मोदी सरकार में वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर को जिमखाना क्लब ने बताया डिफाल्टर

Edited By swetha,Updated: 22 Feb, 2020 10:00 AM

gymkhana club

जिमखाना का नोटिस निकालना गलत, सैक्रेटरी सिक्का से की है बात : राठौर

जालंधर(खुराना): शहर के एकमात्र क्लब जालंधर जिमखाना ने अपने उन मैम्बरों से एक करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि अभी लेनी है जिन्हें क्लब डिफाल्टर घोषित करके वर्षों पहले निकाल चुका है। उनकी मैम्बरशिप खत्म की जा चुकी है। इस एक करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि को उगाहने के लिए अब क्लब की नई मैनेजमैंट ने प्रयास शुरू कर रखे हैं जिसके तहत उन मैम्बरों को नोटिस निकाले गए हैं जिन्होंने डिफाल्टर घोषित मैम्बरों के फार्म पर बतौर प्रोपोजर या सैकेंडर हस्ताक्षर किए थे।

इसी प्रक्रिया के तहत जिमखाना क्लब ने जहां पंजाब के वरिष्ठ तथा रिटायर हो चुके आई.ए.एस., आई.पी.एस. तथा पी.सी.एस. लैवल के अधिकारियों के फार्म निकाल कर उनके प्रोपोजर और सैकेंडर को नोटिस थमाए हैं वहीं जिमखाना क्लब ने केन्द्र की मोदी सरकार में वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर को भी डिफाल्टर बताते हुए उनके फार्म पर बतौर प्रोपोजर हस्ताक्षर करने वाले जालंधर के पूर्व मेयर तथा इस समय पंजाब भाजपा के महासचिव राकेश राठौर को भी नोटिस भेज दिया है जिससे राजनीतिक क्षेत्रों में हड़कम्प-सा मचा हुआ है।

गौरतलब है कि बतौर क्रिकेटर तथा राजनीतिक खिलाड़ी के रूप में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल कर चुके अनुराग ठाकुर का जालंधर से कनैक्शन किसी से छिपा हुआ नहीं है। उनके धूमल परिवार का जालंधर में पुश्तैनी मकान के अलावा कई बिजनैस व अन्य संबंध हैं और अनुराग का बचपन भी जालंधर में ही बीता। 1998 में उन्होंने जालंधर जिमखाना क्लब की मैम्बरशिप ली, जिसके फार्म पर उनके पारिवारिक सदस्य राकेश राठौर ने हस्ताक्षर किए। मैम्बरशिप लेने के बाद अनुराग मात्र कुछ बार जिमखाना क्लब आए होंगे परंतु इस दौरान उन्होंने हिमाचल व अन्य स्थानों में राजनीतिक तौर पर लम्बी पारी खेल कर सफलता हासिल की। कुछ समय पहले जिमखाना क्लब ने बकाया राशि का भुगतान न करने के कारण अनुराग ठाकुर की मैम्बरशिप को खत्म कर दिया। 

अनुराग ठाकुर के पारिवारिक सूत्रों का कहना है कि क्लब की ओर से उन्हें कोई नोटिस नहीं मिले जबकि क्लब रिकार्ड के मुताबिक आवश्यक नोटिस सर्व करके उनकी सदस्यता खत्म की गई। अब जिमखाना क्लब ने शहर के पूर्व मेयर राकेश राठौर को नोटिस जारी करके अनुराग की ओर बकाया 18 हजार रुपयों की मांग की है और नोटिस में साफ लिखा है कि पैसे न देने की सूरत में कानूनी व अन्य कार्रवाई की जाएगी।

जिमखाना का नोटिस निकालना गलत, सैक्रेटरी सिक्का से की है बात : राठौर

इस संबंध में वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर से तो सम्पर्क नहीं हो पाया परंतु जब पूर्व मेयर राकेश राठौर से बात की गई तो उन्होंने जिमखाना क्लब की ओर से अनुराग मामले में मिले नोटिस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जिमखाना द्वारा ऐसा नोटिस निकालना ही गलत फैसला है, जिसके बारे में उन्होंने क्लब के वर्तमान सैक्रेटरी तरुण सिक्का से बात भी की है। राकेश राठौर ने कहा कि जालंधर जिमखाना क्लब को इस बात का गौरव होना चाहिए कि मोदी सरकार का कोई मंत्री उनके क्लब का सदस्य है। अनुराग ठाकुर की खेल जगत को देन तथा राजनीति में ऊंची उड़ान किसी से छिपी हुई नहीं है। ऐसे में उन्हें बिना कोई नोटिस दिए उनकी सदस्यता को खत्म कर देना और बकाए वसूलने के नोटिस जारी करना सही नहीं है। चाहिए तो यह था कि क्लब अनुराग जैसी उच्च शख्सियत को ऑनरेरी सदस्यता प्रदान करता परंतु मैनेजमैंट ने नोटिस निकाल कर गलत फैसला लिया है।

जिन्होंने 2012 से पहले हस्ताक्षर किए उन्हें क्लब नोटिस भेज ही नहीं सकता : कुक्की बहल

दरअसल जिमखाना क्लब मैनेजमैंट ने हाल ही में पुराने डिफाल्टर सदस्यों की सूची निकाल कर उनकी ओर पैंङ्क्षडग बकायों की वसूली के लिए दो तरह की लिस्टें तैयार की थीं। एक लिस्ट उन सदस्यों की थी जिन्हें 2012 के बाद मैम्बरशिप दी गई थी। ऐसी मैम्बरशिप देते समय फार्म के साथ दो एफीडेविट प्रोपोजर और सैकेंडर से लिए गए। इन एफीडेविटों में प्रोपोजर और सैकेंडर बने क्लब सदस्यों ने नए बन रहे मैम्बरों के लिए सभी तरह की जिम्मेदारियां लीं। दूसरी लिस्ट उन सदस्यों की थी जो पिछले 50-60 सालों के दौरान परंतु 2012 से पहले मैम्बर बने थे तब क्लब नियमों के अनुसार नए बन रहे मैम्बर के फार्म पर प्रोपोजर और सैकेंडर को साइन करते समय सिर्फ उनके कैरेक्टर को सर्टीफाई करना होता था। ऐसे फार्मों पर कहीं भी फाइनैंशियल गारंटी इत्यादि जैसा कोई कॉलम नहीं था परंतु क्लब ने ऐसे साइन करने वाले सैंकड़ों प्रोपोजर और सैकेंडर सदस्यों को भी नोटिस भेज दिए, जिन्हें लेकर आज पूरे शहर में शोर मचा हुआ है। इस संबंध में जब पूर्व सैक्रेटरी कुक्की बहल से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि जिन्होंने 2012 से पहले हस्ताक्षर किए उन्हें क्लब नोटिस भेज ही नहीं सकता क्योंकि उन्होंने किसी तरह की कोई गारंटी नहीं उठाई। ऐसे सदस्यों को क्लब द्वारा नोटिस भेजना असंवैधानिक है।

पूर्व सैक्रेटरी दलजीत छाबड़ा ने दिया करारा जवाब, क्या मैनेजमैंट इतनी देर सोई रही

क्लब की वर्तमान मैनेजमैंट ने पूर्व सैक्रेटरी दलजीत छाबड़ा को भी करीब 12 नोटिस भेजे हैं और इन नोटिसों में उनसे 1.58 लाख रुपयों की मांग की गई है। श्री छाबड़ा ने अपने पत्र में कहा कि नोटिसों में डिफाल्टर मैम्बर की मैम्बरशिप नम्बर तथा उसके एड्रैस का कोई अता-पता नहीं दिया गया, जिस कारण कइयों की पहचान करना और उन्हें ढूंढ पाना मुश्किल है। मैनेजमैंट को चाहिए कि उनसे लीगल तरीके से पैसों की वसूली के लिए प्रक्रिया शुरू करे।

इसी पत्र में श्री छाबड़ा ने लिखा है कि इतने पैसों को बकाया देख कर लगता है कि पहले की मैनेजमैंट सोई रही और डिफाल्टर सदस्यों की मैम्बरशिप क्लब संविधान की धारा 19(2) के तहत खत्म नहीं की गई, जिसमें प्रावधान है कि अगर कोई मैम्बर 3 महीने तक पेमैंट न दे तो उसकी सदस्यता खत्म कर दी जाए। श्री छाबड़ा ने कहा कि रूल 19(2) अपनाया गया होता तो एक डिफाल्टर सदस्य की ओर 1800 से लेकर 2000 रुपए तक ही बकाया निकलता जो डिफाल्टर सदस्य के लिए भी जमा करवाना आसान होता। एग्जीक्यूटिव कमेटी ने इस मामले में उचित एक्शन क्यों नहीं लिए और अब एग्जीक्यूटिव कमेटी की नालायकी को सैकेंडर और प्रोपोजर क्यों भुगतें। क्लब मैनेजमैंट को चाहिए कि पहले वह डिफाल्टर हो चुके मैम्बर के विरुद्ध सभी तरह के कानूनी चैनल इस्तेमाल करे और उसके बाद ही रिकवरी के लिए प्रोपोजर या सैकेंडर से मदद ले। 

40 साल पहले सैक्रेटरी था, अब कहां याद किसके फार्म साइन किए : विजय सहगल

जिमखाना क्लब की वर्तमान मैनेजमैंट ने 80 साल के बुजुर्ग हो चुके अपने पूर्व सैक्रेटरी विजय सहगल को भी कई नोटिस भेज कर डिफाल्टर सदस्यों की ओर बकाए उनसे मांगे हैं। इस बाबत जब श्री सहगल से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि वह आज से 40 साल पहले 1979 में क्लब के सैक्रेटरी हुआ करते थे और उससे पहले एग्जीक्यूटिव मैम्बर तथा ज्वाइंट सैक्रेटरी इत्यादि कई पदों पर कई साल रहे। उन्होंने कहा कि अब कहां याद है कि किसके फार्म पर कब साइन किए। कई डिफाल्टर सदस्य तो अब प्रभु को भी प्यारे हो चुके हैं। जब साइन किए थे तब ऐसी कोई शर्त नहीं थी कि इस नए मैम्बर के डिफाल्टर होने की सूरत में पैसे भी जमा करवाने पड़ेंगे। क्लब मैनेजमैंट को खुद ऐसी समझ होनी चाहिए कि यह कर क्या रही है। 

अपनी नालायकी हम पर न थोपे मैनेजमैंट: गोरा ठाकुर

क्लब की वर्तमान मैनेजमैंट ने पूर्व सैक्रेटरी सतीश ठाकुर गोरा को भी नोटिस भेजकर कुछ डिफाल्टर सदस्यों के पैसे जमा करवाने को कहा है। इस संबंध में जब गोरा ठाकुर से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मैनेजमैंट अपनी नालायकी हम पर न थोपे। मेरे जैसे कइयों ने जब फार्मों पर हस्ताक्षर किए थे तो सिर्फ नए मैम्बर के कंडक्ट और करैक्टर को जानने तथा मात्र इंट्रोडक्शन के लिए साइन किए थे। उस समय पैसों की गारंटी जैसी कोई बात नहीं थी। उन्होंने कहा कि क्लब मैनेजमैंट ने अपने प्यार की पींघें बढ़ाते हुए डिफाल्टर मैम्बरों की ओर 40-40 हजार रुपए बकाए खड़े कर लिए, जबकि क्लब संविधान के मुताबिक 3 महीने की मैम्बरशिप न देने पर ही उसकी मैम्बरशिप खत्म कर दी जानी चाहिए थी। क्लब द्वारा अब नोटिस निकालना ही समझ से परे है। 

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