जमीन अधिग्रहण घोटाले में सनसनीखेज खुलासाः 800 करोड़ रुपए का एस्टीमेट 290 करोड़ में तब्दील

Edited By Updated: 04 Jul, 2016 01:52 PM

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जालंधर-चिंतपूर्णी राष्ट्रीय राजमार्ग फोरलेन प्रोजैक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण घोटाले में जांच में सनसनीखेज खुलासा हुआ है।

जालंधरः जालंधर-चिंतपूर्णी राष्ट्रीय राजमार्ग फोरलेन प्रोजैक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण घोटाले में जांच में सनसनीखेज खुलासा हुआ है। कथित तौर पर सत्ता पक्ष के नेताओं व कई रसूखदार लोगों को फायदा पहुंचाने के मकसद से पहले लगभग 42 हैक्टेयर जमीन अधिग्रहण के लिए 800 करोड़ रुपए का एस्टीमेट तैयार किया गया था, लेकिन सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से आपत्ति जाहिर करने के बाद प्रशासन ने इसे सिर्फ 290 करोड़ में तब्दील कर दिया।

मजेदार बात यह है कि सैंट्रल पी.डब्ल्यू.डी. से आपत्ति पत्र मिलने के महज 24 घंटे के भीतर ही होशियारपुर जिला प्रशासन ने नया एस्टीमेट सौंप दिया था। जाहिर है कि इस प्रोजैक्ट को लेकर शुरू से ही प्रशासन की नीयत साफ नहीं थी और योजनाबद्ध तरीके से घपले को अंजाम दिया जा रहा था।

सूत्रों के मुताबिक जांच के लिए बनाई गई विजिलेंस एस.आई.टी. ने जब दस्तावेजों को खंगालना शुरू किया तो घोटाले की कई परतें खुलनी शुरू हो गई। सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि 10 दिसंबर, 2015 को होशियारपुर के तत्कालीन एस.डी.एम. आनंद सागर शर्मा ने सैंट्रल पी.डब्ल्यू.डी. के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को इस फोरलेन प्रोजैक्ट के लिए करीब 42 हैक्टेयर (103 एकड़) जमीन अधिग्रहण के एवज में प्रति एकड़ लगभग 20 करोड़ रुपए के हिसाब से 800 करोड़ का एस्टीमेट सौंपा था।

एस.डी.एम. के इस पत्र के जवाब में सैंट्रल पी.डब्ल्यू.डी. के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर ने 14 जनवरी, 2015 को पत्र के जरिए सूचित किया कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने जमीन अधिग्रहण के लिए मांगी गई राशि को 'अत्यधिक' व 'आपत्तिजनक' बताया है और प्रस्तावित प्रोजैक्ट के प्रति अनिच्छा जताई है। मंत्रालय ने जालंधर में पहले अधिगृहीत जमीन के लिए तय कीमत का हवाला देते हुए एस.डी.एम. को कहा कि प्रोजैक्ट संबंधी जमीन का उचित मूल्यांकन कर संशोधित एस्टीमेट भेजा जाए। सैंट्रल पी.डब्ल्यू.डी. से यह पत्र मिलने के ठीक अगले दिन यानी 15 जनवरी, 2016 को ही होशियारपुर प्रशासन की ओर से एस.डी.एम. आनंद सागर शर्मा ने इसी प्रोजैक्ट को 290 करोड़ में तब्दील करते हुए दोबारा सेंट्रल पी.डब्ल्यू.डी. को एस्टीमेट सौंपा।

इसके बाद सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने 286 करोड़ रुपए में जमीन अधिग्रहण प्रोजैक्ट को मंजूरी दे दी। जांच एजैंसी का मानना है कि प्रोजैक्ट में बिना किसी बदलाव के महज 24 घंटे में 510 करोड़ रुपए कम करना भूमि अधिग्रहण की पूरी प्रक्रिया पर सवाल खड़े करता है।

गौरतलब है कि होशियारपुर के आर.टी.आई कार्यकर्ता राजीव वशिष्ठ की ओर से दायर आर.टी.आई. याचिका से यह बड़ा घोटाला खुला है। आर.टी.आई. से पता चला कि जालंधर से होशियारपुर तक प्रस्तावित फोरलेन प्रोजैक्ट के लिए योजनाबद्ध तरीके से क्षेत्र के अकाली नेताओं और कई रसूखदार लोगों ने किसानों की जमीन काफी कम कीमत पर खरीद ली थी। जमीन की कीमत बढ़ाने के लिए बाद में इन्हीं जमीनों पर कॉलोनियां काट दीं और जब अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू हुई तो सरकार को करोड़ों रुपए में बेच दी गई। मीडिया में यह घोटाला सामने आने के बाद मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने एस.डी.एम. आनंद सागर शर्मा समेत तहसीलदार बलजिंदर सिंह व नायब तहसीलदार मनजीत सिंह का तबादला करते हुए विजिलैंस जांच के आदेश दिए थे। 

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