Edited By Vatika,Updated: 11 Jul, 2019 11:33 AM
रेलवे के निजीकरण के ऐलान के बाद रेलवे मुलाजिमों ने 1974 का रेल स्ट्राइक दोहराने की धमकी दी है। रेल कोच फैक्टरी कपूरथला समेत रेलवे की 7 इकाइयां निजीकरण/निगमीकरण के विरोध में हैं।
जालंधर(वरुण): रेलवे के निजीकरण के ऐलान के बाद रेलवे मुलाजिमों ने 1974 का रेल स्ट्राइक दोहराने की धमकी दी है। रेल कोच फैक्टरी कपूरथला समेत रेलवे की 7 इकाइयां निजीकरण/निगमीकरण के विरोध में हैं। रेलवे मंत्रालय की तरफ से 100 डे एक्शन प्लान को वापस लेने हेतु 17 जोन की 9 रेलवे यूनियनों ने संघर्ष तेज कर दिया है। यह 100 दिन 31 अगस्त को पूरे हो जाएंगे।
बुधवार को प्रैस वार्ता में आर.सी.एफ. बचाओ संघर्ष कमेटी के कन्वीनर जसवंत सिंह, सचिव सर्वजीत सिंह व अन्य यूनियनों के प्रधानों ने चेतावनी दी कि वे करो या मरो की जंग के लिए तैयार हैं। अगर कानून के दायरे में रह कर उनकी मांग मान ली गई तो ठीक वर्ना परिवार को भूखा मरने नहीं देंगे और इसके लिए वे कानून के दायरे से बाहर जाने के लिए भी तैयार हैं। देश को 1974 के रेल स्ट्राइक ने हिला कर रख दिया था और अब वह समय भी वापस आ सकता है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि वह रेलवे का निजीकरण नहीं होने देंगे। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन की ओर से 18 जून 2019 को जारी आर्डर में रेल मंत्री के 100 डे एक्शन प्लान को थोप दिया, जिसका उद्देश्य निजीकरण कर कुछ चुनिंदा कारोबारियों को फायदा पहुंचाना है।
उन्होंने 17 जोन की 7 यूनिटों की 9 जत्थेबंदियों का इंजन बंद करने का ऐलान किया है। रेलवे बोर्ड के इस फैसले से देश के 12.50 लाख रेलवे कर्मचारियों का भविष्य दाव पर है, जिससे 40 लाख लोगों की रोजी-रोटी चल रही है। इस प्लान को रद्द करवाने के लिए संघर्ष कमेटी ने सांसदों को ज्ञापन दिए हैं और रेलवे मिनिस्ट्री व प्रधानमंत्री को भी मांग पत्र भेजे हैं। संघर्ष कमेटी के सदस्यों ने कहा कि रेलवे के निजीकरण से रेलवे सुविधाएं खत्म कर दी जाएंगी। कर्मचारियों को जबरदस्ती रिटायरमैंट के लिए मजबूर किया जाएगा और नए सिरे से ’वाइन करने को कहा जाएगा। उन्होंने कहा कि जल्द ही 7 यूनिट की बैठक में रणनीति तैयार की जाएगी और सभी कर्मचारी इस प्रोटैस्ट में अपने परिवार समेत शामिल होंगे।