Edited By Vatika,Updated: 10 May, 2018 01:56 PM
डी.ए.सी. के अंदर बनी तहसील, जहां रोजाना करोड़ों रुपए की जमीन-जायदाद की रजिस्ट्रेशन की जाती है, वहां आए दिन फर्जीवाड़े और जालसाजी की खबरें सुनने को मिलती रहती हैं। इस कड़ी में एक नया मामला सामने आया है, जिसमें करोड़ों रुपए की जगह को विदेश से मंगवाई...
जालंधर(अमित): डी.ए.सी. के अंदर बनी तहसील, जहां रोजाना करोड़ों रुपए की जमीन-जायदाद की रजिस्ट्रेशन की जाती है, वहां आए दिन फर्जीवाड़े और जालसाजी की खबरें सुनने को मिलती रहती हैं। इस कड़ी में एक नया मामला सामने आया है, जिसमें करोड़ों रुपए की जगह को विदेश से मंगवाई गई जाली पावर आफ अटार्नी के आधार पर बेच दिया गया। जगह के असली मालिकों तक जब यह खबर पहुंची तो उनके पैरों तले जमीन निकल गई। फिल्हाल मामले को दबाने और रफा-दफा करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया जा रहा है। असलीयत क्या है, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, मगर यह कहना गल्त नहीं कि तहसील में बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है, जिसकी अधिकारियों को कानों-कान कोई खबर ही नहीं है।
क्या है मामला, कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
लगभग 27 मरले कमर्शियल जगह की मार्च और अप्रैल महीने में तीन रजिस्ट्रियां जालंधर में रजिस्टर करवाई गई, जिसमें शहर के एक रसूखदार, जिसका एक स्कूल भी है, ने विदेश से आई एक पावर आफ अटार्नी द्वारा 7 मरले की एक व 10-10 मरले की 2 रजिस्ट्रियां अपने, अपनी पत्नी और बेटे के नाम पर करवाई। यू.के. से एक महिला जिसे उक्त जमीन का मालिक बताकर अटार्नी मंगवाई गई, असल में वह जमीन की मालिक है ही नहीं। जिस जगह की मालिक यू.के. निवासी महिला को बताया जा रहा है, दरअसल उसकी असली मालिक महिला यू.एस.ए. में रहती है। मामला उस समय पकड़ में आया जब जालंधर के ही रहने वाले तीन लोगों ने इसी जगह को साथ में मिलकर खरीदा और बतौर बयाना 60 लाख रुपए की मोटी राशि असली मालिकों तक पहुंचाई। बयाना करने के बाद उन्हें पता लगा कि जिस जगह के लिए उन्होंने बयाना किया था उसकी पहले ही तीन रजिस्ट्रियां किसी अन्य के नाम पर हो चुकी हैं।
मामला साफ नहीं, जल्दी पता लगेगी सच्चाई : राकेश कन्नौजिया
इस मामले के साथ जुड़े हुए राकेश कन्नौजिया से जब बात की गई, तो उन्होंने कहा कि मामला फिल्हाल साफ नहीं है, क्योंकि जमीन की मालिक दो महिलाएं हैं और हो सकता है कि दोनों ही असली मालिक हों। पहले बेची गई जमीन असली मालिक ने बेची है या नहीं इसको लेकर सारी सच्चाई का जल्दी ही पता लग जाएगा।
हम तो बोनाफाइड खरीदार हैं, केयरटेकर से खरीदी है जगह : अनिल दीवान
27 मरले जमीन खरीदने वाले अनिल दीवान से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि वह तो बोनाफाइड खरीदार हैं। उन्होंने जगह मालिकों के केयरटेकर से खरीदी है। पिछले 8 साल से वह ही उनकी जगह की देखभाल कर रहा था और किराया भी वसूल रहा था। कुल जमीन लगभग 55 मरले है, जिसमें से हमने केवल 27 मरले ही खरीदी है। अगर उनके साथ कुछ गल्त हुआ है, तो वह इसके लिए आवाका कारूर उठाएंगे।
कोई शिकायत नहीं आई, अगर आएगी तो होगी कार्रवाई : डी.सी.
डी.सी. वरिंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि न तो मामला उनकी जानकारी में है और न ही कोई शिकायत आई है। अगर कोई शिकायत आती है तो जांच करवाई जाएगी और हर हाल में दोषियों के खिलाफ बनती कार्रवाई की जाएगी।