बड़े मार्जिन से हारने वाले भाजपा नेताओं का पत्ता होगा साफ

Edited By Vatika,Updated: 25 May, 2018 09:31 AM

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2022 की तैयारी से पहले भारतीय जनता पार्टी प्रदेश में 2017 के फीडबैक पर काम कर रही है। पार्टी हाईकमान का साफ मानना है कि 2017 में बड़े मार्जिन से चुनाव हारने वाले नेताओं का भविष्य में पत्ता साफ होगा और उन्हें अगले चुनाव में टिकट तक से वंचित रहना पड़...

जालंधर(रविंदर): 2022 की तैयारी से पहले भारतीय जनता पार्टी प्रदेश में 2017 के फीडबैक पर काम कर रही है। पार्टी हाईकमान का साफ मानना है कि 2017 में बड़े मार्जिन से चुनाव हारने वाले नेताओं का भविष्य में पत्ता साफ होगा और उन्हें अगले चुनाव में टिकट तक से वंचित रहना पड़ सकता है।  जिन-जिन सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों को 20 हजार से ज्यादा मार्जिन से हार का सामना करना पड़ा था, उन प्रत्याशियों पर गाज गिरना तय है। 

हाईकमान का मानना है कि ऐसे नेता अपने हलकों में बिल्कुल जनता से कटे रहे। इन सीटों पर भाजपा थिंक टैंक अब नए व युवा चेहरे लाने की जुगत में जुटा है। गौर हो कि 2017 विधानसभा का चुनाव भाजपा के लिए प्रदेश में बुरे सपने की तरह आया था। एक तरफ जहां नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में देश के अधिकांश राज्यों में भाजपा ने अपनी सरकार बना ली है, वहीं पंजाब में पार्टी की इतनी बुरी दुर्गति ने पार्टी हाईकमान को नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया। 2007 में जहां भाजपा ने प्रदेश में 19 सीटें जीती थीं तो 2012 में यह आंकड़ा 12 तक रह गया था मगर 2017 में तो भाजपा के सभी बड़े नेता धराशयी हो गए और मात्र 3 सीटें ही भाजपा के हिस्से में आईं। 

भाजपा के 2 कैबिनेट मंत्री अनिल जोशी व सुरजीत ज्याणी भी औंधे मुंह गिरे और जनता ने उन्हें बिल्कुल भी मुंह नहीं लगाया। कई सीटों पर तो हालात यह रहे कि भाजपा के नेता 40 हजार से भी ज्यादा वोटों के अंतर से हारे और तीसरे स्थान पर रहे। खास तौर पर लुधियाना वैस्ट से भाजपा के प्रत्याशी कमल चेतली को 44 हजार के अंतर से हार मिली। इसके अलावा अमृतसर ईस्ट से भाजपा के राजेश हनी को 42 हजार के अंतर से हार मिली। जालंधर नार्थ हलके से भाजपा के के.डी. भंडारी को 32 हजार के करीब वोटों की करारी शिकस्त मिली तो जालंधर सैंट्रल से भाजपा के मनोरंजन कालिया को 24 हजार वोटों की हार झेलनी पड़ी। इन सभी सीटों पर भाजपा का अंदरुनी सर्वे शुरू हो चुका है और इन सीटों पर नए चेहरों को कमान सौंपने की तैयारी भी चल रही है। भाजपा के थिंक टैंक का मानना है कि अभी पार्टी के पास 4 साल का समय बाकी है और 2019 लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी पूरी तरह से 2022 में अपनी ताकत झोंकने की तैयारी में जुट जाएगी। 

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