कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए डाक्टरों का सहयोग जरूरी : ब्रह्म महिंद्रा

Edited By Bhupinder Ratta,Updated: 17 Jun, 2019 10:36 AM

doctors need cooperation in preventing female feticide brahma mahindra

पंजाब में लिंगानुपात के अंतर को खत्म करने के लिए कन्या भ्रूण हत्या जैसी बुराई को खत्म करना बहुत जरूरी है। इसके लिए सभी डाक्टर सहयोग करें। उक्त शब्द पंजाब के स्थानीय निकाय मंत्री ब्रह्म महिंद्रा ने रविवार को स्थानीय गढ़ा रोड स्थित पिम्स में इंडियन...

जालंधर(रत्ता): पंजाब में लिंगानुपात के अंतर को खत्म करने के लिए कन्या भ्रूण हत्या जैसी बुराई को खत्म करना बहुत जरूरी है। इसके लिए सभी डाक्टर सहयोग करें। उक्त शब्द पंजाब के स्थानीय निकाय मंत्री ब्रह्म महिंद्रा ने रविवार को स्थानीय गढ़ा रोड स्थित पिम्स में इंडियन रेडियोलॉजिकल एंड इमेजिंग एसो. द्वारा आयोजित एक वर्कशाप में बतौर मुख्यातिथि उपस्थिति को सम्बोधित करते हुए कही। 

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पहले ही पी.सी.पी.एन.डी.टी. एक्ट को सख्ती से लागू किया हुआ, साथ ही कन्या भ्रूण हत्या रोकने व लोगों को इस संबंधी जागरूक करने के लिए पूरा प्रयास कर रही है। इसी के मद्देनजर सरकार ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान भी शुरू किया है। इस वर्कशॉप के दौरान जिला परिवार कल्याण अधिकारी डा. सुरिंद्र कुमार ने उपस्थिति को पी.सी.पी.एन.डी.टी. एक्ट बारे जानकारी देते हुए कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा इसी एक्ट के अंतर्गत समय-समय पर स्कैनिंग सैंटर्स की जांच भी की जाती है। 

‘शास्त्री’ के अनुसार इंडियन रेडियोलॉजिकल एंड इमेजिंग एसो. पंजाब द्वारा दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के सहयोग से पिम्स अस्पताल में एक प्रेरणादायी वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इस वर्कशॉप का आरंभ मुख्यातिथि ब्रह्म महिंद्रा (स्थानीय निकाय मंत्री पंजाब) द्वारा किया गया जिनका एसो. के महासचिव डा. मुकेश गुप्ता द्वारा स्वागत किया गया। डा. सुरिन्द्र द्वारा पी.सी.पी.एन.डी.टी. एक्ट के विषय में जानकारी दी।  

तदोपरांत दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से प्रवक्ता साध्वी सुश्री मनेन्द्रा भारती द्वारा ‘नॉकिंग आऊट स्ट्रैस फ्राम लाइफ’ विषय पर जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि तनाव वह प्रक्रिया जो अनियंत्रित परिस्थितियों के कारण पैदा होती है। व्यक्ति अनेक प्रकार के  दबावों जैसे कि उम्मीदें, अहंकार, वातावरण, परस्पर संबंध, तुलना व आर्थिक परिस्थितियों के अवसाद या तनाव ग्रस्त हो जाता है। इनमें कुछेक परिस्थितियां तो व्यक्ति स्वयं ही पैदा कर लेता है, जोकि उनके नियंत्रण में होती हुई भी अनियंत्रित हो जाती हैं। इसलिए हमें तनाव को दूर करने के लिए स्वयं के साथ आंतरिक तौर पर जूझना पड़ेगा जो केवल आध्यात्मिक जागृति द्वारा ही संभव है।वर्कशॉप के अगले चरण में संस्थान की प्रवक्ता साध्वी वैष्णवी भारती ने बताया कि जीवन में अवसाद की स्थिति से बाहर निकलने के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा आवश्यक होती है। इस दौरान गुरप्रीत सिंह भुल्लर (पुलिस कमिश्रर), डा. राजेश बग्गा (सिविल सर्जन), अमित सिंह रैजीडैंट डायरैक्टर पिम्स, डा. गुरदीप सिंह (अध्यक्ष आई.आर.एफ.) डा. अनूप बोहरी, सतीश तांगड़ी, डा. प्रवीण बेरी, डा. सुषमा चावला, डा. आशुतोष गुप्ता, डा. नवजोत दानिया, डा. राजीव गुप्ता, डा. कंवल चौधरी तथा डा. रघुवीर सिंह इत्यादि मौजूद थे। 

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