डर्टी गेम : ताश के पत्तों को स्कैन कर धोखे से जीता जा रहा जुआ

Edited By Sunita sarangal,Updated: 24 Oct, 2019 09:47 AM

game won by scanning cards from mobile devices

अमीरजादों को कंगाल बनाने के लिए जुए के खिलाड़ियों ने डर्टी गेम शुरू कर दी है। 5 से 7 लोगों के ग्रुप में एक से दो व्यक्तियों को टार्गेट करके उससे लाखों रुपए जीत के नाम पर ठगे जा रहे हैं

जालंधर(वरुण): अमीरजादों को कंगाल बनाने के लिए जुए के खिलाड़ियों ने डर्टी गेम शुरू कर दी है। 5 से 7 लोगों के ग्रुप में एक से दो व्यक्तियों को टार्गेट करके उससे लाखों रुपए जीत के नाम पर ठगे जा रहे हैं और जुआ खेल रहे लोगों को यह भी नहीं पता चलता कि वे इन्हीं जुआरियों की प्लानिंग के कारण लाखों रुपए हार रहे हैं। 
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धोखे से जुआ जीतने के लिए दिल्ली से शुरू हुई मोबाइल डिवाइस अब दीपावली से पहले जालंधर समेत आसपास के शहरों में आ चुकी है। हालांकि जुए के अड्डों पर इस मोबाइल डिवाइस का इस्तेमाल नहीं होता लेकिन जो लोग होटलों के कमरों, घरों या फिर दफ्तरों में 5 से 7 लोगों के ग्रुपों में बंट कर जुआ खेलते हैं, उनमें से मुख्य जुआरी पहले से ही एक या फिर 2 लोगों को टार्गेट कर लेता है और उन्हें कुछ बाजियां जिताने के बाद लगातार हारने का सिलसिला शुरू करवा दिया जाता है। इस धोखे की गेम में इस्तेमाल की जाने वाली मोबाइल डिवाइस को इस तरह से तैयार किया गया है जिसमें मोबाइल का की-पेड, आम मोबाइलों की तरह कैमरा, स्क्रीन आदि सब लगा हुआ है। कोई अंदाजा तक नहीं लगा सकता है कि वह मोबाइल फोन नहीं एक डिवाइस है।

टेबल पर रख कर इस डिवाइस के बिल्कुल पास ताश के पत्तों की फैंटी मारी जाती है और इसी दौरान डिवाइस सभी पत्तों की मौजूदगी स्कैन कर लेता है। इसी डिवाइस के साथ एक मक्खी (स्पीकर) भी अलग से दिया होता है, जो बिल्कुल छोटा-सा होता है और आसानी से कानों में फिट हो जाता है। कान में डाली गई मक्खी को भी कोई नहीं देख सकता है क्योंकि साइज छोटा होने के कारण यह मक्खी कान के अंदर तक चली जाती है। स्कैन होने के साथ-साथ मोबाइल डिवाइस के अंदर लगे सैंसर से मक्खी के जरिए कंट्रोल कर रहे व्यक्ति के कानों में सभी पत्तों के नंबर कोडवर्ड के जरिए बता देता है कि पत्ता अंदर गिरेगा या फिर बाहर। इसी तरह आसानी से ये लोग टार्गेट बनाए गए लोगों को लूट लेते हैं। 
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डेढ़ लाख रुपए में मिलते है मोबाइल डिवाइस
इस मोबाइल डिवाइस की कीमत डेढ़ लाख रुपए है। यह मोबाइल डिवाइस दिल्ली से ही मंगवाई जाती है। हालांकि दीपावली के पास आने के कारण कुछ लोगों ने खुद दिल्ली से इस मोबाइल डिवाइस को खरीद कर जालंधर व आसपास के इलाकों में किराए पर देने का काम भी शुरू कर लिया है। यह मोबाइल डिवाइस उस हर एक गेम को स्कैन कर लेते हैं जो ताश के पत्तों से खेली जा रही हो।
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पत्ते बांटने से पहले बुलाया जाता है फाइनांसर
मोबाइल डिवाइस से लोगों को लूटने वाले लोग पत्ते बांटने से पहले ही अपने फाइनांसर को साथ बिठा लेते हैं। टार्गेट बनाया गया व्यक्ति अगर सभी पैसे हार जाता है तो उसे दोबारा से जीत का लालच देकर ये लोग अपने फाइनांसर को सिफारिश डाल कर हारे व्यक्ति को ब्याज पर पैसे देने को कहते हैं। ब्याज पर पैसे लेने से पहले हारा हुआ व्यक्ति फाइनांसर को चैक देता है। कई लोग ऐसे हैं जो अपनी गाड़ियां, सोने की चेनी या फिर अंगूठी तक गिरवी रख कर पैसे लेते हैं जबकि कुछ लोग अपने घर तक को गिरवी रख देते हैं। पैसे वापस लेने के लिए गुंडों का भी सहारा लिया जाता है।

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