Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Jul, 2018 10:31 AM
अकाली-भाजपा कार्यकाल दौरान नगर निगम द्वारा किए गए 2 महत्वपूर्ण कांट्रैक्ट विवादों के घेरे में आ चुके हैं। 30 करोड़ रुपए की भारी-भरकम लागत वाले स्वीपिंग मशीन कांट्रैक्ट का मामला पार्षद हाऊस को रैफर कर दिया गया है, जिसकी जांच रिपोर्ट बैठक से पहले...
जालंधर(खुराना): अकाली-भाजपा कार्यकाल दौरान नगर निगम द्वारा किए गए 2 महत्वपूर्ण कांट्रैक्ट विवादों के घेरे में आ चुके हैं। 30 करोड़ रुपए की भारी-भरकम लागत वाले स्वीपिंग मशीन कांट्रैक्ट का मामला पार्षद हाऊस को रैफर कर दिया गया है, जिसकी जांच रिपोर्ट बैठक से पहले मांगी गई है। इसमें कई अनियमितताएं पाई गई हैं और मेयर जगदीश राजा इस प्रोजैक्ट के पीछे हाथ धोकर पड़ गए हैं।
अकाली-भाजपा सरकार दौरान दूसरा कांट्रैक्ट एल.ई.डी. लाइटों को लेकर किया गया जिसके तहत शहर की सभी 65,000 से ज्यादा स्ट्रीट लाइटों को उतारकर उनके स्थान पर एल.ई.डी. लाइटें लगाई जानी हैं। इस प्रोजैक्ट हेतु आज एक बैठक मेयर जगदीश राजा द्वारा ली गई जिसमें पार्षद रोहन सहगल भी विशेष रूप से उपस्थित हुए। बैठक दौरान निगम कम्पनी तथा बैंक के प्रतिनिधियों को मिलाकर एक एस्क्रो अकाऊंट खोलने पर सहमति बनी, जिसके बाद कम्पनी ने अपना काम तेजी से आगे बढ़ाने का आश्वासन दिया। कम्पनी प्रतिनिधियों ने बताया कि करीब 8 करोड़ रुपए खर्च कर कम्पनी द्वारा 5687 लाइटें शहर में लगाई जा चुकी हैं, परंतु अकाऊंट न खुलने से कम्पनी को कोई पैसा प्राप्त नहीं हो रहा। बैठक में पार्षद रोहन सहगल ने सवाल उठाया कि इस प्रोजैक्ट को फ्री प्रचारित किया गया, परंतु निगम ने इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर कम्पनी को करीब 3 करोड़ रुपए की पैमेंट करनी है जिसका कोई हिसाब-किताब नहीं रखा जा रहा।
उन्होंने दूसरा सवाल उठाया कि बिजली बचत का 89 प्रतिशत हिस्सा कम्पनी को देने के बाद भी निगम द्वारा कम्पनी को मैंटीनैंस के रूप में प्रति प्वाइंट प्रति माह करीब 67 रुपए अदा किए जाने हैं और हर साल यह राशि 5 प्रतिशत बढ़ती जाएगी। फिलहाल निगम पुरानी लाइटों के लिए ठेकेदारों को इससे काफी कम राशि प्रदान कर रहा है। नई लाइटों की वारंटी होने के कारण उसकी मैंटीनैंस का ज्यादा बोझ कम्पनी पर नहीं पड़ेगा, फिर भी इतनी बड़ी राशि क्यों दी जा रही है? पार्षद सहगल का दूसरा आरोप था कि पी.ए.पी. चौक व विधिपुर चौक पर लगाई गई कई नई एल.ई.डी. लाइटें खराब हो चुकी हैं। पुरानी लाइटों वाले ठेकेदारों को 48 घंटे के बाद 50 रुपए और 72 घंटे बाद 200 रुपए जुर्माना लगा करता था, परंतु एल.ई.डी. कांट्रैक्ट में 7 दिन तक शिकायत दूर न होने पर 50 रुपए ही जुर्माना क्यों रखा गया है? पार्षद सहगल ने कम्पनी द्वारा लगाई जा रही लाइटों की क्वालिटी पर भी सवाल उठाए जिसके बाद फैसला हुआ कि क्वालिटी संबंधी चैकिंग की जाएगी।