नंबरदार के खिलाफ आई शिकायत में बरी होने का मामला: तहसीलदार ने नहीं दी RTI के तहत जानकारी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 May, 2018 02:27 PM

right to information act

गढ़ा वहिंदा इलाके के नंबरदार कीमती लाल ने एस.डी.एम.-1 राजीव वर्मा की अदालत में तहसीलदार-1 करणदीप सिंह भुल्लर के खिलाफ आर.टी.आई. के तहत जानकारी न देने पर अपील दायर की है जिसमें अगली सुनवाई 10 मई तय की गई है।

जालंधर(अमित): गढ़ा वहिंदा इलाके के नंबरदार कीमती लाल ने एस.डी.एम.-1 राजीव वर्मा की अदालत में तहसीलदार-1 करणदीप सिंह भुल्लर के खिलाफ आर.टी.आई. के तहत जानकारी न देने पर अपील दायर की है जिसमें अगली सुनवाई 10 मई तय की गई है।


दोनों पक्षों की बात सुनकर बनती कार्रवाई की जाएगी : एस.डी.एम.-1 
एस.डी.एम.-1 राजीव वर्मा ने कहा कि नंबरदार द्वारा उनके पास आर.टी.आई. एक्ट के अंतर्गत अपील दायर की गई है। इसके लिए दोनों पक्षों की बात सुनकर कानून अनुसार बनती कार्रवाई की जाएगी। अगर नंबरदार द्वारा मांगी गई जानकारी देने लायक होगी तो तहसीलदार को आदेश जारी किया जाएगा। 


क्या है मामला, क्यों दायर की गई अपील?
नंबरदार कीमती लाल का कहना है कि तहसीलदार-1 करणदीप सिंह भुल्लर के पास उसके खिलाफ लिखित शिकायत आई थी जिसमें उसके ऊपर विरासत तस्दीक न करने और जानबूझ कर परेशान करने के आरोप लगाए गए थे। तहसीलदार ने शिकायत पर एक्शन लेते हुए नंबरदार को एक नोटिस जारी करते हुए उसे 11 जुलाई, 2017 को अपना पक्ष रखने के लिए प्रस्तुत होने के लिए कहा। कीमती लाल ने कहा कि शिकायतकत्र्ता राजेश कुमार का कहना था कि बूटा राम पुत्र स्व. हशनाक राय का 19-12-1995 को निधन हो जाने की वजह से उनकी विरासत का इंतकाल दर्ज व मंजूर करने के लिए सुशील कुमार पुत्र स्व. बूटा राम की तरफ से आवेदन दिया गया जिस संबंधी 25-05-2017 को सेवा केन्द्र से हल्फिया बयान तस्दीक करवाकर पटवारी को दिया गया था। इस संंबंधी पटवारी ने नंबरदार से रिपोर्ट मांगी थी परंतु उक्त नंबरदार के पास बार-बार जाने के बावजूद उसने विरासत तस्दीक नहीं की। शिकायतकत्र्ता ने आरोप लगाया था कि नंबरदार पैसों की डिमांड करना चाहता है और उक्त नंबरदार बिना पैसों के कोई काम नहीं करता है इसलिए नंबरदार के खिलाफ बनती कार्रवाई करके उसका विरासत इंतकाल दर्ज करवाने में मदद की जाए। इस मामले में कीमती लाल का कहना था कि उसने इंतकाल के साथ संबंधित सारे दस्तावेज मांगे थे मगर शिकायतकत्र्ता ने कोई भी दस्तावेज देने से साफ तौर पर इंकार कर दिया था। इंतकाल लगभग 22 साल पुराना है और जब तक वह सही वारिसों की पड़ताल नहीं कर लेते हैं तब तक वह इसे तस्दीक नहीं कर सकते। इतना ही नहीं शिकायतकत्र्ता बूटा राम का कानूनी वारिस ही नहीं है। जहां तक रिश्वत मांगने की बात है तो उसने कोई रिश्वत नहीं मांगी थी। इस मामले में शिकायतकत्र्ता को बार-बार बुलाने पर भी जब वह नहीं आया तो तहसीलदार ने 9 अक्तूबर, 2017 को केस फाइल कर दिया था। इसके बाद नंबरदार ने तहसीलदार से गढ़ा वहिंदा के हदबस्त नं. 304 की कापी मांगी थी। इसके साथ ही उसने अपने केस से संबंधित सारी जानकारी की मांग भी की थी जिसमें 50 दिन तक कोई जवाब न आने पर उसे मजबूरन फस्र्ट एपीलैंट अथार्टी एस.डी.एम.-1 के पास अपील करनी पड़ी थी।

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