परिवहन विभाग में समाप्त होगा स्मार्ट चिप का साम्राज्य

Edited By Vatika,Updated: 26 Sep, 2018 11:45 AM

smart chip company

परिवहन विभाग के अंदर पिछले 8 महीने से स्मार्ट चिप कंपनी के एग्रीमैंट को रद्द कर नई कंपनी को टैंडर दिए जाने की चर्चा उस समय सही साबित हुई, जब विभाग की तरफ से प्रदेश में ड्राइविंग लाइसैंस और आर.सी. (रजिस्ट्रेशन सर्टीफिकेट) व अन्य फुटकल सेवाओं के लिए...

जालंधर(अमित): परिवहन विभाग के अंदर पिछले 8 महीने से स्मार्ट चिप कंपनी के एग्रीमैंट को रद्द कर नई कंपनी को टैंडर दिए जाने की चर्चा उस समय सही साबित हुई, जब विभाग की तरफ से प्रदेश में ड्राइविंग लाइसैंस और आर.सी. (रजिस्ट्रेशन सर्टीफिकेट) व अन्य फुटकल सेवाओं के लिए आऊटसोर्सिंग करने संबंधी टैंडर नोटिस जारी कर दिया। सरकार के इस फैसले के बाद 2011 से बतौर बूट-आप्रेटर कार्यरत स्मार्ट चिप कंपनी का साम्राज्य समाप्त होने वाला है।

सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले से आम जनता को भ्रष्टाचार से राहत मिलेगी। इतना ही नहीं इस कदम से विभाग की निरंतर गिरती हुई साख भी बढ़ेगी।  गौर हो कि पूर्व अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार द्वारा साल 2011 में एग्रीमैंट कर पूरे प्रदेश के अंदर आर.सी. और लाइसैंस से संंबंधित सारा कामकाज निजी कंपनियों के हवाले किया गया था। 2016 में एग्रीमैंट की अवधि समाप्त हो गई थी, मगर तत्कालीन सरकार द्वारा इसे 5 साल के लिए दोबारा से बढ़ा दिया गया था।  प्रदेश में उक्त सेवाएं देने वाली दोनों कंपनियां स्पैनको लिमिटिड और स्मार्ट चिप द्वारा जनता को महंगे दामों पर सेवाएं उपलब्ध करवाने की वजह से एग्रीमैंट रद्द किया गया था और आर.सी. व लाइसैंस का सारा कामकाज एन.आई.सी. (नैशनल इन्फोर्मैटिक्स सैंटर) को सौंपने के लिए कहा गया था, क्योंकि एन.आई.सी. और एन.आई.सी.एस.आई. (नैशनल इन्फोर्मैटिक्स सैंटर सर्विस इन्कार्पोरेटिज) द्वारा चंडीगढ़, राजस्थान और यू.पी. में यही काम काफी कम दाम पर किया जा रहा है। मगर निजी कंपनी के माननीय हाईकोर्ट में जाने से उक्त फैसले पर अस्थाई तौर पर रोक लग गई थी। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकार और कंपनी के बीच आपसी सहमति बनने के बाद कंपनी को कुछ बकाया राशि देने के साथ-साथ & महीने की अवधि प्रदान की गई है। इस दौरान सरकार द्वारा सारे काम को किसी नई कंपनी को सौंपने संबंधी सारी औपचारिकताएं पूरी की जानी हैं।

क्या है विभाग द्वारा जारी टैंडर नोटिस?
विभाग की तरफ से स्टेट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर (एस.टी.सी.), चंडीगढ़ द्वारा 21 सितम्बर, 2018 को एक टैंडर नोटिस जारी किया गया है, जिसमें साफ किया गया है कि 5 साल के अर्से के लिए पंजाब में ड्राइविंग लाइसैंस और आर.सी. व अन्य फुटकल सेवाएं प्रदान करने के लिए ऑनलाइन टैंडर भरे जा सकते हैं। तकनीकी प्रस्ताव प्रोजैक्ट मैनेजर दफ्तर एस.टी.सी. को पेश किए जा सकते हैं। वित्तीय बोली आर.एफ.पी. के वॉल्यूम-1 में दिए शैड्यूल के अनुसार ऑनलाइन होगी।

कर्मचारियों के चेहरे मुरझाए 
जिस दिन से सरकार ने निजी कंपनी का एग्रीमैंट रद्द करने की घोषणा की थी, उसी दिन से यहां काम करने वाले कर्मचारी उदास नजर आ रहे थे। मगर सरकार द्वारा टैंडर नोटिस जारी होने की खबर ने तो स्मार्ट चिप में काम करने वाले लगभग सभी कर्मचारियों के होश ही उड़ाकर रख दिए हैं। कंपनी द्वारा काम बंद करने की बात का पता लगने से सारे कर्मचारियों के चेहरे बुरी तरह से मुरझाए हुए हैं। सभी को अपनी नौकरी जाने का डर सताने लगा है।  दबी जुबान में कर्मचारियों का कहना है कि ऐसा लगता है कि उन्हें नौकरी से निकालने का आदेश किसी भी समय मिल सकता है।


आर.सी. और लाइसैंस के लिए कहां कितनी राशि ली 
प्रदेश में आर.सी. के लिए कंपनी द्वारा 136 रुपए प्रति आर.सी. वसूले जा रहे हैं, जबकि आर.सी. के लिए राजस्थान में 55 रुपए, कर्नाटका में 6& रुपए, झारखंड में 41 रुपए और यू.पी. में 55 रुपए लिए जा रहे हैं। इसी तरह से प्रदेश में लाइसैंस के लिए 66 रुपए लिए जाते हैं, जबकि छत्तीसगढ़ में 49, यू.पी. में 44.5, झारखंड में 41, राजस्थान में 55 और चंडीगढ़़ में 45 रुपए लिए जा रहे हैं। 

एन.आई.सी. और ट्रांसपोर्ट सोसायटी में नौकरी लेने के लिए लगाने लगे जुगाड़
सूत्रों के अनुसार बहुत से कर्मचारी ऐसे हैं, जिन्होंने एन.आई.सी. और ट्रांसपोर्ट सोसायटी में नौकरी लेने के लिए जुगाड़ लगाना भी आरंभ कर दिया है, क्योंकि उनका मानना है कि अगर स्मार्ट चिप उन्हें निकालती है तो उनके पास केवल एन.आई.सी. और सोसायटी में जाने का ही विकल्प बचता है। कोई भी कर्मचारी आर.टी.ए. दफ्तर में मलाइदार सीटों का मोह त्याग नहीं पा रहा है। हर किसी की यही कोशिश है कि उसकी जॉब बनी रहे और उसकी जगह किसी अन्य को न दी जाए। इसके लिए कुछ विधायकों और उच्चाधिकारियों के पास जाकर भी गुहार लगाए जाने की सूचना है।

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