नशा रोकने के लिए 300 मुलाजिम, नेताओं की सिक्योरिटी में लगे 1300

Edited By Vatika,Updated: 26 Jun, 2018 06:03 PM

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नशे के मुद्दे पर सत्ता में आई कांग्रेस सरकार नशे के खिलाफ जंग में हर तरह से फ्लॉप साबित हो रही है। सरकार को सत्ता में आए डेढ़ साल हो गया है, मगर नशे की सप्लाई आज भी बेरोक-टोक हो रही है। कुछ तस्करों पर हाथ जरूर डाला गया है और रोजाना नशा पकड़ा जा रहा...

जालंधर(रविंदर): नशे के मुद्दे पर सत्ता में आई कांग्रेस सरकार नशे के खिलाफ जंग में हर तरह से फ्लॉप साबित हो रही है। सरकार को सत्ता में आए डेढ़ साल हो गया है, मगर नशे की सप्लाई आज भी बेरोक-टोक हो रही है। कुछ तस्करों पर हाथ जरूर डाला गया है और रोजाना नशा पकड़ा जा रहा है मगर सप्लाई लाइन पर चोट करने व नशे की दलदल में डूब चुके युवाओं को समझाने में कांग्रेस सरकार पूरी तरह से विफल रही है। सरकार के दावों की पोल तो इस बात से खुलती है कि नशे के खिलाफ बनाई गई स्पैशल टास्क फोर्स (एस.टी.एफ.) के पास सिर्फ 300 अधिकारी व मुलाजिम हैं, जबकि नेताओं की सिक्योरिटी में 1&00 के करीब मुलाजिमों व अधिकारियों की फौज है। 

अकाली-भाजपा सरकार ने प्रदेश में 10 साल तक राज किया। इन बरसों में नशे का मुद्दा बेहद हावी रहा। आरोप लगा कि सरकार के कुछ नेतागण ही नशा बिकवा रहे हैं और पंजाब का नौजवान नशे के दलदल में जा रहा है। अकाली दल इन आरोपों को बड़े प्लेटफार्म पर झुठलाने मेें नाकाम रही। कांग्रेस ने नशे के मुद्दे को खूब भुनाया। प्रदेशभर में अकाली-भाजपा के खिलाफ धरने-प्रदर्शन किए गए और ऐसा हो-हल्ला मचाया गया कि विदेशों में यह बात उठने लगी कि खुशहाल पंजाब अब ‘उड़ता पंजाब’ बन गया है। यही नहीं, चुनावों के दौरान जब कैंपेन की बारी आई तो कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने गुटका साहिब हाथों में लेकर कसम खाई कि सरकार आने पर महज 4 सप्ताह में पंजाब से नशे का खात्मा कर दिया जाएगा। लोगों को बेहद उम्मीदें भी थीं। सरकार ने सत्ता में आते ही स्पैशल टास्क फोर्स यानी एस.टी.एफ. का गठन कर दिया। कुछेक बड़ी मछलियों पर हाथ भी डाला गया। लोगों को लगने लगा कि पंजाब से नशे का दलदल खत्म हो जाएगा मगर यह शो महज कुछ समय के लिए ही था।

एस.टी.एफ. को सारी पावर तो दी गई, मगर फोर्स नहीं दी गई। मौजूदा समय में पंजाब में 12,581 गांव और 237 के करीब टाऊन हैं मगर एस.टी.एफ. के पास फोर्स है महज 300 मुलाजिमों की। इस छोटी-सी फोर्स के साथ नशे के खिलाफ जंग लडऩा बेमानी साबित हो रहा है। पुलिस अधिकारी भी खुद को मजबूर मान रहे हैं, जबकि दूसरी तरफ देखा जाए तो पंजाब में नेताओं को किसी तरह का डर नहीं है और न ही कोई आतंकी धमकी है, बावजूद इसके प्रदेश के नेताओं के पास 1300 के करीब पुलिस मुलाजिमों की फौज है। कांग्रेस सरकार बनते ही छोटे-मोटे नेताओं के हाथ भी गनमैन आ गए हैं। गनमैन लेकर चलना हर कांग्रेसी अपनी शान समझता है। नशे के खिलाफ सरकार ने कभी भी गंभीरता नहीं दिखाई और न ही सरकार की गंभीर सोच दिखाई दे रही है। अगर सरकार नशे के खिलाफ गंभीर होती तो सबसे ज्यादा फौज नशे को रोकने वाले सैल के पास होती और नशे की सप्लाई लाइन पर सबसे ज्यादा चोट होती। यही नहीं पंजाब के नौजवानों के भविष्य का सबसे पहले ख्याल सरकार करती, मगर डेढ़ साल में अभी तक ऐसा कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। 


एस.टी.एफ. को दी जाएगी ज्यादा फोर्स : कैप्टन अमरेंद्र
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह भी मानते हैं कि एस.टी.एफ. के पास फोर्स की कमी है। वह कहते हैं कि प्राइवेट गनमैन लेने वालों की प्रत्येक जिला स्तर पर स्क्रीङ्क्षनग चल रही है और जिन लोगों को गनमैन की जरूरत नहीं है, उनसे गनमैन वापस लिए जाएंगे। पिछले कुछ समय से काफी गनमैनों को वापस भी थानों में ले जाया गया है। जल्द ही एस.टी.एफ. की फोर्स भी बढ़ाई जाएगी और सरकार इस बात के प्रति पूरी गंभीर है कि प्रदेश से नशा 100 प्रतिशत खत्म हो। सरकार हर स्तर पर नशे के खात्मे के प्रति काम कर रही है।

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