Edited By Vatika,Updated: 15 Jun, 2018 12:16 PM
प्रदेश में ट्रैवल-हब के तौर पर जाने वाले जालंधर शहर के अंदर हाल ही में सिविल व पुलिस प्रशासन द्वारा की गई बड़ी कार्रवाई के पीछे कहीं इस ट्रेड से जुड़े बड़े ट्रैवल माफिया का हाथ तो नहीं है? यह सवाल इस ट्रेड के साथ पिछले कई वर्षों से जुड़े लोग पूछ रहे...
जालंधर(अमित, सलवान): प्रदेश में ट्रैवल-हब के तौर पर जाने वाले जालंधर शहर के अंदर हाल ही में सिविल व पुलिस प्रशासन द्वारा की गई बड़ी कार्रवाई के पीछे कहीं इस ट्रेड से जुड़े बड़े ट्रैवल माफिया का हाथ तो नहीं है? यह सवाल इस ट्रेड के साथ पिछले कई वर्षों से जुड़े लोग पूछ रहे हैं और प्रशासन की कार्रवाई पर सवालिया निशान लगाते हुए कह रहे हैं कि सही और गलत कारोबारियों में कोई अंतर ही नहीं किया जा रहा है। जाली ट्रैवल एजैंटों का कारोबार बदस्तूर जारी है, जबकि सही लोग जटिल लाइसैंस प्रक्रिया में पिस रहे हैं। बिना किसी कसूर के कई दिनों से अपने-अपने दफ्तर बंद कर बैठे कारोबारियों का कहना है कि न जाने उन्होंने कौन सा इतना बड़ा कसूर किया है जिसके चलते वे इतना संताप झेलने पर मजबूर हैं। कारोबारी पहले ही साफ कर चुके हैं कि अगर प्रदेश सरकार ने अगर ट्रैवल एजैंटों को नए एक्ट को लेकर पेश आ रही समस्याओं की तरफ जल्दी ही ध्यान न दिया तो वह दिन दूर नहीं जब पंजाब से ट्रैवल कारोबार पलायन कर चंडीगढ़, हरियाणा या दिल्ली में चला जाएगा।
पूरी मार्कीट पर एकाधिकार कायम करना चाह रही हैं प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर काम करने वाली कंपनियां
कारोबारियों का कहना है कि ट्रैवल ट्रेड से जुड़ी हुई प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर काम करने वाली कंपनियां पूरी मार्कीट पर एकाधिकार कायम करना चाह रही हैं। उक्त कंपनियां नहीं चाहती कि छोटे कारोबारी मार्कीट में टिके रहें, इसीलिए साम-दाम-दंड और भेद की नीति अपनाते हुए जालंधर से छोटे कारोबारियों को खत्म करने के लिए बहुत बड़ी साजिश रची जा रही है।
अन्य जिलों में सरलता से मिल रहा लाइसैंस, जालंधर में क्यों आ रही हैं अड़चनें?
कारोबारियों का कहना है कि पूरे प्रदेश की अगर बात की जाए तो केवल जालंधर ही ऐसा जिला है जहां हर रोज नई-नई शर्तें लगाकर उन्हें परेशान किया जा रहा है। अमृतसर, लुधियाना, मोहाली आदि जगहों पर न तो रजिस्टर्ड रैंट-डीड के लिए दबाव बनाया जा रहा है और न ही अलग-अलग कैटेगरी के हिसाब से अलग फीस वसूली जा रही है। इतना ही नहीं, लाइसैंस आवेदन को काफी सरल रखा गया है, मगर जालंधर में बिल्कुल इसके विपरीत कारोबारियों को जानबूझकर परेशान करने के लिए एक्ट की अपने हिसाब से व्याख्या करते हुए नई-नई पाबंदियां लगाकर मनमानी की जा रही है।
सही कारोबारियों के मन में बैठा दिया डर, सहमे हुए कर रहे हैं काम
कारोबारियों का कहना है कि पुलिस ने सख्त एक्शन लेते हुए बेकसूर लोगों को गिरफ्तार किया, जबकि किसी के खिलाफ कोई धोखाधड़ी की शिकायत तक नहीं आई थी। लाइसैंस आवेदन जमा करने के बाद भी मुजरिमों की भांति बर्ताव करते हुए उन्हें जेल भेज दिया गया। पुलिस की कार्रवाई के बाद सही कारोबारियों के मन में खौफ की स्थिति बनी हुई है। पुलिस व सिविल प्रशासन द्वारा की गई संयुक्त कार्रवाई के बाद हर कोई सहमा हुआ है। सरकार द्वारा तय सारे मापदंडों और नियमों का पालन भली-भांति कर रहे हैं, मगर फिर भी वे सुरक्षित नहीं हैं।
गिरफ्तारी के बाद पुलिस के टॉर्चर ने हिलाकर रख दिया पूरा ट्रेड
सूत्रों की मानें तो पहले दिन पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई के पश्चात जिन कारोबारियों को गिरफ्तार किया गया था, उनके साथ थाने में न केवल हार्डकोर क्रिमिनल्स की भांति बर्ताव किया गया, बल्कि कुछ को टॉर्चर भी किया गया, जिसकी खबर ने पूरे ट्रेड को ही बुरी तरह से हिलाकर रख दिया है। एक कारोबारी जिसकी हार्ट बाईपास सर्जरी हुई थी, को भी टॉर्चर किया गया और वह बार-बार यही गिड़गिड़ाता रहा - ‘मुझे मत मारो, मैं मर जाऊंगा।’ उस रात को याद करते हुए ट्रेड के लोग सहम जाते हैं और दबी जुबान में उनका यही कहना है कि इतना बुरा सलूक तो शायद असली क्रिमिनल्स के साथ भी नहीं होता होगा, जो उनके साथ किया गया था। कोई भी कारोबारी इस मामले में शिकायत देने के लिए तैयार नहीं है, क्योंकि उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि अगर उन्होंने किसी की शिकायत दर्ज करवाई तो शायद उनके खिलाफ कोई झूठा मुकद्दमा दर्ज करके न फंसा दिया जाए। हालांकि ए.सी.पी. समीर वर्मा ने इन सभी आरोपों को गलत ठहराते हुए कहा कि गिरफ्तार किए गए एजैंटों में से कुछ बुजुर्ग व बीमार भी थे, जिनको लेकर काफी रियायत बरती गई थी। हवालात में बंद किसी भी व्यक्ति को न तो बाहर से खाना दिया जा सकता है और न ही दवाई आदि। मगर इंसानियत के नाते उनको घर से खाना मंगवाने और दवाइयां आदि लाने की इजाजत भी दी गई थी। अगर कोई यह कहता है कि पुलिस ने किसी भी ट्रैवल एजैंट को टॉर्चर किया था, तो यह सरासर गलत और मिथ्या आरोप है।
केवल आइलैट्स कराने वालों को गलत ठहराना नहीं जायज
शहर के अंदर पिछले लंबे समय से छात्रों को अंग्रेजी भाषा के साथ-साथ अन्य विदेशी भाषाओं की शिक्षा प्रदान करने वाले कारोबारी जो अलग-अलग जगह पर आइलैट्स सैंटर चला रहे हैं, का कहना है कि उन्हें भी सरेआम गलत ठहराया जा रहा है, जिसका सीधा असर छात्रों के भविष्य पर पड़ रहा है, क्योंकि अगर कोई ट्रैवल एजैंट भोले-भाले छात्रों को बहला-फुसलाकर विदेश भेजने के नाम पर पैसे वसूलता है और बिना पैसे लिए आइलैट्स की ट्रेनिंग देने का दावा करता है तो ऐसे लोगों पर जरूर शिकंजा कसना चाहिए, मगर जो लोग केवल स्टूडैंट्स को आइलैट्स पढ़ा रहे हैं और उनका बच्चों को विदेश भेजने में कोई रोल ही नहीं है, उनको गलत नहीं ठहराया जाना चाहिए।
किन बातों को लेकर कारोबारियों और प्रशासन के बीच हैं मतभेद?
कारोबारियों और प्रशासन के बीच एक्ट को लेकर भी मतभेद जारी है। कारोबारियों का कहना है कि पंजाब प्रिवैंशन आफ ह्यूमन स्मगलिंग एक्ट, 2012 के रूल्ज और आफ ह्यूमन स्मगलिंग रूल्ज, 2013 और 2014 में किए गए संशोधन के अंदर अभी भी कुछ खामियां हैं जिन्हें दूर किया जाना और स्पष्ट किया जाना बेहद जरूरी है। एक्ट में दी गई ट्रैवल एजैंट की परिभाषा के अनुसार ट्रैवल एजैंट विदेश जाने वाले यात्री के साथ संबंधित सभी काम कर सकता है जैसे कि पासपोर्ट अरेंज करना, वीजा, होटल बुकिंग और टिकटिंग आदि मगर प्रशासन का मानना है कि ट्रैवल एजैंट 5 अलग-अलग कैटेगरी में काम करने वाले लोगों को माना जाएगा। कारोबारियों का कहना है कि हर काम के अलग-अलग फीस नहीं ली जानी चाहिए, जबकि प्रशासन द्वारा हर कैटेगरी के लिए अलग फीस की मांग रखी गई है। इसके साथ ही कारोबार वाली जगह के प्रूफ के तौर पर दिए जाने वाले दस्तावेजों को लेकर भी मतभेद चल रहा है। कारोबारियों का कहना है कि 5 में से 1 दस्तावेज देना अनिवार्य है, जबकि मौजूदा समय में रजिस्टर्ड रैंट-डीड के लिए कारोबारियों पर अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा है जो बिल्कुल गलत है।
नियमानुसार जारी हो रहे हैं लाइसैंस, किसी को नहीं आने दी जाएगी परेशानी : डी.सी.
डी.सी. वरिंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि ट्रैवल एजैंट लाइसैंस नियमानुसार ही जारी किए जा रहे हैं। प्रशासन की पूरी कोशिश है कि किसी भी व्यक्ति को आवेदन जमा करवाते समय कोई दिक्कत पेश न आए। काफी बड़ी गिनती में पैंडैंसी खत्म की जा रही है। जल्दी ही सारा काम सुचारू ढंग से सम्पन्न हो जाएगा। किसी भी कारोबारी को परेशानी नहीं आने दी जाएगी।
कैप्टन के करीबियों की भी पुलिस ने एक नहीं सुनी
सूत्रों की मानें तो जिस दिन ट्रैवल कारोबारियों के दफ्तरों पर रेड की गई थी उस दिन प्रदेश के सी.एम. कैप्टन अमरेंद्र सिंह के एक करीबी ने भी पुलिस अधिकारियों को फोन किया था। इतना ही नहीं, कुछ अन्य राजनेताओं और कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारियों ने भी पुलिस के पास कई सिफारिशी फोन किए थे मगर नीचे से लेकर ऊपर तक किसी अधिकारी ने एक नहीं सुनी और अपनी कार्रवाई जारी रखी।