Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 May, 2018 10:44 AM
पहले गुजरात विधानसभा तथा अब कर्नाटक विधानसभा के नतीजों पर नजर डालने से पता चलता है कि कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा के आम चुनावों को देखते हुए क्षेत्रीय दलों के साथ हाथ मिलाना शुरू कर दिया है। गुजरात में भी छोटी पार्टियों को साथ मिलाकर कांग्रेस ने...
जालंधर (धवन): पहले गुजरात विधानसभा तथा अब कर्नाटक विधानसभा के नतीजों पर नजर डालने से पता चलता है कि कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा के आम चुनावों को देखते हुए क्षेत्रीय दलों के साथ हाथ मिलाना शुरू कर दिया है। गुजरात में भी छोटी पार्टियों को साथ मिलाकर कांग्रेस ने चुनाव लड़ा था। अब कर्नाटक के चुनावी नतीजों के बाद कांग्रेस ने जे.डी.एस. के साथ हाथ मिलाया है।
कर्नाटक में चुनाव उपरांत जे.डी.एस. के साथ गठजोड़ किया गया है। इससे यह भी संकेत जाता है कि लोकसभा चुनाव के समय भी कांग्रेस द्वारा क्षेत्रीय दलों को साथ मिलाकर चुनावी दंगल में उतरा जाएगा, क्योंकि जो गठजोड़ अब हो गए हैं वह आगे भी जारी रहेंगे। गुजरात तथा कर्नाटक के चुनावी गणित पर अगर नजर डाली जाए तो पता चलता है कि कांग्रेस ने अपना वोट शेयर बढ़ाया है। 2012 में गुजरात में कांग्रेस को 38 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि 2017 में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 41.44 प्रतिशत वोट मिले हैं। इसी तरह से कर्नाटक में चुनावों में कांग्रेस का वोट बैंक 2013 में 36.59 प्रतिशत था, जबकि 2018 में उसका वोट शेयर बढ़ कर 38 प्रतिशत हो गया।राजनीतिक प्रेक्षकों का भी मानना है कि कांग्रेस को 2019 के चुनावी से पूर्व विभिन्न क्षेत्रीय पार्टियों के साथ चुनावी गठजोड़ करने होंगे तभी वह एक शक्तिशाली मंच का गठन कर पाएगी।
भाजपा ने चाहे दलित वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है परन्तु इसमें अभी उसे सफलता नहीं मिली है जबकि कांग्रेस ने हिंदू वोट बैंक में सेंध अवश्य लगा ली है। कांग्रेस के पक्ष में विचार रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कांग्रेस को 2019 में भाजपा को करारी टक्कर देनी है तो उस स्थिति में उसे सबसे पहले नर्म हिंदुत्व की तरफ कदम तेजी से बढ़ाने होंगे। राहुल गांधी पहले ही प्रत्येक धार्मिक स्थलों में जा रहे हैं। राहुल द्वारा मंदिरों के लगातार दौरे करने से भाजपा वाले अंदरखाते ङ्क्षचतित अवश्य हैं क्योंकि अभी तक भाजपा नेता यही कहते थे कि कांग्रेस की विचारधारा मुस्लिम हितैषी है जिसे राहुल गांधी ने पिछले कुछ समय के दौरान दूर करने में सफलता अवश्य पाई है तथा मुस्लिम समर्थक नेताओं जैसे दिग्विजय सिंह आदि को संगठन मामलों से दूर किया है।