61 साल बाद रैवेन्यू विभाग ने सुधारी भूल बनी 93 परिवारों की मुसीबत का कारण

Edited By Vatika,Updated: 09 May, 2018 11:05 AM

revenue department

रैवेन्यू विभाग के अंदर होने वाले कारनामे किसी से छिपे नहीं हैैं। आए दिन किसी न किसी जगह पर रैवेन्यू रिकार्ड में खामियों की वजह से लोगों को होने वाली परेशानी के बारे में सुनने को मिलता रहता है। मामूली खामियों के कारण होने वाले नुक्सान को किसी तरह से...

जालंधर (अमित): रैवेन्यू विभाग के अंदर होने वाले कारनामे किसी से छिपे नहीं हैैं। आए दिन किसी न किसी जगह पर रैवेन्यू रिकार्ड में खामियों की वजह से लोगों को होने वाली परेशानी के बारे में सुनने को मिलता रहता है। मामूली खामियों के कारण होने वाले नुक्सान को किसी तरह से पूरा किया जा सकता है मगर कोई खामी जिसकी कोई भरपाई ही न हो सके और जिसकी वजह से लोगों की जीवन भर की पूंजी एकदम से जाती हुए नजर आए, ऐसी ही एक खामी किंगरा के रैवेन्यू रिकार्ड में देखने को मिल रही है। 

इसमें रैवेन्यू विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की एक मामूली-सी भूल जिसे 61 साल बाद सुधारा गया, का खामियाजा लगभग 93 परिवारों को भुगतना पड़ रहा है। लापरवाही किसी और ने की और नुक्सान उठाना पड़ रहा है उन लोगों को जिन्होंने अपने पूरे जीवन की पूंजी लगाकर अपने सपनों का आशियाना बनाया। मगर अचानक रातों-रात रैवेन्यू रिकार्ड में उनका रकबा ही गायब हो गया और वे अपनी जमीन के ही मालिक नहीं रहे। उक्त 93 परिवार पिछले लंबे समय से इधर-उधर भटक रहे हैं, मगर आज तक उनकी कहीं भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उनकी खून-पसीने की गाढ़ी कमाई एक पल में ही खत्म हो चुकी है। 

 

क्या है मामला, कैसे हुआ 93 लोगों को नुक्सान?
गांव किंगरा के अधीन आने वाले खसरा नं. 332 और 384 के तहत लगभग 10 कनाल रकबा जमीन जो ग्रीन मॉडल टाऊन के आस-पास पड़ती है, उसे सरकार द्वारा एक नोटीफिकेशन नं. 134-डिवैल्पमैंट-49-2 मिति 9-9-1955 जारी करके पब्लिक हैल्थ डिपार्टमैंट के नाम पर एक्वायर किया गया था। ताकि सीवरेज डिस्पोजल व कुछ अधिकारियों के लिए कोठियां बनाई जा सकें। उस समय रैवेन्यू रिकार्ड के अंदर गिरदावरी में भी पब्लिक हैल्थ डिपार्टमैंट की एंट्री दर्ज हो गई थी। मगर रैवेन्यू अधिकारियों व 
कर्मचारियों की लापरवाही की वजह से उक्त जमीन का इंतकाल ही दर्ज नहीं किया गया था। 

इस वजह से रैवेन्यू रिकार्ड में उक्त जमीन अपने पुराने मालिकों के नाम पर ही बोलती रही। इस बीच जालंधर के अंदर नगर निगम का गठन हो गया और सारी जमीन नगर निगम जालंधर के नाम पर ट्रांसफर हो गई। मगर निगम द्वारा भी इतने बड़े मामले की तरफ कोई ध्यान ही नहीं दिया गया और इसका इंतकाल निगम के नाम पर दर्ज करवाने संबंधी कोई कार्रवाई ही नहीं की गई। इसी बीच 1985-86 में तत्कालीन रैवेन्यू अधिकारियों (पटवारियों) ने रैवेन्यू रिकार्ड में अपनी मनमानी करते हुए गलत ढंग से तबदीली करते हुए पब्लिक हैल्थ डिपार्टमैंट को उक्त खसरा नंबरों में से गिरदावरी से भी निकाल दिया। जिस वजह से पुराने जमीन मालिक बिना किसी रोक-टोक के इस जमीन की खरीदो-फरोख्त करते रहे। मार्कीट में दोबारा से बिकी इस जमीन की खसरा नं. 383 के अंदर इस एरिए की लगभग 20 रजिस्ट्रियां हो गईं जबकि खसरा नं. 384 में लगभग 73 रजिस्ट्रियां हो गईं। जहां लोगों ने अपने-अपने मकान बना लिए और कुछ लोगों ने तो बैंकों से लोन भी ले लिया। 

2016-17 में जब नगर निगम और सरकारी अधिकारियों को अपनी गलती का अहसास हुआ कि जिस जगह को 1954 में एक्वायर किया गया था, रैवेन्यू रिकार्ड में तो सरकार उक्त जगह की मालिक ही नहीं है तो इस जमीन का इंतकाल करवाने और रैवेन्यू रिकार्ड में दुरुस्ती करवाने के लिए भागदौड़ शुरू हो गई। रैवेन्यू विभाग को भी जब अपनी भूल का अहसास हुआ तो एफ.सी.आर. ने खसरा नं. 383 और 384 में एक्वायर की गई जमीन को दोबारा से सरकार के हक में करते हुए नगर निगम के नाम पर दर्ज करने का ऑर्डर जारी कर दिया।इसके बाद 7-12-2016 को तत्कालीन तहसीलदार ने पुरानी नोटीफिकेशन के आधार पर उक्त रकबे का तबदील मलकीयत मंजूर कर दिया। इसके बाद एकदम से 93 लोगों की जायदाद में से 1 मरले से लेकर 6 मरले तक की जगह रैवेन्यू रिकार्ड में कम हो गई। इन लोगों के पास अपने-अपने मकानों की रजिस्ट्रियां तो हैं और जमीनी स्तर पर कब्जा भी है, मगर रैवेन्यू रिकार्ड के अंदर वे कुछ मरले जमीन का मालिकाना हक गंवा चुके हैैं। 

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