सरकार-ए-आजम अंदर की बात: मलाईदार सीटों पर तैनाती के लिए अधिकारी भर रहे अवैध टैंडर

Edited By Vatika,Updated: 16 Nov, 2018 11:16 AM

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प्रदेश की कांग्रेस सरकार जो करप्शन को जड़ से उखाड़ फैंकने की बात कहकर ही पूर्व अकाली-भाजपा गठबंधन को चुनावों में हराकर सत्ता में आई थी, वह मौजूदा समय के अंदर खुद ही भ्रष्टाचार रूपी दलदल में धंसने लगी है।

जालंधर (अमित): प्रदेश की कांग्रेस सरकार जो करप्शन को जड़ से उखाड़ फैंकने की बात कहकर ही पूर्व अकाली-भाजपा गठबंधन को चुनावों में हराकर सत्ता में आई थी, वह मौजूदा समय के अंदर खुद ही भ्रष्टाचार रूपी दलदल में धंसने लगी है। 

सूत्रों की मानें तो पूरे प्रदेश में अलग-अलग विभागों में मलाईदार सीटों पर तैनाती के इच्छुक अधिकारियों को सरकार के उच्च-स्तर पर या फिर अपने-अपने विभागों से संबंधित मंत्रियों के पास अवैध टैंडर भरना पड़ रहा है। सुनने में यह अजीब लगता है, मगर यह बिल्कुल सच है, क्योंकि परिवहन और राजस्व विभाग में बहुत-सी मलाईदार सीटें ऐसी हैं जिसमें अधिकारियों को हर महीने लाखों रुपए की काली कमाई होती है। इन विभागों में अपनी नियुक्ति के लिए अधिकारी जहां पहले सिफारिश का जुगाड़ लगाया करते थे, अब यहां प्रति सीट टैंडर भरना पड़ रहा है। यानी कि जो अधिकारी अपने मनपसंद स्टेशन पर तैनात होना चाहता है, वह अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी के मुकाबले एक साल में रिश्वत की कितनी राशि भेंट स्वरूप चढ़ा सकता है, इस पैमाने पर ही उसकी ट्रांसफर हो सकती है। कुछ सीटों पर जहां 2 से अधिक अधिकारी इच्छुक होते हैं, वहां पर बाकायदा तौर पर बोली की प्रक्रिया अपनाई जा रही है, जो अधिकारी साल का अधिक रेट भरने के लिए तैयार हो रहा है उसकी नियुक्ति बिना किसी रुकावट के संभव हो रही है। 

हाल ही में एक विभाग में एक अधिकारी को 2 सीटों का कार्यभार दे दिया गया था जिसको लेकर काफी देर तक हो-हल्ला मचा था, मगर बाद में सब कुछ शांत हो गया। पिछले हफ्ते उक्त विभाग के अधिकारियों के बीच आपसी बातचीत के लिए बनाए गए एक व्हाट्स एप ग्रुप में कुछ ऐसा हुआ जिसकी कल्पना शायद किसी को नहीं होगी। ‘पंजाब केसरी’ के हाथ उस ग्रुप के कुछ स्क्रीनशॉट आए हैं जिन्हें पढ़कर किसी के भी पैरों तले जमीन निकल जाए। एक अधिकारी ने टैंडर वाली प्रक्रिया के कारण की गई नियुक्तियों को लेकर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए अपने प्रधान को सरेआम दलाल की उपाधि तक दे डाली जिसके बाद एक के बाद एक मैसेजों की झड़ी-सी लग गई। जहां कुछ अधिकारी उक्त अधिकारी को अपनी शब्दावली सही करने की बात कह रहे थे, वहीं कुछ ने उसे सही भी ठहराया। वैसे सरकार के अंदर जिस प्रकार अधिकारियों के बीच असंतोष की भावना पनपने लगी है, को देखकर यह कहना भी गलत नहीं होगा कि अगर इस मामले में जल्द ही उच्च-स्तर पर हस्तक्षेप करके स्थिति को संभाला नहीं गया, तो आने वाले दिनों में इसके विस्फोटक परिणाम सामने आ सकते हैं।

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