गर्मियों में खुद ही बचें ‘लू’ से...

Edited By swetha,Updated: 14 Apr, 2018 11:33 AM

safe yourself in the summer

गर्मियों में सबसे ज्यादा ‘लू’ सताती है, पर इससे आप खुद ही बचें तो बेहतर है क्योंकि अगर आप इस लू की चपेट में आ जाते हैं तो आपको किसी प्रकार की कोई सरकारी मदद मिलने वाली नहीं है क्योंकि सरकार लू को प्राकृतिक आपदा नहीं मानती है। जबकि देश में लू तीसरी...

जालंधर (बुलंद): गर्मियों में सबसे ज्यादा ‘लू’ सताती है, पर इससे आप खुद ही बचें तो बेहतर है क्योंकि अगर आप इस लू की चपेट में आ जाते हैं तो आपको किसी प्रकार की कोई सरकारी मदद मिलने वाली नहीं है क्योंकि सरकार लू को प्राकृतिक आपदा नहीं मानती है। जबकि देश में लू तीसरी सबसे बड़ी ऐसी प्राकृतिक आपदा है जिससे हर साल हजारों लोगों की मौत हो जाती है। एक सर्वे के अनुसार साल 2015 में देश में लू के प्रकोप से 2040 लोगों की मौत हो गई थी लेकिन फिर भी सरकार लू को आपदा नहीं मानती।

सरकारी रिकार्ड में ‘लू’ क्या है
मामले बारे जानकार बताते हैं कि सरकारी रिकार्ड में लू, हीट स्ट्रोक या गर्मी के कारण शरीर में पानी कम हो जाने से आई कमजोरी के कारण हुई मौत को ही लू से हुई मौत माना जाता है, पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एन.डी.एम.ए.) के अनुसार लू पर्यावरण तापमान की वह स्थिति है जो मानसिक रूप से थका देती है जिससे कई बार मौत भी हो जाती है। जानकारों की मानें तो लू से मरने का कारण पता लगाना आसान नहीं है और इस कारण आॢथक मदद नहीं मिल पाती। इसका सबूत यह है कि आंध्र प्रदेश में पिछले साल लू से मरने वालों को सरकार ने 1-1 लाख रुपए की मदद देने का ऐलान किया था पर मदद बेहद कम लोगों को मिल सकी क्योंकि अधिकतर केसों में साबित ही नहीं हो सका कि मौत लू लगने से हुई है या किसी और कारण से।

लू नहीं है कोई आपदा
जानकारों की मानें तो राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन कानून 2005 तथा आपदा प्रबंधन की राष्ट्रीय नीति 2009 में लू को प्राकृतिक आपदाओं की सूची में शामिल नहीं किया गया। इस कारण अगर कोई लू के कारण जान गंवा बैठता है तो उसके बाद उसके परिजनों को मदद के नाम पर कुछ नहीं मिलेगा क्योंकि हमारे देश में आॢथक तौर पर लू पीड़ितों के लिए खजाना खाली है।

25 वर्षों में लू से हुई देश में 25,716 मौतें
जानकार बताते हैं कि हाल में ही इस आपदा के बारे कैलिफोॢनया यूनिवॢसटी व आई.आई.टी. दिल्ली तथा मुंबई ने मिलकर अध्ययन किया है। इस अध्ययन से पता चला है कि 1960 से लेकर 2009 तक के सालों में गर्मियों के दौरान लगातार तापमान में बढ़ौतरी दर्ज की गई है। इसके चलते लू भी बढ़ी है और लू से मरने वालों की संख्या भी। इस समय में लू की घटनाओं में ज्यादा इजाफा देश के उत्तर, दक्षिण व पश्चिम भागों में दर्ज किया गया है। 

जानकारों की मानें तो पिछले 25 वर्षों में भारत में लू से मरने वालों की संख्या में 50 फीसदी वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार भारत में साल 1992 से 2016 के बीच भारत में 25,716 लोगों की लू लगने से मौत हुई है। बात राज्यों की करें तो देश के राज्यों की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार 2015 में लू से 2040 लोग और 2016 में 1111 लोग मरे हैं। इतना ही नहीं लू और सूर्य की गर्मी के प्रकोप से वन्य जीवों, पक्षियों की भी मौत दर में बढ़ौतरी हुई है। क्लाइमेट मॉनिटरिंग एंड अनालिसिस ग्रुप की ओर से जारी वार्षिक रिपोर्ट 2016 की मानें तो अप्रैल-मई 2016 के बीच एक माह में अकेले तेलंगाना में 300 लोग लू लगने से मारे गए थे। इसी समय दौरान आंध्र प्रदेश में 100 लोग लू का शिकार हुए और 87 लोग गुजरात में व 43 लोग महाराष्ट्र में मारे गए।

कैसे बचें लू से

मामले बारे कार्डियोलॉजिस्ट डा. वी.पी. शर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि लू लगने के सबसे ज्यादा चांस मई से अगस्त के बीच में होता है। हाई टैम्प्रेचर से लू लगने का खतरा ज्यादा रहता है। उन्होंने कहा कि लू लगने पर सबसे पहले दिमाग पर असर होता है और दिमाग काम करना बंद कर देता है। इस दौरान शरीर का सिस्टम गड़बड़ा जाता है। डा. शर्मा ने बताया कि लू से बचने के लिए गर्मियों में सूरज की तेज गर्मी से बचाव रखना चाहिए और अगर सूरज की गर्मी का सामना करना पड़ता भी है तो अपना शरीर सूती (कॉटन) के कपड़ों से ढंक कर रखें। साथ ही सबसे जरूरी है कि पानी ज्यादा पीएं और शरीर में पानी की कमी न होने दें। अगर लगता है कि शरीर का सिस्टम डिस्टर्ब हो रहा है तो तुरंत डाक्टर के पास जाकर चैकअप करवाएं।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!