अमृतसर-नई दिल्ली के बीच भी चलेगी वंदे भारत एक्सप्रैस ट्रेन

Edited By swetha,Updated: 18 Feb, 2019 09:17 AM

express train

नई दिल्ली-वाराणसी के बीच चलाई गई बिना इंजन वाली देश की पहली सैमी हाईस्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रैस जल्द ही अमृतसर-नई दिल्ली के बीच भी चलेगी।

जालंधर(गुलशन): नई दिल्ली-वाराणसी के बीच चलाई गई बिना इंजन वाली देश की पहली सैमी हाईस्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रैस जल्द ही अमृतसर-नई दिल्ली के बीच भी चलेगी। इस बात का संकेत रेल मंत्री पीयूष गोयल ने नई दिल्ली-वाराणसी के बीच चलाई गई उद्घाटनी ट्रेन में सफर के दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए दिया। उन्होंने कहा कि प्रथम चरण में 30 और वंदे भारत एक्सप्रैस जैसी ट्रेनों के लिए टैंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। मार्च महीने तक कुछ ट्रेनें ऑन रूट होने की संभावना है। 

 रेल मंत्री ने कहा कि अमृतसर-नई दिल्ली के बीच वंदे भारत एक्सप्रैस ट्रेन चलाना संभव है, क्योंकि अमृतसर-नई दिल्ली के बीच बहुत अधिक दूरी नहीं है। 400-450 कि.मी. तक की यात्रा के लिए वंदे भारत एक्सप्रैस ट्रेन वरदान साबित होगी। इसके लिए पहले आवश्यकतानुसार रेल ट्रैक की मजबूती और रेल लाइन के साथ फैंसिंग करवाई जाएगी। रेल मंत्री ने कहा कि इसके अलावा मुंबई-सूरत और भोपाल-इंदौर के बीच भी वंदे भारत एक्सप्रैस ट्रेन चलाने पर विचार किया जा रहा है। हाल ही में करवाए गए सर्वे में देश के 222 ऐसे स्थलों को चिन्हित किया गया है जहां पर बाईपास होते हुए रेल लाइन बिछाने और लो-हाइट सब-वे बनाए जाएंगे। इससे ट्रेनों की लेटलतीफी और स्टेशनों के आऊटर पर रुकने की समस्या से निजात मिलेगी।

अगले चरण में सैकेंड ए.सी. कोच वाली बनेगी वंदे भारत एक्सप्रैस
आई.सी.एफ. चेन्नई में 97 करोड़ रुपए की लागत से बनी पहली वंदे भारत एक्सप्रैस ट्रेन में 16 चेयरकार कोच हैं, जिनमें 2 एग्जीक्यूटिव श्रेणी के हैं। यात्रियों के लिए चेयरकार में लंबा सफर करना आसान नहीं है। रेल मंत्री ने कहा कि इसी बात को ध्यान में रखते हुए अगले चरण में सैकेंड ए.सी. कोच वाली वंदे भारत एक्सप्रैस ट्रेन बनाई जा रही है। इससे लंबे रूट पर जाने वाले यात्रियों को काफी सुविधा मिलेगी। रेल मंत्री ने कहा कि टी-18 के बाद अब 2020 में टी-20 ट्रेन चलाई जाएगी। 
वंदे भारत एक्सप्रैस ट्रेन की विशेषताएं

*ड्राइवर कैबिन सहित पूरी ट्रेन वातानुकूलित। 
*अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस ड्राइवर कैबिन।
*ट्रेन की बॉडी स्टेनलैस स्टील से बनी है। 
*पैसेंजर इन्फार्मेशन सिस्टम।
*सी.सी.टी.वी. कैमरों का ज्यादा इस्तेमाल। 
*सिर्फ एग्जीक्यूटिव श्रेणी में घुमावदार सीटें।
*हर सीट के नीचे चाॄजग प्वाइंट। 
*वाईफाई की ऑनबोर्ड सुविधा।
*जी.पी.एस. आधारित इंफॉर्मेशन सिस्टम।
*बायो वैक्यूम टॉयलैट, टॉयलैट में सैंसर युक्त नल। 
*दिव्यांगों की व्हीलचेयर ड्राइविंग ट्रेलर कोच से ट्रेन में प्रवेश करने की सुविधा। 
*ट्रेन में आधुनिक पैंट्री और भोजन सेवा की सुविधा।
*कोच कंपार्टमैंट में संचालित स्लाइडिंग दरवाजा।
*ग्लास बॉटम के साथ मॉड्यूलर सामान रखने का रैक। 
*टच आधारित एल.ई.डी. रीडिंग लाइटिंग। 
*क्लाइमेट कंट्रोल सिस्टम। 
*झटकों से निजात के लिए नया सैमी परमानैंट कपलर। 
*इसके सभी डिब्बे पूरी तरह से सील्ड गैंग-वे द्वारा इंटर कनैक्टेड है। 
*ब्रेक लगने के 3 मिनट बाद ही ट्रेन अपनी पहली स्पीड 130 कि.मी. पर आ जाती है। 
*ट्रेन में लगे 80 फीसदी उपकरण स्वदेशी हैं। 
*यूरोपियन देशों से 40 फीसदी कम लागत में तैयार हुई है।

शताब्दी एक्सप्रैस की जगह लेगी वंदे भारत एक्सप्रैस
इस समय देश में करीब 25 रूटों पर शताब्दी एक्सप्रैस ट्रेन चल रही हैं जिनकी हालत अब खस्ता हो चुकी है। हालांकि रेलवे विभाग द्वारा इसे उच्च श्रेणी की ट्रेन माना जाता है, लेकिन इसमें सफर करने वाले यात्रियों को उच्च श्रेणी का अहसास नहीं होता, क्योंकि शताब्दी अब झटका एक्सप्रैस ट्रेन बन चुकी है। इसका सफर आरामदेह नहीं है, इसलिए रेलवे विभाग में अब धीरे-धीरे शताब्दी एक्सप्रैस की जगह वंदे भारत एक्सप्रैस जैसी ट्रेनें लेंगी। वहीं दूसरी तरफ वंदे भारत एक्सप्रैस में सफर के दौरान एक बार भी झटके का अहसास नहीं हुआ, बल्कि 130 कि.मी. की रफ्तार पर चल रही ट्रेन में यात्री की सीट के सामने पड़ा पानी का गिलास भी नहीं हिलता।

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