जनता के हित में कोई सही पॉलिसी नहीं ला सके जालंधर के विधायक

Edited By swetha,Updated: 26 May, 2019 08:58 AM

jalandhar mla can not bring any right policy in the interest of the public

फरवरी, 2017 में पंजाब विधानसभा हेतु हुए चुनावों दौरान राज्य की जनता ने अकाली-भाजपा के 10 साल के शासनकाल से तंग आकर कांग्रेस पार्टी को जबरदस्त समर्थन दिया था। उसके बाद पंजाब के सभी नगर निगमों में भी सत्ता पलटी और अकाली-भाजपा की बजाय कांग्रेस ने...

जालंधर(खुराना): फरवरी, 2017 में पंजाब विधानसभा हेतु हुए चुनावों दौरान राज्य की जनता ने अकाली-भाजपा के 10 साल के शासनकाल से तंग आकर कांग्रेस पार्टी को जबरदस्त समर्थन दिया था। उसके बाद पंजाब के सभी नगर निगमों में भी सत्ता पलटी और अकाली-भाजपा की बजाय कांग्रेस ने निगमों पर भी कब्जा कर लिया। इस सवा दो साल के शासनकाल दौरान पूरे पंजाब में कांग्रेस का तिलस्म लगभग टूटता नजर आ रहा है। कांग्रेस पार्टी अपने ज्यादातर चुनावी वायदे पूरे करने में असमर्थ दिख रही है। हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान जिस प्रकार शहरों में कांग्रेस विरोधी लहर दिखी और मोदी के नाम पर लोगों ने वोट डाली, उससे कांग्रेसियों में भविष्य की चिंता पनपनी शुरू हो गई है।

जालंधर की ही बात करें तो 2017 में कांग्रेस ने जबरदस्त तरीके से जालंधर की चारों शहरी विधानसभा सीटों पर कब्जा किया था और तुरंत बाद हुए निगम चुनावों में भी ज्यादातर कांग्रेसी पार्षदों ने जीत दर्ज की थी। अब हुए लोकसभा चुनावों दौरान जालंधर नार्थ और जालंधर सैंट्रल विधानसभा क्षेत्रों में अकाली-भाजपा उम्मीदवार ने लीड प्राप्त की। अकेले नार्थ विधानसभा क्षेत्र में ही कांग्रेस की करीब 40,000 वोटें कम हो गईं। अन्य 2 विधानसभा क्षेत्र जालंधर छावनी और जालंधर वैस्ट भी कांग्रेसी उम्मीदवार को मामूली बढ़त दिला पाए।

इन चुनावों दौरान जालंधर शहर के कांग्रेसी विधायकों को मिली मायूसी के पीछे यही कारण माना जा रहा है कि शहर के विधायक जनता के हित में सही पॉलिसियां लाने में विफल साबित हुए। विधानसभा में शहरी क्षेत्रों हेतु अच्छी पॉलिसी पर चर्चा करने की बजाय ज्यादातर विधायक गलियों-नालियों जैसे विकास कार्यों में ही अटके रहे। अगर यही हाल रहा तो शहर में चर्चा है कि आगामी विधानसभा चुनावों दौरान एक बार फिर तख्ता पलट हो सकता है।

अवैध कालोनियों व प्लाटों की एन.ओ.सी. पॉलिसी
मंदी में चल रहे प्रापर्टी कारोबार को प्रफुल्लित करने के उद्देश्य से कई महीनों की उठा-पटक के बाद कांग्रेस ने अवैध कालोनियों व प्लाटों को रैगुलर करने बारे जो पॉलिसी दी, वह बिल्कुल फ्लाप साबित दिख रही है। शायद ही कोई अवैध कालोनी इस पालिसी के तहत पूरी तरह रैगुलर हो पाई हो। वही लोग प्लाटों की एन.ओ.सी. करवा रहे हैं जिन्हें रजिस्ट्री करवानी होती है। इस पॉलिसी को यदि सही तरीके से लागू किया जाता तो इससे पंजाब सरकार के खजाने में अरबों रुपए आ सकते थे परंतु किसी विधायक ने इस पॉलिसी को सही तरीके से लागू करवाने की दिशा में दिलचस्पी नहीं दिखाई। इसी का कारण है कि आज पंजाब के प्रॉपर्टी कारोबार में फिर मंदी का दौर है और प्रापर्टी कारोबार से जुड़े लोग अब कांग्रेस से भी खुश नहीं हैं।

वन टाइम सैटेलमैंट पॉलिसी
अवैध रूप से बन चुकी बिल्डिंगों को रैगुलर करने हेतु लम्बी घोषणाओं के बाद हाल ही में जो वन टाइम सैटेलमैंट पॉलिसी लाई गई है उसे बिल्कुल फ्लॉप बताया जा रहा है क्योंकि शायद ही कोई बिल्डिंग मालिक 1000 रुपए प्रति वर्ग फुट की महंगी दर से अपनी बिल्डिंग को रैगुलर करवाएगा। जालंधर में ही सैंकड़ों अवैध बिल्डिंगें हैं परंतु मात्र 21 बिल्डिंग मालिकों ने इस पॉलिसी के तहत अप्लाई किया है और उनमें से भी ज्यादातर ने सिर्फ खानापूर्ति हेतु फाइलें सबमिट की हैं। जालंधर के विधायक यदि जोर लगाते और सही रेट तथा सही नियमों वाली वन टाइम सैटेलमैंट पॉलिसी लेकर आते तो इस पॉलिसी से भी सरकार को करोड़ों-अरबों रुपए आ सकते थे।

विज्ञापनों संबंधी पॉलिसी
कांग्रेस सरकार ने पिछले साल शहरी क्षेत्रों हेतु विज्ञापनों संबंधी जो पॉलिसी लागू की थी, वह पॉलिसी भी नगर निगमों में पूरी तरह फेल साबित हुई और जालंधर के किसी विधायक ने अपनी सरकार की इस पॉलिसी को सही करवाने या इसे लागू करवाने में दिलचस्पी नहीं दिखाई।
 गौरतलब है कि जब जालंधर में विज्ञापनों का ठेका प्राइवेट एजैंसी के हाथ में था तो साल की करोड़ों रुपए की आय वह कम्पनी करती थी। ठेका समाप्त हो चुका है, साल भर से सभी विज्ञापन स्लॉट खाली पड़े हैं, निगम को कोई आय नहीं हो रही। हजारों अवैध विज्ञापनों से सरकारी कर्मचारी अपनी जेबें भर रहे हैं। यदि इस पॉलिसी को सही तरीके से लागू करवाया जाए तो इससे भी निगम को करोड़ों रुपए की आमदनी हो सकती है।

पार्कों की संभाल संबंधी पॉलिसी
कांग्रेस सरकार ने निगम क्षेत्रों में स्थित पार्कों व ग्रीन बैल्टों की संभाल हेतु जो पॉलिसी लागू कर रखी है, उसे लेकर भी जनता के बीच कोई जानकारी या उत्साह नहीं है। शहर की शक्ल-सूरत सुधारने और इसे हरा-भरा करने में यह पॉलिसी बड़ा रोल अदा कर सकती है जिसमें निगम का कोई पैसा भी नहीं लगेगा परंतु इसके बावजूद शहर के किसी विधायक ने इस पॉलिसी को सही भावना से लागू करवाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई, जिस कारण आज भी शहर के सैंकड़ों पार्क बदहाल अवस्था में हैं और प्रदूषण का लैवल दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है।

बिल्डिंग बायलाज व जोनिंग पॉलिसी
शहर में पिछले दो सालों के दौरान सैंकड़ों-हजारों अवैध निर्माण हो चुके हैं जिस कारण निगम खजाने को करोड़ों रुपए की चपत लगी है और प्राइवेट जेबों में सारा पैसा जा चुका है। लोगों में आम चर्चा है कि बिल्डिंग बनाने संबंधी बायलाज ठीक न होने के कारण लोग अवैध बिल्डिंग बनाने को मजबूर होते हैं। शहर के विधायकों को भी इस बात की पूरी जानकारी है परंतु किसी विधायक ने विधानसभा में मुद्दा उठाकर बिल्डिंग बायलाज में सुधार करवाने का प्रयास नहीं किया। विधायक रिंकू लगातार मांग कर रहे हैं कि कमर्शियल निर्माण की अनुमति कम चौड़ी सड़कों पर भी दी जाए और क्षेत्रों की स्थिति के हिसाब से नए सिरे से जोनिंग हो परंतु विधायक रिंकू ने भी यह मामला अभी तक विधानसभा में नहीं उठाया। बिल्डिंग बायलाज में जब तक सुधार नहीं किए जाएंगे तब तक निगम खजाने में धेला नहीं आएगा, भ्रष्टाचार इसी तरह बढ़ता रहेगा और अगर डिच मशीनों से बिल्डिंगों को तोड़ा जाएगा तो सरकार के प्रति नाराजगी ही बढ़ेगी।

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