Edited By Anjna,Updated: 28 Jun, 2018 10:02 AM
25 जून को पार्षद हाऊस की हंगामापूर्ण बैठक में निगमाधिकारियों की जोरदार तरीके से खिंचाई के बाद 26 जून को निगम के कई अधिकारियों ने टी पार्टी के बहाने आपस में गुप्त बैठक करके पार्षद हाऊस में मेयर तथा पार्षदों द्वारा अफसरों प्रति बरती गई शब्दावली को...
जालंधर (खुराना): 25 जून को पार्षद हाऊस की हंगामापूर्ण बैठक में निगमाधिकारियों की जोरदार तरीके से खिंचाई के बाद 26 जून को निगम के कई अधिकारियों ने टी पार्टी के बहाने आपस में गुप्त बैठक करके पार्षद हाऊस में मेयर तथा पार्षदों द्वारा अफसरों प्रति बरती गई शब्दावली को अफसरों की तौहीन बताया। कल हुई यह गुप्त बैठक आज सार्वजनिक रूप से सामने आ गई जब निगम के लगभग सभी विभागों के उच्चाधिकारियों ने इकट्ठे होकर निगम कमिश्रर को ज्ञापन दिया कि सार्वजनिक तौर पर रिश्वत के आरोप लगाकर तथा जलील करके नई परम्परा कायम की जा रही है जिससे हाऊस की मर्यादा का भी उल्लंघन हो रहा है।
क्लास वन गजटिड अफसरों को जिस तरीके से अपमानित करने का प्रयास किया गया उसकी सभी ने घोर निंदा की। बाद में अफसरों का प्रतिनिधित्व कर रहे एस.ई. किशोर बांसल, एस.ई. अश्विनी चौधरी, एस.टी.पी. मोनिका आनंद तथा एस.टी.पी. परमपाल सिंह के नेतृत्व में सभी बड़े अधिकारी तथा इम्प्लाइज यूनियन की ओर से राजन गुप्ता व अन्य पदाधिकारी मेयर से मिले जहां इस मुद्दे पर खुलकर चर्चा हुई। अफसरों ने कहा कि पार्षद निजी आरोप लगाते हैं जिसके लिए हैड ऑफ द डिपार्टमैंट जवाबदेह नहीं है। अगर किसी क्लास फोर कर्मचारी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगता है तो उसके लिए अफसर जिम्मेदार नहीं।
अधिकारियों ने अल्टीमेटम दिया कि अगर पार्षदों का यह रवैया जारी रहा तो कोई भी अधिकारी या कर्मचारी हाऊस की मीटिंग में जवाब नहीं देगा। पार्षद को कोई समस्या है तो लिखित दे और जवाब देने के लिए 7 दिन का समय दिया जाए। मेयर ने सभी अफसरों की बातें ध्यान से सुनकर कहा कि अगर किसी पार्षद के रवैये पर एतराज है तो उसे समझा दिया जाएगा और भविष्य में अफसरों को अपमानित न होना पड़े यह सुनिश्चित किया जाएगा परन्तु हाऊस में अफसरों को उपस्थित रहना ही होगा और सवालों के जवाब भी देने होंगे, जवाबदेह भी बनना होगा।
पार्षद जनता के चुने प्रतिनिधि हैं उन्हें सवाल पूछने का हक है। अगर अधिकारी अपनी ड्यूटी सही तरीके से निभाकर समस्याओं को ही खत्म कर दें तो पार्षद हाऊस में क्यों बोलेंगे। अगर अफसर जवाबदेह नहीं तो क्या मेरी जवाबदेही है। अगर अफसर नहीं आएंगे तो पार्षद घर बैठ जाएंगे। फिर सरकार को लिख देना कि निगम को कौन चलाएगा। निगम में आज सारा दिन इसी कशमकश में बीता जिस कारण काम प्रभावित हुआ।