एन.एच.एस. अस्पताल में अब रोबोट की सहायता से बदले जाएंगे घुटने एवं कूल्हे

Edited By Bhupinder Ratta,Updated: 29 Apr, 2019 09:00 AM

knee and the hip will now be replaced with the help of robots

यदि आपके घुटने अथवा कूल्हे में समस्या है और आप इसे रोबोट के जरिए बदलने के  लिए दिल्ली अथवा मुम्बई जाने की सोच रहे हैं तो अब आपका यह काम जालंधर में भी हो जाएगा। जालंधर के कपूरथला रोड पर स्थित एन.एच.एस. (नासा एंड हब सुपर स्पैशलिटी) अस्पताल में अब...

जालंधर (रत्ता): यदि आपके घुटने अथवा कूल्हे में समस्या है और आप इसे रोबोट के जरिए बदलने के  लिए दिल्ली अथवा मुम्बई जाने की सोच रहे हैं तो अब आपका यह काम जालंधर में भी हो जाएगा। जालंधर के कपूरथला रोड पर स्थित एन.एच.एस. (नासा एंड हब सुपर स्पैशलिटी) अस्पताल में अब रोबोट की सहायता से रोगियों के घुटने एवं कूल्हे के जोड़ बदलने के आप्रेशन करने की सुविधा उपलब्ध हो गई है। रविवार को एन.एच.एस. अस्पताल के ऑडिटोरियम में महानगर के सैंकड़ों गण्यमान्यों की उपस्थिति में इस नई तकनीक का ज्योति प्रज्वलित करके शुभारम्भ किया गया। इस दौरान अस्पताल के डायरैक्टर डा. शुभांग अग्रवाल (आर्थोपैडिक एंड ज्वाइंट रिप्लेसमैंट सर्जन), डा. नवीन चिटकारा (न्यूरो सर्जन), डा. संदीप गोयल (न्यूरोलॉजिस्ट), श्रीमती किरण अग्रवाल, डा. अमरजीत गोयल, श्रीमती देश गोयल, डा. शैली गोयल (नेत्र रोग विशेषज्ञ) व डा. रिंकू अग्रवाल (दंत चिकित्सक) विशेष तौर पर मौजूद रहे। इस दौरान मंच संचालन कामना राज अग्रवाल ने किया।

 एन.एच.एस. अस्पताल के स्टाफ द्वारा रोबोटिक तकनीक संबंधी प्रस्तुत की गई हास्य स्किट ने उपस्थिति को हंसा-हंसा कर लोट-पोट कर दिया। डायरैक्टर एवं न्यूरो सर्जन डा. नवीन चिटकारा ने  बताया कि उनके 125 बैड के अस्पताल में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की चिकित्सा सुविधाओं में बहुत ही कम रेडिएशन वाली सी.टी. स्कैन तथा एम.आर.आई. भी शामिल है और अस्पताल को अब तक कई अवार्ड भी मिल चुके हैं। अंत में डायरैक्टर-कम-न्यूरोलॉजिस्ट डा. संदीप गोयल ने सभी गण्यमान्यों का धन्यवाद किया।

महंगा पर कारगर है रोबोट
हालांकि रोबोट से की जाने वाली सर्जरी में सामान्य सर्जरी की तुलना में 50 हजार रुपए ज्यादा खर्च आता है लेकिन यह तकनीक सामान्य आप्रेशन के मुकाबले काफी कारगर है। रोबोटिक सर्जरी को लेकर आई रिसर्च की रिपोर्ट में भी दावा किया गया है कि इस तकनीक से किए जाने वाले आप्रेशन से लम्बी अवधि में फायदा होता है और मरीज को दोबारा ऐसी समस्या आने की संभावना न के बराबर रह जाती है। डा. शुभांग अग्रवाल ने बताया कि  रोबोट से किए जाने वाले आपे्रशन का खर्च सामान्य आप्रेशन के मुकाबले इसलिए ज्यादा है क्योंकि रोबोट से होने वाली सर्जरी के दौरान इस्तेमाल होने वाला आम और कई तरह का हार्डवेयर सिर्फ एक बार इस्तेमाल होता है तथा इसे रिसाइकिल नहीं किया जा सकता। कूल्हे अथवा घुटने की सामान्य तौर पर सर्जरी करते समय सिर्फ घुटने का वह हिस्सा बदला जाता है जिसमें समस्या होती है। यह आप्रेशन करते समय सर्जन एक्सरे की सहायता से खराब हो चुके घुटने के हिस्से को देखता है और इसमें बदलाव किया जाता है जबकि रोबोट की सहायता से सर्जरी करते समय सी.टी. स्कैन के जरिए घुटने अथवा कूल्हे की तस्वीरें ली जाती हैं जिनसे सर्जन को तीनों कोणों से घुटने में आ रही समस्या के बारे में पता चलता है। इसके बाद ये तस्वीरें रोबोटिक सॉफ्टवेयर सिस्टम में अपलोड की जाती हैं और सर्जरी की योजना बनाई जाती है। सर्जन ही इस दौरान रोबोटिक काम को कंट्रोल करता है और जरूरत वाले हिस्सों में बदलाव किया जाता है। 

रोबोटिक तकनीक से घुटना बदलवाने के मात्र 3 घंटे बाद चल सकता है रोगी: डा. शुभांग 

एन.एच.एस. अस्पताल में रोबोटिक तकनीक का विधिवत शुभारम्भ करने के अवसर पर अस्पताल के आर्थोपैडिक एंड ज्वाइंट रिप्लेसमैंट सर्जन डा. शुभांग अग्रवाल ने बताया कि रोबोट की सहायता से घुटना बदलवाने के मात्र 3 घंटे बाद रोगी चल सकता है। उन्होंने बताया कि दर्द रहित इस तकनीक से घुटना बदलने के लिए हड्डी एवं घुटने के आसपास की मांसपेशियों को नहीं काटा जाता। नैविओ रोबोटिक सॢजकल सिस्टम से खराब हुए घुटने को साफ करके उस जगह को तराश दिया जाता है और फिर उस जगह पर कृत्रिम घुटना लगा दिया जाता है। डा. शुभांग ने बताया कि इस रोबोटिक तकनीक से घुटना बदलने का नतीजा इतना सटीक होता है कि घुटने का कृत्रिम जोड़ भी कुदरती जोड़ जैसा बन जाता है। उन्होंने बताया कि इन नैविओ रोबोटिक तकनीक से घुटना बदलने के वक्त जहां ज्यादा रक्त बहता है वहीं रोगी को अस्पताल से जल्दी छुट्टी भी मिल जाती है। उन्होंने बताया कि इससे आंशिक या पूरा घुटना बदला जा सकता है। 

विश्व के पहले 50 अस्पतालों में शामिल हुआ एन.एच.एस. अस्पताल का नाम 
नैविओ रोबोटिक तकनीक लांच करते ही एन.एच.एस. अस्पताल का नाम विश्व के पहले ऐसे 50 अस्पतालों में शामिल हो गया है जहां इस अंतर्राष्ट्रीय तकनीक का इस्तेमाल होता है। अस्पताल के डायरैक्टर्ज ने बताया कि अपने इस क्षेत्र का यह पहला अस्पताल है जहां नैविओ रोबोटिक तकनीक से घुटने एवं कूल्हे के जोड़ बदले जाएंगे तथा इससे रोगियों को बहुत फायदा मिलेगा। 

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