फैंसी नंबर PB-88-8888 की दोबारा होगी बोली, अलॉटमैंट पर लगी रोक

Edited By Vatika,Updated: 09 Jan, 2019 10:46 AM

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परिवहन विभाग के अंदर ऊंची सैटिंग और पैसों के दम पर हाल ही में कुछ एजैंटों द्वारा सरेआम ऑनलाइन बोली प्रक्रिया में सेंध लगाने का एक मामला सामने आया था जिसमें सॉफ्टवेयर के अंदर तकनीकी खराबी का बहाना बनाकर परिवहन विभाग में जमकर धांधलियां की जा रही थीं।

जालंधर(अमित): परिवहन विभाग के अंदर ऊंची सैटिंग और पैसों के दम पर हाल ही में कुछ एजैंटों द्वारा सरेआम ऑनलाइन बोली प्रक्रिया में सेंध लगाने का एक मामला सामने आया था जिसमें सॉफ्टवेयर के अंदर तकनीकी खराबी का बहाना बनाकर परिवहन विभाग में जमकर धांधलियां की जा रही थीं। 

ऑनलाइन बोली में बनती सरकारी फीस और बोली की रकम जमा करवाने के बावजूद सफल बोलीदाता को उसका नंबर नहीं मिला था। इस संबंधी एक वकील द्वारा लिखित रूप से शिकायत भेजे जाने के पश्चात एस.टी.सी. (स्टेट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर) द्वारा उक्त नंबर की अलॉटमैंट को रद्द करने का फैसला लेते हुए दोबारा बोली करवाने संबंधी आदेश जारी किया है। 

तकनीकी खराबी कहकर दोषी कर्मचारियों पर नहीं की जाती कार्रवाई 
इस मामले में एक बात जो उभरकर सामने आती है, वह यह कि न जाने ऐसी कौन-सी मजबूरी है कि परिवहन विभाग के अधिकारी दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय हर बार केवल तकनीकी खराबी का बहाना बनाकर खानापूर्ति कर दी जाती है। 

हाईकोर्ट में दायर की जाएगी याचिका : गौरव लूथर
आर.टी.आई. एक्टीविस्ट गौरव लूथर ने कहा कि इस पूरे मामले में शुरू से लेकर अंत तक परिवहन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की एजैंटों के साथ मिलीभगत सामने आ रही है। दोषी कर्मचारियों को बचाने के चक्कर में जानबूझकर सही अलॉटी को नंबर देने की जगह बोली रद्द करके पल्ला झाड़ा जा रहा है। वह जल्द ही माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में इस संबंधी एक याचिका दायर करेंगे जिसमें विभाग के अधिकारियों को बाई नेम शामिल करके विभाग की काली भेड़ों का पर्दाफाश किया जाएगा।

क्या था मामला, क्यों अलॉटमैंट की गई रद्द?
एडवोकेट सुतीक्षण समरोल ने परिवहन विभाग के साथ-साथ प्रिंसीपल सैक्रेटरी ट्रांसपोर्ट विभाग, एस.टी.सी., एन.आई.सी. चंडीगढ़, डी.सी. तरनतारन, एस.डी.एम. भिखीविंड आदि को एक पत्र लिखा था कि कैसे उनके क्लाइंट सुमित साजन ने पी.बी.-88-8888 नंबर के लिए ‘पहले आओ पहले पाओ’ के आधार पर विभाग की वैबसाइट पर 12,500 रुपए की राशि जमा करवाकर आवेदन जमा करवाया था जिसके लिए विभाग की वैबसाइट पर बाकायदा अपडेशन होने की जानकारी 12.04 बजे नजर आ गई थी। सरकार की हिदायतों के अनुसार सुमित को उक्त नंबर अलॉट हो चुका था, मगर कुछ दिन बाद यही नंबर किसी जसवंत सिंह नामक व्यक्ति को अलॉट कर दिया गया। इस मामले में बात सामने आई थी कि जसवंत सिंह की पेमैंट वैबसाइट पर 12.29 बजे असैप्ट हुई और 12.33 बजे कन्फर्म हुई, जबकि सुमित की पेमैंट 12.04 बजे की जा चुकी थी जिससे साफ पता लगता है कि जसवंत सिंह को गैरकानूनी तरीके अपनाकर नंबर बाद में अलॉट किया गया है। इसी शिकायत को मिलने के उपरांत एस.टी.सी. ने अलॉटमैंट रद्द करना का फैसला लिया है।

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