ऋण माफी के बावजूद किसानों व् उद्योगपतिओं पर कर्ज बढ़ा, डिफाल्टर भी बढ़े

Edited By Mohit,Updated: 14 Nov, 2018 10:00 PM

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''मर्ज़ बढ़ता गया ज्यों -ज्यों दवा की'' वाली बात पंजाब के ऋण पीड़ित किसानों और उद्योगपतिओं पर सटीक बैठ रही है। पंजाब सरकार की ऋण माफ़ी योजना के बावजूद डिफाल्टर किसानों की संख्या बढ़ रही है और उनका कर्ज भी बढ़ रहा है।

जालंधर (मोहन): 'मर्ज़ बढ़ता गया ज्यों -ज्यों दवा की' वाली बात पंजाब के ऋण पीड़ित किसानों और उद्योगपतिओं पर सटीक बैठ रही है। पंजाब सरकार की ऋण माफ़ी योजना के बावजूद डिफाल्टर किसानों की संख्या बढ़ रही है और उनका कर्ज भी बढ़ रहा है।

ये स्थिति तब है जब सरकार पांच लाख से अधिक पीड़ित किसानों का 2 -2 लाख तक का कर्ज सहकारी बैंकों को अदा कर चुकी है। ऐसे हालात देखते हुए राज्य के बैंकों ने अब किसानों को कर्ज देने में हाथ पीछे खींचने शुरू कर दिए है। ऐसी ही स्थिति उद्योगपतिओं की बन रही है। एक वर्ष पहले सरकार द्वारा कर्ज में डूबे व् डिफाल्टर उद्योगपतिओं के लिए शुरू की 'वन टाईम सेटेलमेंट' के बावजूद डिफाल्टर कारखानेदारों की संख्या और कर्ज की राशि बढ़ी है।

पंजाब के मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 6 जनवरी , 2018 को ऋण मुआफी योजना की शुरुआत की थी। हालांकि सत्ता में आने से पहले कांग्रेस ने किसानों के तमाम सहकारी, कमर्शियल और आढ़ती कर्ज माफ़ करने का वायदा किया था। परन्तु सत्ता में आने के बाद कांग्रेस ने अपना कर्ज माफ़ी का वायदा सिर्फ फसल के अवधि कर्ज माफ़ी में परिवर्तित कर लिया। इस योजना के तहत 10. 25 लाख छोटे और मंझले किसानों का दो -दो हज़ार तक का क़र्ज़ माफ़ किया जाना है। इस योजना के के प्रथम चरण में सरकार ने सहकारी बैंकों को किसानो का 2 -2 लाख का कर्ज अदा किया है और जल्दी ही कमर्शियल बैंकों का किसानी कर्ज अदा किया जाएगा।

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