मक्कड़-मन्नण विवाद में हाईकमान का लालीपाप!

Edited By Sunita sarangal,Updated: 13 Dec, 2019 11:40 AM

makkar mannan controversy

कहा-कोई बैठक न करो, 15 के बाद बात करेंगे

जालंधर(बुलंद): गत दिनों अकाली दल के आब्जर्वरों की गुरुद्वारा सोढल में हुई बैठक के दौरान सर्बजीत सिंह मक्कड़ व शहरी प्रधान कुलवंत सिंह मन्नण में हुई गाली-गलौच के मामले को हाईकमान अपनी पुरानी नीति पर चलते हुए लालीपॉप देकर मामले को ठंडा करने की कोशिश में है। पार्टी सूत्रों की मानें तो कल जहां इस मामले में मन्नण के पक्ष में जिला इकाई के कई नेताओं की ओर से रखी गई अहम बैठक को बिक्रम सिंह मजीठीया के फोन के बाद रद्द कर दिया गया था। इसी मामले में दलजीत सिंह चीमा, जोकि पार्टी के सीनियर नेता व प्रवक्ता हैं, को भी फोन किए गए। इस मामले में चीमा ने भी भारी नाराजगी जताई और इस मामले को हाईकमान तक पहुंचाने का भरोसा दिया।

वहीं जानकारों की मानें तो 14 दिसम्बर को अमृतसर के तेजा सिंह समुद्री हाल में पार्टी के प्रधान का चुनाव होना है, जिसमें आरंभ किए गए श्री अखंड पाठ के दौरान जब हाल जालंधर से गए नेता पहुंचे तो मक्कड़-मन्नण विवाद बारे भी बातें हुई पर पार्टी हाईकमान ने एक बार फिर मक्कड़ को सुरक्षित करते हुए साफ कहा कि इस बारे फिलहाल 15 दिसम्बर तक कोई बात नहीं होगी, क्योंकि प्रधान का चुनाव होना है और इसके बाद ही इस मामले में कोई फैसला होगा।

चंडीगढ़ बुलाकर डलवाई जा सकती है जफ्फी
जानकार बताते हैं कि इसमें कोई शक नहीं कि सर्वसम्मति से सुखबीर बादल को ही दोबारा पार्टी का प्रधान चुना जाना है। इसके बाद नेता सुखबीर को बधाई देने चंडीगढ़ जाएंगे और वहां जालंधर से मक्कड़ और मन्नण दोनों को बुलाकर उनकी सुखबीर और मजीठीया द्वारा जफ्फी डलवाए जाने का प्रोग्राम है। पार्टी के अंदरूनी जानकारों की माने तो मक्कड़ ने भी अपना पूरा पक्ष हाईकमान के समक्ष रखा है और 14 दिसम्बर को जालंधर से सारे कैंट हल्के के डैलीगेटों को अमृतसर लाने लेजाने का सारी जिम्मा उठाया है, जिससे हाईकमान के आगे मक्कड़ के नंबर बनने तय हैं।

पार्टी के सीनियर नेताओं के साथ बिजनैस रिलेशन को मिल सकता है महत्व
वहीं मामले बारे पार्टी के भीतर एक बार फिर से चर्चा छिड़ गई है कि पार्टी में वर्करों से ज्यादा बिजनैस रिलेशन को अहमीयत देने की रिवायत पुरानी है जो एक बार फिर से दिखाई दे सकती है। बड़े बादल और छोटे बादल इस बिजनैस रिलेशन को हमेशा पहल देते रहे हैं। सर्बजीत मक्कड़ भाईयों के पार्टी के कई सीनियर नेताओं के साथ बिनजैस रिलेशन हैं। पार्टी को आर्थिक रूप में मक्कड़ भाईयों की ओर से लगातार सहयोग मिलता रहा है, जिसके चलते लाख शिकायतों और कमियों के बावजूद पार्टी हाईकमान मक्कड़ को दरकिनार नहीं कर पाती। पार्टी के अंदर इन बिजनैस रिलेशन की एक बार फिर से चर्चा हो रही है।

क्या मन्नण का गुस्सा भी हो गया शांत
वहीं मामले बारे मन्नण के करीबियों का कहना है कि अपने साथ हुए दुर्व्यवहार को लेकर मन्नण का गुस्सा सातवें आसमान पर है और वह हर हाल में इस मामले में मक्कड़ को माफ करने के मूड में नहीं हैं। लेकिन जैसे-जैसे दिन बीतेंगे और मामले में पार्टी के सीनियर नेताओं द्वारा दोनों पक्षों से बातचीत होगी वैसे-वैसे मामले में दोनों पक्षों का गुस्सा भी शांत होना स्वाभाविक है। इस बारे में कुलवंत सिंह मन्नण का कहना है कि वह इस मामले को पहले की तरह ठंडे बस्ते में नहीं जाने देंगे। पार्टी हाईकमान के हर आदेश को हमारी पूरी टीम ने सदा माना है पर इस बार मामला इज्जत का है। अगर पार्टी हाईकमान ने इस बार मक्कड़ पर कड़ा एक्शन नहीं लिया तो हम कोई और कदम उठाने की सोच सकते हैं।

मक्कड़ की कैंट हलके से हुई रवानगी तो वालिया की लाटरी निकली समझो
वहीं मामले बारे पार्टी के अंदरूनी जानकारों की माने तो पार्टी के कुछ सीनियर नेताओं ने मजीठीया व सुखबीर को राय दी है कि मक्कड़ को जालंधर से दूर किया जाए। इसके लिए हो सकता है कि सारे मामले में मक्कड़ को सजा के तौर पर कैंट हलके से रवाना कर दिया जाए। अगर ऐसा हुआ तो यह एच.एस. वालिया के लिए लाटरी निकलने जैसा होगा, क्योंकि वालिया को ‘आप’ से अकाली दल में लाकर सुखबीर ने उन्हें जालंधर कैंट हलके में सैट करने भरोसा दिया था, लेकिन मक्कड़ को जैसे ही कैंट हलके का इंचार्ज लगाया गया तो उन्होंने सभी कार्यक्रम खुद तय कर कैंट में वालिया को जीरो कर दिया था। वहीं परमजीत राएपुर को तो पार्टी छोडऩी पड़ गई। 

मक्कड़ ने वालिया को भी कैंट हलके से बाहर ही रखा है। किसी प्रकार के सियासी कार्यक्रम में मक्कड़ वालिया को बुलाते तक नहीं। जो कुछ बाठ कैसल में सुखबीर के कार्यक्रम के दौरान हुआ था, वह किसी से छिपा नहीं है। ऐसे में वालिया भी अंदर खाते पूरा जोर लगाने में लगे हैं कि हाईकमान के आगे मक्कड़ को जीरो किया जाए और अगर हाईकमान मक्कड़ पर एक्शन लेकर उन्हें कैंट हलके से बाहर का रास्ता दिखा देते हैं तो वालिया कैंट हलके में अकाली दल का एकमात्र चेहरा रह जाएगा। अब देखना होगा कि क्या हाईकमान मक्कड़ पर ऐसा कोई एक्शन लेता है या फिर वालिया के सपने धरे धराए रह जाते हैं।

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