GST विभाग ने पुलिस कमिश्नर को पत्र भेजकर कहा-पटाखा कारोबारियों से दिलाओ टैक्स

Edited By Vatika,Updated: 17 Nov, 2018 10:14 AM

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पटाखा कारोबारियों के लिए तो जैसे अच्छे दिन सपना हो गए हैं। पहले शहर के सिर्फ 20 पटाखा कारोबारियों को ही प्रशासन की ओर से दीवाली के लिए पटाखे बेचने के लाइसैंस जारी किए गए और फिर सिर्फ 7 दिन पटाखे बेचने की ही अनुमति मिली। ऊपर से जी.एस.टी. विभाग की ओर...

जालंधर(बुलंद): पटाखा कारोबारियों के लिए तो जैसे अच्छे दिन सपना हो गए हैं। पहले शहर के सिर्फ 20 पटाखा कारोबारियों को ही प्रशासन की ओर से दीवाली के लिए पटाखे बेचने के लाइसैंस जारी किए गए और फिर सिर्फ 7 दिन पटाखे बेचने की ही अनुमति मिली। ऊपर से जी.एस.टी. विभाग की ओर से पटाखा कारोबारियों से बेचे गए पटाखों का टैक्स वसूलने के लिए सख्ती बरतनी शुरू कर दी गई है। 

5 बड़े पटाखा होलसेल कारोबारी दे रहे हैं जी.एस.टी. तो छोटे व्यापारियों पर दबाव क्यों?
पटाखा एसो. के नेताओं ने कहा कि शहर में 5 होलसेल पटाखा कारोबारी हैं जिनसे सारे रिटेल पटाखा कारोबारी पटाखे लेकर बेचते हैं। बड़े कारोबारियों ने जी.एस.टी. नंबर लिए हुए हैं और वे टैक्स दे रहे हैं तो फिर क्यों छोटे रिटेल कारोबारियों को जी.एस.टी. भरने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जबकि माल तो उन्होंने होलसेल कारोबारियों से ही लिया है और उनका सारा सेल-परचेज का रिकार्ड जी.एस.टी. विभाग के पास है। 

पुलिस कमिश्नर टैक्स वसूलने की तैयारी में
आज जी.एस.टी. विभाग के दफ्तर पहुंचे पटाखा कारोबारियों ने बताया कि जी.एस.टी. विभाग की ओर से पहले उन पर दबाव डाला जाता रहा था कि लाइसैंसी पटाखा कारोबारी कैजुअल जी.एस.टी. नंबर लें और अब पटाखा कारोबारियों से जी.एस.टी. टैक्स वसूलने के लिए विभाग की ओर से हर प्रयत्न किया जा रहा है। पटाखा कारोबारियों ने बताया कि जी.एस.टी. विभाग की ओर से पुलिस कमिश्नर को लैटर लिखकर कहा गया है कि वे सारे पटाखा कारोबारियों से टैक्स वसूल कर दें। इस मौके पटाखा कारोबारी थाना प्रभारी के रीडर से मिले और पटाखा एसो. के नेता विकास भंडारी व राकेश बाहरी ने बताया कि उन्होंने पुलिस को अपने बयान दर्ज करवाए हैं और जिनके पास जी.एस.टी. नंबर था, उन्होंने अपना जी.एस.टी. नंबर दर्ज कराया। इस रिपोर्ट को थाने से कमिश्नर आफिस और वहां से जी.एस.टी. विभाग में भेजा जाएगा। 

परेशान कर रहा है जी.एस.टी. विभाग : पटाखा कारोबारी
पटाखा कारोबारियों ने कहा कि जी.एस.टी. विभाग उन्हें परेशान कर रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्षों के दौरान दर्जनों पटाखा कारोबारियों की दुकानें एक महीना लगती थीं पर इस बारे पहले तो सिर्फ 5 दिनों के लिए 20 दुकानें ही लगाने दी गईं, लेकिन अब 2 नवम्बर को लाइसैंस जारी किए गए, साथ ही रात 8 बजे और 7 नवम्बर को शाम 7 बजे पटाखा मार्किट बंद करवा दी गई। उन्होंने कहा कि 7 दिनों में कितने पटाखे बेच लिए होंगे जो विभाग टैक्स के लिए पीछे पड़ा है।

रिटर्न और टैक्स भरने को अभी टाइम है तो फिर जल्दबाजी क्यों?
पटाखा कारोबारियों ने बताया कि विभाग जानबूझ कर बड़े टैक्स चोरों को नजरअंदाज करके छोटे व्यापारियों को परेशान कर रहा है। उन्होंने कहा कि जिन कारोबारियों ने रैगुलर जी.एस.टी. भरना है उनके पास आखिरी तारीख 30 नवम्बर है और टैक्स भरने की आखिरी तारीख 20 दिसम्बर है। उन्होंने बताया कि जिनके पास कंपोजिशनल जी.एस.टी. नंबर है उनके पास रिटर्न भरने के लिए आखिरी तारीख 31 दिसम्बर है और टैक्स भरने की आखिरी तारीख 20 जनवरी है। ऐसे में क्यों जल्दबाजी कर पटाखा कारोबारियों पर प्रैशर डाला जा रहा है। जी.एस.टी. के नियमों के तहत जिस कारोबारी की सेल 20 लाख से कम है, उसे जी.एस.टी. नंबर की जरूरत नहीं है तो फिर पटाखा रिटेल कारोबारियों को 7 दिनों के लिए पटाखे बेचने हेतु कैसे कैजुअल जी.एस.टी. नंबर लेने को मजबूर किया जा सकता है।

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