Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Aug, 2017 04:19 PM
राहू व केतु का 17 अगस्त को होने वाला राशि परिवर्तन समूचे ब्रह्मांड को प्रभावित करेगा। 18 महीनों के बाद दोनों ग्रह राशि बदलने जा रहे हैं तथा अब राहू 17 अगस्त को कर्क व केतु मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे।
जालन्धर (धवन) : राहू व केतु का 17 अगस्त को होने वाला राशि परिवर्तन समूचे ब्रह्मांड को प्रभावित करेगा। 18 महीनों के बाद दोनों ग्रह राशि बदलने जा रहे हैं तथा अब राहू 17 अगस्त को कर्क व केतु मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे। ज्योतिष संजय चौधरी के अनुसार राहू व केतु जिन्हें अशुभ ग्रहों की सूची में रखा जाता है, वह मानवीय जीवन को पूरी तरह से प्रभावित करते हैं। चाहे राहू व केतु का कोई अस्तित्व नहीं है परन्तु दोनों छाया ग्रह पूर्व जीवन के कर्मों के अनुसार फल देते हैं। राहू व केतु हमेसा वक्री अवस्था में चलते हैं। राहू भौतिक वस्तुओं व लाभों जैसे धन व ऐश्वर्यशाली वस्तुओं के प्रति रूचि बढ़ाता है तो केतू अध्यात्मक की तरफ ले जाता है। केतू के प्रभाव से मनुष्य का मन धार्मिक क्रिया-कलापों की तरफ बढ़ता है। उन्होंने कहा कि ङ्क्षहदू मत के अनुसार केतू जैमिनी गोत्र तथा राहू पैतीनसा गोत्र से संबंध रखते हैं इसलिए दोनों ग्रहों की विशेषताएं एक-दूसरे से भिन्न हैं। केतू की छाया ग्रह है तथा इसका मानवीय तथा समूची सृष्टि पर असर पड़ता है।
उन्होंने बताया कि नाड़ी शास्त्र के अनुसार राहू-केतु का राशि परिवर्तन एक महत्वपूर्ण घटना है। दोनों ग्रहों का गोचर लग्र से देखना अधिक श्रेष्ठकर रहता है। मेष राशि के लिए राहू का लग्र से चौथे भाव में संचार माता के लिए कष्टकारी तथा केतू का दसवें घर में आना कार्य क्षेत्र अहम परिवर्तनों को दर्शाता है। वृष राशि में राहू का तीसरे घर में संचार अचानक यात्रा योजनाओं को स्थगित करवाने तथाकेतू का नौंवें घर में आना व्यक्ति की धार्मिक आकांक्षओं को बढ़ाता है। मिथुन लग्र के लिए राहू का दूसरे घर में आना परिवार में झगड़ों को बढ़ाने तथा केतू का आठवें घर में आना शरीर के निचले भागों में पीड़ा का कारक बनता है।
कर्क लग्र में राहू का लग्र संचार व्यक्ति के व्यवहार में अचानक परिवर्तन लाता है तो केतू का 7वें घर में संचार पारिवारिक जीवन में परिवर्तन दिलाता है। सिंह लग्र के राहू का 12वें घर में संचार अचानक खर्चों को बढ़ाता है तो केतू का छठे घर में आना कानूनी मामलों में सफलता दिलाने वाला होता है। कन्या राशि के लिए राहू का 11वें घर में संचार वित्तीय बाधाओं को बढ़ाने वाला तथा केतू का पांचवें घर में संचार बच्चों से संबंधित मानसिक परेशानियों को बढ़ाता है। तुला लग्र के लिए राहू का 10वें घर में आना कार्य क्षेत्र में बाधाओं को बढ़ाने तथा केतू का चौथे घर में संचार आवास क्षेत्र में परिवर्तन करवाता है। वृश्चिक लग्र में राहू नौवें घर में परिवार में बुजुर्गों के लिए समस्याएं बढ़ाने तथा केतू का तीसरे घर में आना अचानक विदेशी स्थानों की तरफ यात्रा का घोतक है।
धनु लग्र में राहू का आठवें घर में प्रवेश ऋणों व पीड़ा को बढ़ाने वाला तथा केतू का दूसरे घर में आना इंसान की खाने की आदतों में परिवर्तन लाता है। मकर लग्र के लिए राहू का 7वें घर में आना वैवाहिक समस्याओं को बढ़ाने तथा केतू का लग्र में संचार इंसान की धार्मिक विचार धाराओं को बढ़ाता है। कुंभ राशि में राहू का छठे घर में आना अचानक बीमारी को बढ़ावा देता है तो केतू का 12वें घर में आना बुरे स्वप्रों को बुलावा देता है। मीन लग्र में राहू का 5वें घर में आना बीमारी को बढ़ाने के साथ-साथ अध्ययन कार्य में विघ्न व केतू का 11वें घर में आना अचानक लाभ प्रदर्शित करता है। उन्होंने कहा कि उपरोक्त राहू-केतू के गोचर को बृहस्पति तथा शनि की जन्मकुंडलियों में स्थिति भी प्रभावित करती है। राहू-केतू के बुरे प्रभावोंसे बचने के लिए शनिवार को सात्विक रहने तथा हनुमान जी को लाल फूल व मिठाई चढ़ाने से राहत मिलती है।