इकट्ठा बिजली बिल मिलने से उपभोक्ता पर पड़ेगा वित्तीय बोझ

Edited By Anjna,Updated: 22 May, 2018 08:32 AM

electricity bill

पावर निगम में मीटर रीडरों की खासी कमी है जिससे उपभोक्ता परेशानी उठाने को मजबूर हैं क्योंकि कई इलाकों में उपभोक्ताओं को समय पर बिजली के बिल नहीं मिल पाते। पावर निगम निजीकरण की राह पर तेजी से अग्रसर है और मौजूदा समय में पंजाब में मात्र 137 पक्के रीडर...

जालंधर (पुनीत): पावर निगम में मीटर रीडरों की खासी कमी है जिससे उपभोक्ता परेशानी उठाने को मजबूर हैं क्योंकि कई इलाकों में उपभोक्ताओं को समय पर बिजली के बिल नहीं मिल पाते। पावर निगम निजीकरण की राह पर तेजी से अग्रसर है और मौजूदा समय में पंजाब में मात्र 137 पक्के रीडर हैं जिनमें से कई इंस्पैक्टर बनने वाले हैं। इसके विपरीत घरेलू व कमर्शियल को मिलाकर पंजाब में 72 लाख के करीब मीटर कनैक्शन हैं जिसके लिए 2500 के करीब मीटर रीडर चाहिएं। मीटर रीडरों की कमी के लिए विभाग ने ठेके पर मीटर रीडर रखे हैं। 1988 के बाद से पक्के मीटर रीडर की भर्ती नहीं की जिसके चलते समय-समय पर मीटर रीडर रिटायर्ड होते गए और पक्के मीटर रीडरों की संख्या लगातार कम होती गई।

राज्य के कुल 5 जोन के 20 सर्कल हैं जिनमें 5-6 डिवीजन हैं। प्रत्येक डिवीजन में 5-6 सब-डिवीजन हैं, जिसके हिसाब से पंजाब में सब-डिवीजनों की गिनती 500 से अधिक है। जानकारों के मुताबिक यदि प्रत्येक सब-डिवीजन में 5 के करीब मीटर रीडर लगाए जाएं तो इस हिसाब से 2500 के करीब मीटर रीडर चाहिएं लेकिन विभाग के पास 137 मीटर रीडर हैं जबकि बाकी का काम प्राइवेट मीटर रीडरों से चलाया जा रहा है।  बताया जाता है कि पावर निगम अपने सिस्टम को सुधारने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रहा है लेकिन इसके बावजूद उपभोक्ताओं को परेशानी उठानी पड़ रही है। 

उपभोक्ता को नहीं थमाया जाता बिल
उपभोक्ता बताते हैं कि अधिकतर मीटर रीडर द्वारा बिल काटने के बाद उसे उपभोक्ता के हाथ में नहीं थमाया जाता। कई बार मीटर रीडर बिल को घर के अन्दर फैंक जाता है और कई बार बिल को गेट में फंसा दिया जाता है। अधिकारी बताते हैं कि कई ऐसे केस भी हो सकते हैं जिसमें मीटर रीडर द्वारा बिल काटा गया हो लेकिन किसी कारणवश उपभोक्ता को बिल न मिल पाया हो। उपभोक्ताओं का कहना है कि विभाग को चाहिए की बिल उपभोक्ता को थमाया जाए ताकि बिल मिलने में दिक्कत न आए क्योंकि ऐसा देखने में आया है कि कई बार बिल इधर-उधर हो चुका है। 

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