पाकिस्तानी ‘धृतराष्ट्रों’ के तीरों से छलनी हो रहा है तरेवा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Mar, 2018 11:47 AM

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पाकिस्तान व भारत के बीच वर्ष 2003 में सीजफायर (युद्ध विराम) बारे एक समझौता हुआ था जिसमें कहा गया था

जालंधर/जम्मूः पाकिस्तान व भारत के बीच वर्ष 2003 में सीजफायर (युद्ध विराम) बारे एक समझौता हुआ था जिसमें कहा गया था कि भविष्य में एक-दूसरे के सीमांत क्षेत्रों एवं लोगों पर कोई भी पक्ष गोलीबारी नहीं करेगा। कुछ महीने इस समझौते का पालन भी हुआ, पर बाद में पाकिस्तान ने न केवल इस समझौते को अनदेखा किया बल्कि भारतीय क्षेत्रों की ओर अपनी बंदूकों के मुंह खोल कर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। इस गोलीबारी ने जम्मू-कश्मीर के सैंकड़ों गांवों के लोगों को कई बार अपने घरों से उजडऩे के लिए मजबूर किया। पाकिस्तानी धृतराष्ट्रों की ओर से बरसाए जाते अग्रिबाणों से छलनी हो रहे गांवों में सरहद किनारे बसा आर.एस. पुरा सैक्टर का गांव तरेवा भी शामिल है। इस गांव का कोई घर ऐसा नहीं जिसे गोलियों की दहशत न सहनी पड़ी हो। अधिकतर घरों की दीवारें व छतें गोलियों एवं मोर्टारों से क्षतिग्रस्त हो गई हैं। इस गांव पर हर समय पाकिस्तानी गोलीबारी का खतरा मंडराता रहता है। लोग अपने खेतों में जाने से डरते हैं। महिलाएं घरों में चूल्हा-चौका करते समय भी सहमी रहती हैं। बच्चे स्कूल जाने से डरते हैं। सरकार ने कोई सहायता तो क्या देनी है पीड़ितों का हाल पूछने तक नहीं आती। इन पीड़ित लोगों का दर्द पहचानते ही श्री विजय कुमार चोपड़ा जी ने पंजाब केसरी के राहत फंड काफिले को समय- समय पर तरेवा के मार्ग पर भेजा जिससे कि सहमे-सहके लोगों को कुछ दिलासा पहुंचाई जा सके।

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इस बार तरेवा के प्रभावित लोगों को 468वें ट्रक की सामग्री बांटी गई जोकि लीना ग्रोवर ट्रस्ट कपूरथला की ओर से चेयरमैन धर्मपाल ग्रोवर के यत्नों से भिजवाई गई थी। इस अवसर पर गांव के समाज सेवक गुरिन्द्रजीत सिंह काहलों (जैलदार) की देखरेख में जरूरतमंदों को आटा, चावल एवं कंबल उपलब्ध करवाए गए। राहत फंड काफिले के अग्रणी जे.बी. सिंह चौधरी ने राहत लेने आए परिवारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि सरहदी क्षत्रों के लोग कई वर्षों से पाकिस्तान की ओर से की जाती गोलीबारी की तपन सहन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र के साथ-साथ यह जम्मू-कश्मीर सरकार की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह इन लोगों के लिए उच्च स्तर पर कदम उठाए जिससे कि इनका दुख-दर्द कम किया जा सके। इस दौरान पंजाब केसरी पत्र समूह की ओर से घावों पर मरहम लगाने का सिलसिला जारी रखा जाएगा।


गुरिन्द्रजीत सिंह काहलों (जैलदार) ने कहा कि इन गांव वासियों की तकलीफ केवल इतनी ही नहीं कि वे पाकिस्तानी गोलीबारी को सहन कर रहे हैं बल्कि यह भी है कि हमारी सरकारों का बर्ताव ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों हुई भारी गोलीबारी से गांव के अनगिनत मकानों की छतों में दरारें आ गईं, कई मकान ढह गए परंतु कोई सरकारी सहायता अब तक नहीं मिली। श्री काहलों ने कहा कि उनकी एक बोलैरो गाड़ी, 2 ट्रैक्टर, 5 मोटरसाइकिल मोर्टार लगने से तबाह हो गए परंतु उनको न कोई मुआवजा मिला एवं न इंश्योरैंस मिली। 


अधिकारी कहते हैं कि पाकिस्तानी गोलीबारी से तबाह हुई वस्तुओं का कोई क्लेम नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि इंश्योरैंस की नीति में सुधार करना चाहिए जिससे नुक्सान की भरपाई हो सके। उन्होंने यह भी कहा कि जिनके मकानों को नुक्सान पहुंचा है उन्हें तुरंत मुआवजा मिलना चाहिए। 


पीड़ित परिवारों को सम्बोधित करते समाज सेवक बसंत सैनी ने कहा कि मुश्किल समय में पंजाब केसरी के श्री विजय कुमार चोपड़ा ने पीड़ित लोगों की बाजू पकड़ी है एवं उनके यत्नों से सामग्री के सैंकड़ों ट्रक भिजवाए गए हैं। इस मदद से दुखी लोगों को दिलासा मिला है एवं वह उम्मीद करते हैं कि भविष्य में भी यह मदद जारी रहेगी। इस अवसर पर इकबाल सिंह अरनेजा, कुलदीप गुप्ता ने भी सम्बोधित किया।


मर-मर के जी रहे हैं : अंजू बाला
राहत सामग्री लेने आई अंजू बाला ने कहा कि गोलियों की बरसात के कारण वे मर-मर के जी रहे हैं। इस बात का पता नहीं लगता कि कब अचानक फायरिंग शुरू हो जाती है। पिछले दिनों जनवरी महीने में मोर्टार के कारण उनका घर ढह गया। आखिर वह अपने पति व तीन बच्चे लेकर कहां जाए। वे दिहाड़ी मजदूरी करके रोटी का प्रबंध मुश्किल से करते हैं, फिर घर कैसे बनाएं? सरकार की ओर से कोई सहायता नहीं मिली। आज जो आटा, चावल, कंबल मिले हैं, हमारे लिए बड़ी बात है।


गोले से घर का सामान भी जल गया : चैंचला देवी
राहत सामग्री लेने वाले परिवारों में शामिल चैंचला देवी की आपबीती भी सुनकर आंखें भर आती हैं। उसने बताया कि जनवरी में हुई फायरिंग में उनके मकान का लैंटर ही फट गया एवं बिजली की फिटिंग सहित अन्य सामान भी जल गया। हमारी हैसियत तो बच्चे पालने की भी नहीं फिर मकान कैसे बने एवं सामान कहां से आए। दर-दर की ठोकरें खाकर घर चला रहे हैं। पंजाब से आई मदद से कुछ हौसला मिला है। सरकार को चाहिए कि वह मकानों का मुआवजा दे जिससे हम छत बना सकें।

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