Edited By swetha,Updated: 21 Feb, 2019 09:13 AM
शहर की सुरक्षा व्यवस्था में सुधार व क्राइम पर रोक लगाने के उद्देश्य से पुलिस प्रशासन द्वारा समय-समय पर निर्देश जारी किए जाते हैं जिसके तहत दूसरे राज्यों और जिलों से शहर में रहने वाले किराएदारों की सूचना अपने नजदीकी पुलिस थानों में दर्ज करवानी जरूरी...
जालंधर(स.ह.): शहर की सुरक्षा व्यवस्था में सुधार व क्राइम पर रोक लगाने के उद्देश्य से पुलिस प्रशासन द्वारा समय-समय पर निर्देश जारी किए जाते हैं जिसके तहत दूसरे राज्यों और जिलों से शहर में रहने वाले किराएदारों की सूचना अपने नजदीकी पुलिस थानों में दर्ज करवानी जरूरी है। ‘पंजाब केसरी’ द्वाराथाना 4 में दर्ज किराएदारों का विवरण मांगने पर हैरानीजनक तथ्य सामने आया है कि 2013 के बाद यानी करीब 6 साल में सिर्फ 40 किराएदारों की रजिस्ट्रेशन ही थाने में दर्ज हुई है, जबकि थाने के अंतर्गत आते मोहल्लों में हजारों के हिसाब से दूसरी किराएदार रह रहे हैं।
किराएदारों, दुकानों व पी.जी. में रहने वाले लोगों का थाना-4 में कोई पुख्ता रिकार्ड नहीं है, भीड़भाड़ वाला इलाका, मेन बाजार जहां सैंकड़ों व्यापार हैं जिनके पास कपड़े से लेकर जूतों तक के कारीगर रखे हुए हैं जिन्हें दुकानदारों ने अपने बनाए घरों में किराए पर रखा हुआ है लेकिन उनका ब्यौरा कई सालों से पुलिस के रिकार्ड में नहीं है।
पुलिस भी सख्ती से नहीं करवा पाई कानून का पालन
जहां एक तरफ पुलिस कमिश्नर का फरमान है कि हर व्यक्ति किराएदार रखने पर थाने में सूचना दे जो लाजमी है मगर उसके बावजूद कुछ मकान मालिक रुपए कमाने के चक्कर में पुलिस को सूचना नहीं दे रहे, उलटा लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़ कर रहे हैं। शहर में कई ऐसे घटनाएं घटित हो चुकी हैं जिसके बाद पुलिस ने मकान मालिकों को किराएदारों का ब्यौरा देने के लिए कहा था मगर उसका सख्ती से पालन नहीं हो रहा।
पी.जी. संचालकों ने छात्रों पर थोपे कई नियम, खुद कर रहे उल्लंघन
शहर में हजारों की गिनती में पी.जी. खुले हुए हैं, पी.जी. संचालकों ने छात्रों पर तो ढेरों नियम और कायदे-कानून थोप रखे हैं लेकिन खुद ढेरों नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। इस तरफ न तो नगर निगम, जिला प्रशासन और न ही पुलिस का ध्यान है। सरकारी एजैंसियां हर बार नियम तो बनाती है लेकिन इनकी सख्ती से पालना नहीं करवा पाती। साथ ही पी.जी. रखने के भी कुछ नियम हैं जिन्हें कम ही लोग पूरे करते हैं। इन पर ज्यादातर एरिया पुलिस मेहरबान रहती है।
काफी सख्त हैं वैरीफिकेशन के मानदंड
किराएदार रखने व पी.जी. खोलने के लिए वैरीफिकेशन के मानदंड काफी सख्त हैं। सबसे पहले नगर निगम के पास कमॢशयल टैक्स जमा करवाना पड़ता है। पुलिस सांझ केंद्र में पूरा ब्यौरा फार्म भर कर देना होता है और पुलिस वैरीफिकेशन करवाना लाजिमी है। पी.जी. में रहने वाले लोगों व मकानों में रहते किराएदारों के आई-डी प्रूफ, उनकी फोटो, आधार कार्ड, अगर वे स्टूडैंट हैं तो उनके स्कूल व कॉलेज का लैटर जिसमें लिखा हो कि यह उनके संस्थान का विद्यार्थी है। किराएदार के मामले में किसी जिम्मेवार व्यक्ति की गवाही बहुत जरूरी है। पूरी प्रक्रिया की सांझ केंद्र में 50 रुपए फीस होती है।
एक ही मकान में बिना वैरीफिकेशन रह रहे 25-30 नेपाली व कश्मीरी
ऐसी ही एक शिकायत रेलवे रोड के मोहल्ला निवासियों ने अपने इलाके के थाने में की है जिसमें बताया है कि मकान मालिक ने बिना रजिस्ट्रेशन करवाए 25-30 नेपाली व कश्मीरी लोगों को घर में रखा हुआ है। मकान मालिक जोकि भाजपा नेता का खास है और उसकी पहुंच का फायदा उठा रहा है। उसने मोहल्ले में एक पुराने मकान में करीब 12 कमरे बनाए हुए हैं जिसमें उक्त लोग रह रहे हैं, जिनका देर रात को मोहल्ले में आना-जाना है। इसके चलते मोहल्ला निवासी परेशान हैं। मोहल्ला निवासियों की प्रशासन से मांग है कि ऐसे लोगों पर बनती कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए जो पुलिस प्रशासन के साथ-साथ सरकार को गुमराह कर टैक्स चोरी कर रहे हैं।
लोग खुद भी समझें जिम्मेदारी : गुरमीत सिंह
इस संबंधी बात करने पर थाना-4 के मुख्य मुंशी गुरमीत सिंह ने कहा कि पुलिस विभाग द्वारा पी.जी. संचालकों व मकान मालिकों को समय-समय पर किराएदारों बारे सूचना देने की हिदायतें जारी की जाती हैं। शायद लोग मात्र कुछ पैसों के लालच में ऐसा करने से बचते हैं। उन्हें भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए पुलिस को सहयोग देना चाहिए ताकि पुलिस को सख्ती बरतने के लिए मजबूर न होना पड़े।