उद्योग जगत ने पसंद नहीं की रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति

Edited By Anjna,Updated: 07 Jun, 2018 08:27 AM

industry does not like the monetary policy of the reserve bank

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 4 वर्षों के बाद अपनी मौद्रिक नीति में रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट के आधार पर बढ़ौतरी करने से लघु उद्योगों में भारी प्रतिक्रिया हुई है। अधिकांश उद्यमियों को उम्मीद नहीं थी कि रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट में बढ़ौतरी की...

जालन्धर (धवन): भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 4 वर्षों के बाद अपनी मौद्रिक नीति में रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट के आधार पर बढ़ौतरी करने से लघु उद्योगों में भारी प्रतिक्रिया हुई है। अधिकांश उद्यमियों को उम्मीद नहीं थी कि रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट में बढ़ौतरी की जाएगी। इससे उद्योग जगत स्तब्ध रह गया है। विभिन्न लघु उद्यमियों ने इस पर निम्रलिखित विचार प्रकट किए हैं।  

बैंक पहले ही पैसा नहीं दे रहा है, ऊपर से ब्याज दरें बढ़ जाएंगी : सुरेश शर्मा 
एच.आर. इंटरनैशनल के डायरैक्टर सुरेश शर्मा ने कहा है कि रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट में बढ़ौतरी से ब्याज दरों में बढ़ौतरी हो जाएगी। पहले ही बैंकों द्वारा पैसा देेने में आनाकानी की जा रही है, अब ऊपर से ब्याज दरें बढ़ा दी गई हैं। इंडस्ट्री को फाइनांस महंगा मिलेगा। अभी भारत में उद्योगों की मौजूदा हालत को देखते हुए ब्याज दरें बढ़ाने का समय नहीं था क्योंकि कच्चे माल की कीमतें पहले ही आसमान छू रही हैं। उद्योगों पर पहले ही 25 प्रतिशत उत्पादन लागत बढ़ौतरी का बोझ पड़ा हुआ है तथा अब इस बढ़ौतरी से उद्योग और सदमे में चले जाएंगे। उन्हें अन्यों से फाइनांस का प्रबंध करना पड़ेगा। 

रेपो रेट बढ़ाने की जरूरत नहीं थी : विनोद घई 
उद्यमी व यूनीक ग्रुप के चेयरमैन विनोद घई ने कहा है कि रिजर्व बैंक को मौजूदा हालात को देखते हुए रेपो रेट बढ़ाने की जरूरत नहीं थी। बाजार में मांग पहले ही नहीं है क्योंकि मनी सर्कुलेशन काफी टाइट चल रही है। बाजार में पैसा न होने के कारण खरीदारी नहीं हो रही है। अब होमलोन व अन्य ऋणों की दरें बढ़ जाएंगी। केंद्र सरकार को चाहिए कि वह पहले अर्थव्यवस्था को पटरी पर लौटने देती, उसके बाद ही रेपो रेट या अन्य दरें बढ़ाने का फैसला लिया जाता। उन्होंने केंद्र सरकार से कहा कि वह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को लोन की दरों में बढ़ौतरी करने से रोके।  

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