Edited By Updated: 23 Sep, 2016 02:01 PM
नवजोत सिंह सिद्धू का चौथे फ्रंट को फिलहाल राजनीतिक पार्टी बनाने से मुकर जाना कई नेताओं को उलझन में डाल गया है।
चंडीगढ़ (सत्ती) : नवजोत सिंह सिद्धू का चौथे फ्रंट को फिलहाल राजनीतिक पार्टी बनाने से मुकर जाना कई नेताओं को उलझन में डाल गया है। कुछ अहम नेताओं के आवाज-ए-पंजाब से जुडऩे की अटकलें लगती आ रही थीं लेकिन अब ऐसे नेताओं के सामने फिर से नई राजनीतिक जमीन तलाशने की चुनौती खड़ी हो गई है।
सिद्धू ने आवाज-ए-पंजाब का ऐलान किया तो अटकलें लगने लगीं कि आम आदमी पार्टी के पूर्व कन्वीनर सुच्चा सिंह छोटेपुर और सिद्धू एक साथ मिलकर एक राजनीतिक मंच पर आएंगे लेकिन सिद्धू ने अपने स्तर पर आवाज-ए-पंजाब को राजनीतिक पार्टी न बनाने का ऐलान कर नई गुगली फैंकी है। अब सवाल यह खड़ा हो चुका है कि जो नेता अपनी पार्टी से टिकट मिलने की उम्मीद के चलते इस चौथे फ्रंट को एक विकल्प के तौर पर ले रहे थे, वे सभी अब फिर से अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने में उलझ गए हैं।
हालांकि अभी छोटेपुर ने अपने पत्ते खोलने हैं। उनकी रणनीति के बाद ही साफ होगा कि वह और उनके समर्थक क्या करते हैं। सूत्रों की मानें तो सिद्धू पहले छोटेपुर की रणनीति का इंतजार कर रहे थे लेकिन इससे पहले ही उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी न बनाने का फैसला ले लिया। हालांकि आवाज-ए-पंजाब के लिए 117 सीटों पर उम्मीदवार तलाशना भी बड़ी चुनौती थी।