मुश्किल दौर से गुजर रही हैं पंजाब में सत्ता की दावेदार प्रमुख पार्टियां

Edited By Updated: 20 Jun, 2016 10:49 AM

punjab politics

पंजाब में सत्ता की दावेदार तीनों प्रमुख पार्टियां आज-कल मुश्किल दौर से गुजर रही हैं।

चंडीगढ़  (पराशर): पंजाब में सत्ता की दावेदार तीनों प्रमुख पार्टियां आज-कल मुश्किल दौर से गुजर रही हैं। हालत यह है कि नित नए मुद्दों ने इन पाॢटयों का आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों से ध्यान हटाकर फायर फाइटिंग करने पर मजबूर कर दिया है।

पंजाब में सत्ता पाने के लिए आम आदमी पार्टी (आप) ने सबसे अधिक आक्रामक रुख अपना रखा है। खुद को आदर्शवाद व सिद्धांत पर आधारित तथा अन्य पाॢटयों से अलग बताकर ‘आप’ आम जनता की सत्तारूढ़ अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार तथा कांग्रेस के खिलाफ भावनाओं को अपने हक में करने की हरसंभव कोशिश कर रही है। लेकिन दिल्ली में 21 सी.पी.एस. के मुद्दे पर उठे विवाद ने पार्टी को बैकफुट पर ला दिया है। यदि आयोग ने इन सी.पी.एस. को अयोग्य घोषित कर दिया तो ‘आप’ को केवल दिल्ली में ही नहीं, बल्कि पंजाब में भी लेने के देने पड़ जाएंगे।

गत कोई साढ़े 9 वर्षों से सत्ता की तलाश में भटक रही कांगे्रस पार्टी इस बार कामयाब होने के लिए बहुत हाथ-पैर मार रही है। कांगे्रस हाईकमान ने पार्टी की कामयाबी को यकीनी बनाने हेतु प्रसिद्ध चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की सेवाएं हासिल की हैं। टीम प्रशांत किशोर ने कैप्टन अमरेंद्र सिंह के कई कार्यक्रम तैयार कर उन्हें अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है लेकिन प्रदेश कांग्रेस की अंतर्कलह का साया अमरेंद्र के चुनावी अभियान को प्रभावित कर रहा है। कभी सुनील जाखड़ नाराज तो कभी बीर दविंद्र सिंह दुखी तो कभी जगमीत सिंह बराड़ बागी। कभी सुखजिंद्र सिंह रंधावा पार्टी नेता को सरेआम थप्पड़ जड़ रहे हैं तो कहीं पार्टी के विभिन्न गुट अमरेंद्र की उपस्थिति में ही आपस में भिड़ रहे हैं और अंतर्कलह में डूबी है। इतना ही नहीं, कांग्रेस पार्टी ने वरिष्ठ नेता कमलनाथ को बतौर पंजाब इंचार्ज नियुक्त कर और फिर उन्हें हटाकर एक ऐसा सैल्फ गोल किया है जिससे यह प्रभाव गया है कि कांग्रेस में अराजकता का माहौल है।

जिस ढंग से अकाली दल ने पर्दे के पीछे रहकर पंजाब में नशे के मुद्दों को लेकर बॉलीवुड फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ की रिलीज को रोकने का प्रयास किया है, उससे पार्टी की छवि को बहुत नुक्सान पहुंचा है। 

अकाली दल का कहना है कि इस फिल्म के जरिए पंजाब तथा इसके युवाओं को नशे का आदी बताकर बदनाम किया गया है जबकि फिल्म के प्रोड्यूसरों तथा विरोधी दलों का कहना है कि इसमें पंजाब की वास्तविकता दर्शाई गई है। ऐसे में अकाली दल को ‘उड़ता पंजाब’ ने नीचा दिखाया है। 

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