हाल-ए-सिविल अस्पताल : एम.एस. ने नहीं क्लीयर किए बिल, जन औषधि सैंटर में हुई दवाइयां खत्म

Edited By Vatika,Updated: 15 Jun, 2019 12:18 PM

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सरकार द्वारा सरकारी अस्पतालों में मरीजों को सस्ती दवाइयां उपलब्ध करवाने के लिए वर्ष 2009 में जन औषधि सैंटर खोले गए थे, ताकि बाजार से सस्ते रेटों पर मरीजों को दवाइयां मिल सके।

जालंधर(शौरी): सरकार द्वारा सरकारी अस्पतालों में मरीजों को सस्ती दवाइयां उपलब्ध करवाने के लिए वर्ष 2009 में जन औषधि सैंटर खोले गए थे, ताकि बाजार से सस्ते रेटों पर मरीजों को दवाइयां मिल सके। डाक्टरों को भी सख्त आदेश मिले कि वे जन औषधि सैंटर से मिलने वाली दवाइयां ही मरीजों को लिख कर दें। क्योंकि अधिकतर मामलों में शिकायतें आ रही थीं कि कुछ डाक्टर सैटिंग के चलते ऐसी दवाइयां लिख रहे हैं जो सिर्फ प्राइवेट मैडीकल शॉप में मिलती हैं। वहीं अब सिविल अस्पताल का हाल यह हो गया है कि अभी तक मैडीकल सुपरिंटैंडैंट (एम.एस.) ने बिल क्लीयर नहीं किए हैं जिससे जन औषधि सैंटर में दवाइयां खत्म हो गई हैं जिससे मरीज मैडीकल शॉप पर महंगी दवाइयां खरीदने को मजबूर हैं।  

13 महीने से वेतन को तरस रहा सैंटर का स्टाफ
जन औषधि सैंटर में 3 फार्मासिस्ट, 1 क्लर्क तथा 1 हैल्पर तैनात है। हैरानीवाली बात है कि दिन-रात सैंटर खोलकर लोगों की सेवा करने वाले 13 महीने से वेतन को तरस रहे हैं। अस्थायी तौर पर भर्ती स्टाफ को पैसे इसलिए नहीं मिल रहे हैं कि सैंटर के अकाऊंट में अस्पताल के एम.एस. द्वारा पैसे न डालने पर वेतन स्टाफ को नहीं मिल रहा है। एक स्टाफ ने कहा कि बार-बार एम.एस. से मिलने के बाद भी एक बात ही बोली जाती है कि अस्पताल के पास पैसे देने के लिए फंड नहीं है। ऐसे में अब कर्जा लेकर घर का खर्चा चलाना पड़ रहा है।

कई बार एम.एस. से मीटिंगें कीं : सैक्रेटरी 
वहीं जिला रैडक्रॉस ब्रांच के सैक्रेटरी परमजीत सिंह ने कहा कि सैंटर की पेमैंट लेने को लेकर डी.सी. के साथ कई बार एम.एस. को कह चुके हैं कि सैंटर के पैसे जल्दी जारी करें। 

क्लर्क बोल रहा बैंक अकाऊंट में कोई प्रॉब्लम है : एम.एस.
वहीं दूसरी ओर सिविल अस्पताल की एम.एस. डा. जसमीत बावा ने कहा कि सैंटर का क्लर्क उनके पास आया था और उन्होंने पेमैंट देने के लिए चैक भी देने थे लेकिन क्लर्क बोला कि बैंक अकाऊंट में कोई प्रॉब्लम है। जैसे ही क्लर्क वापस उनके पास आएगा तो वह पेमैंट क्लीयर करने हेतु चैक दे देंगे। अब एम.एस. की मानें तो बैंक के अकाऊंट प्रॉब्लम के कारण देर हो रही है, दूसरी ओर क्लर्क संजीव का कहना है कि अकाऊंट में प्रॉब्लम ठीक हो चुकी है। अब देखना यह है कि कितने दिनों तक एम.एस. लाखों की पेमैंट क्लीयर करते हैं।

20 लाख की देनदारी के कारण ठप्प हुई सप्लाई
सिविल अस्पताल की मैडीकल सुपरिंटैंडैंट (एम.एस.) द्वारा जन औषधि सैंटर का 20 लाख के बिल क्लीयर न होने के कारण सैंटर को दवाइयों की सप्लाई मिलनी बंद हो चुकी है। हालात तो यह देखने को मिल रहे हैं कि सैंटर में दवाइयां के रैक खाली हो चुके हैं और लोग जैसे ही सैंटर में दवाइयां लेने जाते हैं तो उन्हें दवाइयां खत्म होने की बात कहकर वापस भेज दिया जाता है। सैंटर में तैनात एक फार्मासिस्ट ने बताया कि पहले सैंटर में दवाइयां पूरी होती थीं और लोगों को दवाइयां मिलती थीं लेकिन अस्पताल के एम.एस. ऑफिस से ऑर्डर पर दवाइयां सैंटर से अस्पताल के एमरजैंसी वार्ड से लेकर बाकी वार्ड में सप्लाई होने लगी हैं।

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