खतरे के साए में कैंट: दाखिल हो सकती है अवैध शराब तो RDX की एंट्री भी मुश्किल नहीं!

Edited By Vatika,Updated: 22 Feb, 2019 09:15 AM

illegal alcohol case

कैंट में अवैध शराब की तस्करी इस बात की ओर इशारा करती है कि अगर कैंट में अवैध शराब दाखिल हो सकती है तो आर.डी.एक्स. व अन्य हथियारों की एंट्री होना भी मुश्किल नहीं है और अगर ऐसा होता है तो यह कहना गलत नहीं होगा कि कैंट खतरे के साए में है।

जालंधर(कमलेश, महेश): कैंट में अवैध शराब की तस्करी इस बात की ओर इशारा करती है कि अगर कैंट में अवैध शराब दाखिल हो सकती है तो आर.डी.एक्स. व अन्य हथियारों की एंट्री होना भी मुश्किल नहीं है और अगर ऐसा होता है तो यह कहना गलत नहीं होगा कि कैंट खतरे के साए में है। गौरतलब है कि कैंट में हर एंट्री पर आर्मी का पहरा होता है और इसके बावजूद अगर कोई अवैध वस्तु कैंट में दाखिल हो रही है तो अवश्य ही सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठता है। एंट्री प्वाइंट पर आर्मी जवानों द्वारा हर वाहन चालक का पहचान पत्र चैक किया जाता है लेकिन सिर्फ हाई अलर्ट होने पर ही वाहनों की चैकिंग की जाती है, ऐसे में कैंट में वाहन के जरिए अवैध वस्तु लेकर एंट्री करना मुश्किल कार्य नहीं है। फर्जी पहचान पत्र बनाना आतंकी मॉड्यूल्स के लिए बहुत ही आसान है और ऐसा करने में वे एक्सपर्ट होते हैं।

स्लीपर सैल्स दे सकते हैं वारदात को अंजाम
पुलवामा में आतंकियों द्वारा हमला देश के लिए खतरे की घंटी है व जालंधर को भी सैंसटिव एरिया में गिना जाता है। कैंट में एंट्री प्वाइंट्स पर चैकिंग न होने के चलते आतंकी स्लीपर सैल का सहारा लेकर वारदात को अंजाम दे सकते हैं और ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब स्लीपर सैल की सहायता से आतंकियों ने बडी वारदातों को अंजाम दिया है। कैंट से सटे दीप नगर और रामा मंडी में कई कश्मीरी छात्र रहते हैं और पुलिस की जमीनी हकीकत की बात की जाए तो पुलिस को इक्का-दुक्का छोड़कर पी.जी. और कोठियों में रह रहे कश्मीरी तथा विदेशी छात्रों की कोई जानकारी नहीं है। कैंट को शहर का सबसे सुरक्षित क्षेत्र माना जाता है और अगर इस क्षेत्र की सुरक्षा में चूक होती है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?

कहां गायब है खुफिया विभाग?
कैंट में अवैध शराब की तस्करी इस बात की ओर इशारा करती है कि यहां खुफिया विभाग फेल है क्योंकि अगर विभाग को इस बात की जानकारी होती तो कब की तस्करी पर रोक लग गई होती। शराब तस्करी तो एक छोटा एजैंडा है, अगर खुफिया विभाग के पास इसकी ही इनपुट नहीं है तो भविष्य में कोई आतंकी ग्रुप बड़ी वारदात की प्लाङ्क्षनग करता है तो उसे डिटैक्ट कैसे किया जा सकेगा। कैंट में आर्मी इंटैलीजैंस, सी.आई.डी. और आई.बी. सभी विभाग सक्रिय होते हैं, ऐसे में इनकी जानकारी में अभाव होना, सुरक्षा व्यवस्था को चैलेंज कर सकता है।

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