

Edited By Vatika,Updated: 21 May, 2018 10:17 AM

suwidha centre

टाइप-1 सेवा केन्द्र की मौजूदा हालत को देखकर अनायास ही गाना ‘असां हुण तुर जाणा ए, दिन रह गए थोड़े...’ याद आ जाता है, क्योंकि जैसे-जैसे निजी कंपनी बी.एल.एस. के साथ हुए प्रदेश सरकार के एग्रीमैंट की टर्मिनेशन की तारीख नजदीक आती जा रही है

जालंधर(अमित): टाइप-1 सेवा केन्द्र की मौजूदा हालत को देखकर अनायास ही गाना ‘असां हुण तुर जाणा ए, दिन रह गए थोड़े...’ याद आ जाता है, क्योंकि जैसे-जैसे निजी कंपनी बी.एल.एस. के साथ हुए प्रदेश सरकार के एग्रीमैंट की टर्मिनेशन की तारीख नजदीक आती जा रही है, आम जनता की परेशानी भी बढऩे लगी है। टाइप-1 सेवा केन्द्र का हाल पूरी तरह से बेहाल हो चुका है और यहां आने वाले लोगों के मुंह से केवल यही शब्द निकलते हैं कि सुविधा सैंटर में आकर काम करवाने का अनुभव इससे कम-से-कम हजार गुना बेहतर था। 

जनता से रूखा व्यवहार करते हैं कर्मचारी
यहां काम करने वाले स्टाफ का जनता के प्रति बर्ताव बेहद रूखा हो चुका है। बार-बार कहने पर भी जनता की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। ज्यादातर स्टाफ अपनी मनमर्जी से काम करता है। यहां तक कि जिला प्रशासन के अधिकारी भी खुद को इनके सामने बेबस महसूस कर रहे हैं। दबी जुबान में अधिकारियों का कहना है कि मामूली वेतन लेकर बतौर डाटा एंट्री आप्रेटर काम करने वाले कर्मचारी खुद को डी.सी. से भी ऊपर समझ रहे हैं और जनता की सेवा करने की जगह केवल अपनी जेबें भरने का काम ही कर रहे हैं। सुबह 8 बजे ही टाइप-1 सेवा केन्द्र के बाहर लंबी कतारें लग जाती हैं, मगर घंटों कतार में खड़े रहने के बाद भी बड़ी संख्या में लोगों को किसी न किसी कारण से हताश होकर वापस लौटना पड़ता है। 

सरकारी खजाने में जमा नहीं हो रही फीस
सूत्रों की मानें तो पिछले कुछ समय से निजी कंपनी द्वारा वसूली जा रही सरकारी फीस भी खजाने में जमा नहीं करवाई जा रही है। यह कंपनी के खाते में जा रही है या फिर कुछ लालची किस्म के कर्मचारी अपनी जेब में ही रख रहे हैं, इसको लेकर फिल्हाल कुछ भी स्पष्ट नहीं है, मगर इतना तय है कि जैसे ही कंपनी के एग्रीमैंट की शर्तों के अनुसार आखिरी तारीखों में अकाऊंटिग की जाएगी, इस पूरे मामले का खुलासा अवश्य होगा जिसमें कई लोगों के फंसने की संभावना जताई जा रही है। 

यह है टर्मिनेशन की प्रक्रिया
गौर हो कि प्रदेश सरकार द्वारा 24 जनवरी, 2018 को मौजूदा समय में सेवा केन्द्रों का काम देख रही निजी कंपनी बी.एल.एस. का कांट्रैक्ट रद्द करने का फैसला लिया गया था जिसके बाद 30 जनवरी, 2018 को कंपनी को इस संबंधी एक नोटिस जारी करके 180 दिन की समयसीमा दी गई थी। प्रदेश सरकार सेवा केन्द्रों के फिर से टैंडर निकाल रही है और इसके लिए जरूरी प्रक्रिया आरंभ की जा चुकी है। प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए फैसले के बाद जहां पहले पूरे प्रदेश में कुल 2142 सेवा केन्द्र काम रह रहे थे, अब उनकी गिनती घटकर केवल 510 रह जाएगी जिनमें 249 अर्बन व 261 रूरल सेवा केन्द्र होंगे। 

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