94.97 एकड़ में फिजिकल पोजैशन लिए बिना इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट ने निकाल दिए प्लाटों के ड्रा

Edited By swetha,Updated: 23 Feb, 2019 08:57 AM

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94.97 एकड़ सूर्या एन्क्लेव स्कीम के फ्लॉप होने का कारण अधिकारियों की गलत नीतियां हैं।

जालंधर(पुनीत): 94.97 एकड़ सूर्या एन्क्लेव स्कीम के फ्लॉप होने का कारण अधिकारियों की गलत नीतियां हैं। जो तथ्य है उससे साबित होता है कि सही कार्य न करने के चलते उक्त स्कीम फेल हुई है। इसका मुख्य कारण यह है कि ट्रस्ट ने इस स्कीम की फिजिकल पोजैशन लिए बिना ही प्लाटों के ड्रा निकाल दिए जिस कारण ट्रस्ट आज तक लोगों को पोजैशन नहीं दे पाया। इसके चलते लोगों ने उपभोक्ता फोरम की शरण भी ले रखी है जिससे ट्रस्ट की मुश्किलें बढ़ रही हैं। 

सही जांच करवाए जाने पर कई तरह की मिलीभगत सामने आ सकती है क्योंकि कई प्रकार की धांधलियां इस स्कीम में सामने आ रही हैं। इस स्कीम में अभी भी कब्जे हैं जिस कारण सड़कों का निर्माण कार्य बीच में रुका पड़ा है जिसके चलते लोगों का गुस्सा ट्रस्ट के प्रति बढ़ता जा रहा है। ट्रस्ट द्वारा कब्जे अभी तक हटाए नहीं गए जिसके चलते लोगों ने ट्रस्ट को पेमैंट करनी बंद कर दी है। कइयों ने 10 प्रतिशत तो कइयों ने 25 प्रतिशत तक की राशि ही अदा की है। ट्रस्ट द्वारा अब उक्त डिफाल्टर प्लाटों को जब्त करने की कार्रवाई शुरू की जा चुकी है। इस संबंध में आज कई लोगों ने ट्रस्ट की ई.ओ. से मुलाकात कर अपनी परेशानी बताई। लोगों का कहना है कि ट्रस्ट ने जो वायदे किए थे उन्हें पूरा नहीं किया और अब ट्रस्ट प्लाट जब्त करने की जो योजना बना रहा है वह बिल्कुल गलत है।

यदि ट्रस्ट ने इस कार्रवाई को आगे बढ़ाया तो वे कोर्ट की शरण लेंगे। उक्त स्कीम 2011 में लांच की गई थी, उस वक्त इस स्कीम के लिए 175 करोड़ का लोन भी लिया गया लेकिन अभी तक उक्त स्कीम कामयाब नहीं हो पाई और ट्रस्ट पर लोन की राशि का 130 करोड़ से अधिक का बकाया है। इस फ्लाप स्कीम के बाद से ट्रस्ट की कोई और स्कीम भी नहीं आई। ट्रस्ट पर मौजूदा समय में 250 करोड़ के करीब की देनदारियां हैं। ट्रस्ट ने उक्त देनदारियों के भुगतान के लिए सरकार से जो मदद मांगी थी वह भी नहीं मिल पाई है। वहीं 170 एकड़ सूर्या एन्क्लेव स्कीम के कम दामों को लेकर कोर्ट गए किसान केस जीत चुके हैं जिसके चलते ट्रस्ट ने 101 करोड़ रुपए की इन्हांसमैंट अदा करनी है।

ट्रस्ट द्वारा 94.97 एकड़ स्कीम के कब्जे हटाने की जितनी बार भी कोशिश की गई वह कामयाब नहीं हो पाई। राजनीतिक दबाव कहें या लोगों का विरोध, ट्रस्ट हर बार खाली हाथ वापस आया है। बीते दिनों ट्रस्ट अधिकारियों ने कब्जे हटाने हेतु कार्रवाई करने की जो योजना तैयार की है उस पर क्या कदम उठाया जाता है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। 

एक्सियन विक्रम का हुआ लुधियाना तबादला

ट्रस्ट में स्टाफ की बेहद कमी है और इसी बीच ट्रस्ट के एक्सियन विक्रम का लुधियाना तबादला कर दिया गया है जोकि ट्रस्ट के लिए अच्छी खबर नहीं है। ट्रस्ट के पास कोई जे.ई. भी नहीं है और न ही पटवारी है। इस सबके चलते ट्रस्ट के कामकाज बीच में लटके पड़े हैं। वहीं इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट तरनतारन, गुरदासपुर, पठानकोट के ई.ओ. भी बदले गए हैं। बताया जा रहा है कि चुनावों के चलते आने वाले दिनों में और तबादले हो सकते हैं। 
 

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